लन्दन में इस बार बसंत का आगमन ऐसा नहीं हुआ जैसा कि हुआ करता था. आरम्भ में ही सूखा पड़ने की आशंका की घोषणा कर दी गई. और फिर लगा जैसे बेचारे बादल भी डर गए कि नहीं बरसे तो उन्हें भी कोई बड़ा जुर्माना ना कर दिया जाये और फिर उन्हें तगड़ी ब्याज दर के साथ ना जाने कब तक उसकी भरपाई करनी पड़े. तो बेचारों ने जो बरसना शुरू किया, पूरा महीना बरसते ही रहे.बड़ी मुश्किल से इस सप्ताहांत में सूर्य देवता को निकलने का चांस मिला तो हमें भी घर में दीवारें काटने सी लगीं. लगा बेचारे सूर्य महाराज अकेले हैं उन्हें थोड़ी कम्पनी दी जाये और लगे हाथ थोडा “विटामिन डी”ले लिया जाये.तो तुरत फुरत कार्यक्रम बना डाला लन्दन के “रॉयल हायड पार्क” का, सेंटर लन्दन में बने इस पार्क से होकर कई बार हम निकले तो थे परन्तु इसका आकार देख कर कभी उसके अन्दर जाने की हिम्मत नहीं हुई. हर बार अपने दो पहिये की गाड़ी को लेकर आशंकित होते हुए हम बाहर से ही लौट आते थे .इस बार संकल्प किया पूरा पार्क देख कर ही आएंगे.
गुफा नुमा पेड़
लन्दन के इस सबसे खूबसूरत पार्क को १५३६ ई में हेनरी (आठवाँ ) ने वेस्ट मिनस्टर एब्बी के भिक्षुओं से प्राप्त किया था.तब यहाँ वे हिरण और जंगली सूअरों की तलाश में भटकते देखे जाते थे.उसके बाद जेम्स प्रथम ने इस पार्क को कुछ खास लोगों के लिए खोल दिया.फिर चार्ल्स प्रथम ने इस पार्क को पूरी तरह बदल डाला और १६३७ में इसे आम जनता के लिए खोल दिया गया .तब से आजतक इस पार्क में ना जाने कितने प्रमुख राष्ट्रीय उत्सव और आयोजन हो चुके हैं.कितनी ही फिल्म की शूटिंग हो चुकी है, और आने वाले ओलम्पिक २०१२ खेलों का भी सीधा प्रसारण और शाम को संगीत मयी संध्या का भव्य आयोजन भी यहीं होने वाला है.
३५० से भी ज्यादा एकड़ भूमि को घेरे हुए इस पार्क में सभी सुविधाएँ हैं.बोटिंग , स्विमिंग, सायक्लिंग, स्केटिंग, टेनिस कोर्ट, रेस्टौरेंट वगैरह वगैरह .परन्तु हमारा मुख्य उद्देश्य था इसके अन्दर बने “डायना मेमोरिअल” को देखना. खूबसूरत पेड़ों से घिरि, आजू – बाजु हरे घास के मैदान से सजी, छोटी छोटी सड़कों पर चलते हुए पार्क का दृश्य बहुत ही मनोहारी था और कुछ दिखावटी ना होते हुए भी जैसे बहुत कुछ इतना दर्शनीय कि समझना मुश्किल था कि यह प्राकृतिक है या इंसान का बनाया हुआ. जैसे कि एक पेड़ जिसकी शाखाएं इसतरह से चारों और झुकी हुईं थीं कि अंदर एक गुफा सी बनातीं थीं.पार्क के बीच में एक बहुत ही खूबसूरत झील भी है जिसमें हंस और बत्तख खेलते हैं और इंसान नौका विहार करते हैं. इसी झील के किनारे किनारे हंसों की खूबसूरत क्रीडा देखते हम पहुंचे डायना स्मारक पर- जिसका उद्घाटन,६ जुलाई २००७ को इंग्लेंड की रानी द्वारा किया गया था. इस फब्बारे के निर्माण में सर्वोच्च गुणवत्ता की सामग्री , प्रतिभा और प्रोद्योगिकी का इस्तेमाल किया गया है. इसमें इस्तेमाल किये गए ५४५ कोंइश ग्रेनाईट के टुकड़ों को नवीनतम कंप्यूटर नियंत्रित मशीनरी से आकार दिया गया और फिर उसे परंपरागत ढंग से जोड़ा गया है.
इस फव्वारे का डिजाइन भी डायना की जिन्दगी को प्रतिबिंबित करता है. दो दिशाओं में सबसे ऊपरी बिन्दुओं से बहता हुआ पानी नीचे शांत पूल में उतरने से पहले खूबसूरती से मचलता है. यहाँ तक कि ये स्मारक भी डायना के गुण और खुलेपन का प्रतीक है. यहाँ तीन पूल हैं जहाँ से आप पानी को पार करके फब्बारे के बीच तक जा सकते हैं. डायना आम लोगों कि राजकुमारी थी और लोग आज भी उसे बेहद अपनेपन से याद करते हैं .इस स्मारक के आसपास बैठकर वह जैसे अपने ही घर में किसी अपने ही के साथ होने का एहसास करते हैं.
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डायना स्मारक |
कुछ देर वहां बैठकर वेल्स की इस राजकुमारी को याद कर हम फिर चल दिए. यहाँ तक आने के लिए डेढ़ घटे से पार्क में घूम रहे थे. अब टाँगे दर्द करने लगीं थीं और पेट में चूहे भी मचलने लगे थे.तभी एक रेस्टोरेंट में एक आइस क्रीम का खोमचा भी दिखा तो झट लग गए उसकी लाइन में. अपना नंबर आया तो पता लगा कि आइस क्रीम ओर्गानिक है और इस वजह से दोगुनी से भी ज्यादा कीमत की है .खैर अब लाइन में लगे थे तो लेनी पड़ी और फिर बरफ जैसी आइसक्रीम खानी भी पड़ी उसके बाद फिर ढूँढा गया कुछ खाने पीने का जुगाड़ .झील के ही किनारे पर मिला एक झील किनारा भोजनालय. तो ऊपर सूर्य देवता , साथ चलते वायु देवता और किनारे पर जल देवता के बीच हमने पेट पूजा की और घर की तरफ लौट चले.इस तरह समापन हुआ महीनो बाद मिले एक बसंत के एक खूबसूरत दिन का.
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आइसक्रीम का विदेशी ठेला. |
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झील किनारा भोजनालय 🙂 |
wpadmin
अपने बारे में कुछ कहना कुछ लोगों के लिए बहुत आसान होता है, तो कुछ के लिए बहुत ही मुश्किल और मेरे जैसों के लिए तो नामुमकिन फिर भी अब यहाँ कुछ न कुछ तो लिखना ही पड़ेगा न. तो सुनिए. मैं एक जर्नलिस्ट हूँ मास्को स्टेट यूनिवर्सिटी से गोल्ड मैडल के साथ टीवी जर्नलिज्म में मास्टर्स करने के बाद कुछ समय एक टीवी चैनल में न्यूज़ प्रोड्यूसर के तौर पर काम किया, हिंदी भाषा के साथ ही अंग्रेज़ी,और रूसी भाषा पर भी समान अधिकार है परन्तु खास लगाव अपनी मातृभाषा से ही है.अब लन्दन में निवास है और लिखने का जुनून है.
प्रकृति की गोद में तो जो मज़ा आता है वो अनूठा है साथ में आपको भी तारो ताज़ा कर देता है …सुन्दर चित्र
लन्दन घुमाने के लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद
रोचक प्रस्तुति।
पार्क की तसवीरें और शब्द चित्र भ्रमण करा गए हमें भी…!
बासंती दिन पर सुन्दर आलेख!
खूबसूरत चित्रों से सजी. जानकारी पूर्ण पोस्ट… हम जैसी गरमी से तपती जनता के लिए तो यह पोस्ट भी सुखद अनुभव है..!!
खुशबूदार, मजेदार, पोस्ट
सुन्दर प्रस्तुति…
आपके साथ हमने भी प्रकृति के दर्शन कर लिए…
मनभावन प्रस्तुति |
बधाई स्वीकारें ||
Awesomw.
गुफानुमा पेड़ बहुत बढ़िया है
खिलते-महकते शब्दों में लिखा बहुत ही मनमोहक विवरण । किताबों में इतनी बार ज़िक्र आता है 'हाइड पार्क' और 'लंदन' का कि एक-दूसरे के पर्याय जैसे ही लगने लगते हैं । सुन्दर छायाचित्रों से सुसज्जित इस लेख से सम्पूर्ण जानकारी मिल गयी इस नयनाभिराम स्थल की, हृदय से धन्यवाद शिखा जी !
.लन्दन का हायड पार्क घुमाने और मनमोहक रोचक विवरण के लिए ,…आभार चित्र अच्छे लगे ,
MY RECENT POST ,…काव्यान्जलि …: आज मुझे गाने दो,…
कभी कभी सोचती हूँ कि डायना के बिना लन्दन की कल्पना नहीं की जा सकती
अगर संभव हो तो ऊपर वाला कुछ फूल हमारे पास भी भेज दीजिए।
{*** याद रहे किसी ने कहा है – “असंभव शब्द … की डिक्शनरी में पाया जाता है!” :):) }
सैर सपाटे का खूबसूरत वर्णन और खूबसूरत फोटो…..
अब अपने यहां कश्मीर के रहते ये तो न कहूंगा कि अगर दुनिया में है … कहीं पर यहीं पर … लेकिन इस खूबसूरत जगह की सैर करने के बाद (आपके साथ) कुछ इसी तरह का कहना होगा .. और जब तक वैसा को शब्द या पंक्ति मिल जाए इस टिप्पणी को मुलतवी रखता हूं।
अब अपने यहां कश्मीर के रहते ये तो न कहूंगा कि अगर दुनिया में है … कहीं पर यहीं पर … लेकिन इस खूबसूरत जगह की सैर करने के बाद (आपके साथ) कुछ इसी तरह का कहना होगा .. और जब तक वैसा को शब्द या पंक्ति मिल जाए इस टिप्पणी को मुलतवी रखता हूं।
फोटोज़ तो फेसबुक पर देख लिए थे, यहाँ वर्णन भी पढ़ लिया. हमारी तो बैठे-बैठे सैर हो गई 🙂
पार्क जितना सुंदर है उतना ही सुंदर वर्णन …. गुफ़ानुमा पेड़ अपनी शोभा दिखा रहे हैं ….सुंदर चित्रो से सुसज्जित अच्छी पोस्ट …. खुशनुमा मौसम की बढ़िया जानकारी मिली …
ये बढ़िया है………………
अपनी तो मुफ्त में सैर हो गयी…….
यहाँ तो बड़ी गर्मी पड़ रही है…
nice clicks too….
ragards.
anu
इसे देखने की तमन्ना है….फोटो से आनंद दुगना हो गया !
शुभकामनायें आपको !
आपके साथ घूमने में आनन्द आ गया।
चिलचिलाती धुप में जब हम विषुवत रेखा वासी उबल रहे है , ये हरियाली वाली तस्वीर सुकून पंहुचा रही है इस तसल्ली के साथ की यहाँ भी वसंत आएगा.. ये गुफा नुमा बगीचा में पेड़ काहे के है जी? फव्वारा से डायना की तुलना भा गई . साधुवाद है आपको गर्मी में कूल कूल पोस्ट के लिए .
@ आशीष ! ये पेड़ काहे का है यह तो पता नहीं. पर है बहुत दिलचस्प.एकदम गुम्बद टाइप.अंदर एक गुफा सी है और बाहर से जैसे इस पेड़ की शाखाएं पर्दा सा डाले रखती हैं.
हाईड पार्क फिर इसीलिए नाम पड़ा होगा . लोग वहाँ हाईड एंड सीक खेलते होगे .. हा हा
वाह जी वाह ! हायड पार्क में घूमकर मज़ा आ गया । झील किनारे तीन तीन देवताओ के मध्य भोजन की तो बात ही निराली लगी ।
चलिये एक दिन के लिए सही आपके यहाँ बसंत आया तो सही, यहाँ तो बरखा रानी की कृपा अब भी बरकरार है 🙂
मुझे तो इस पोस्ट को देख कर यह शेर याद आ गया…..
तुम्हारे शहर का मौसम बड़ा सुहाना लगे
मैं एक शाम चुरा लूँ अगर बुरा न लगे।
सुंदर चित्रों से सजी रोचक जानकारी देती शानदार पोस्ट।
बहुत सुना है हायड पार्क के बारे में…
वैसे दीदी अंतिम वाला फोटो खतरनाक है!! 🙂
सुन्दर प्रस्तुति…बहुत बहुत बधाई…
खूब घूमे जी … आभार !
सुंदर वर्णन …सार्थक पोस्ट …!!
आभार शिखा जी ..!!
बहुत सुंदर चित्रमयी पोस्ट…..
हायद पार्क लन्दन की अच्छी सैर करायी आपने ..वेस्ट मिन्स्टर एब्बी में बहुत चर्चित लोगों की समाधियाँ हैं जिनकी चर्चा सुनते रहते हैं….वह भिक्षुकों के स्वामित्व में रहा है यह जानकार अजीब लगा …
Park men aapki anupam prastuti ne
park ki khoobsurati men chaar chaand laga diyen hain.Bahut khoobsurat hain
saare photos, visheshkar aapke,har
andaaj laajabab hai.
abhi US tour par hun,bete ke laptop
par aapki post padhi.Devnaagri men
tippani n kar paane ke liye kshama chahata hun.
यह यात्रा वृत्त या यात्रा संस्मरण बहुत ही रोचक और अच्छा लगा |ज्ञानवर्धन भी हुआ |बधाई |
ऐतिहासिक हाइड पार्क का दर्शनीय सौंदर्य.
आपके साथ हम भी घूम आये हायड पार्क !
चित्र बहुत खूबसूरत हैं !
अपने तो हमें भी हायड पार्क की सैर करा दी…बहुत सुन्दर प्रस्तुति है…
वाह जी बल्ले बल्ले
कलम का जादू और सैर का मज़ा दोनो ही अनुपम …
कल 16/05/2012 को आपकी इस पोस्ट को नयी पुरानी हलचल पर लिंक किया जा रहा हैं.
आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!
…'' मातृ भाषा हमें सबसे प्यारी होती है '' …
बहुत मज़ा आया हायड पार्क घूम के 🙂
वाह क्या बात है…बहुत सुन्दर प्रस्तुति
Landon ke badalte mijaaj, baarish aur dhoop ki aankhmicholi ke beech aapke lajawab fotoes Bhi foolon ki tarah khil rahe hain … Apni to London ki sair ho gayee ..
aap ke lekh padh kar ahsas hota he ki ham bhi aap ke sath ghoom rhe hen bhtreen lekh bdhaiyan
हायड पार्क लन्दन की खूबसूरती देखते ही बनती हैं.
बहुत अच्छा लगा पार्क में काश हम भी होते….
Chitra ke sath aalekh achha laga… Baithe bithaye bina passport ka london ghum aaya main…
रोचक विवरण और सुन्दर चित्र के लिए बहुत – बहुत आभार …
waah ! bahut hi pyara laga aapke sath london ka ye pyara park !
thank you
सुन्दर प्रस्तुति बहुत ही खूबसूरत चित्रों के साथ पार्क का मनोरम वर्णन ! तपती गर्मी में मजा आ गया !
वाह!…मजा आ गया…हमने भी आपके साथ हायड पार्क की सैर कर ली!…
Hyde Park… mera quarter Safdarjung airport ke pass hai, aur iss park ka naam tab suna jab kisi ne bataya govt ye soch rahi hai ki iss airport ko tod kar hyde park jaisa kuchh banayegi….:) yani ek dum khula maidan type park…!! aaaj tumhare post aur chitro se jaan bhi liya… kash aisa badlaw ho paye, Delhi me bhi:)
घूम लिये हम भी। फ़्री में। खूबसूरत है मामला। 🙂
'स्पंदन' के शब्दों ने 'संजय' की 'दिव्य दृष्टि' का काम किया और सभी पढने वालों को इस मनोरम पार्क का जीवंत एहसास करा दिया |
बहुत सुन्दर नहीं खुबसूरत पोस्ट .किसी स्थान को घूमना एक अलग बात लेकिन जगह को एक एहसास के साथ विचरण करना भी अलग बात .
उस जगह की खूबसूरती को आँखों में समेटना और उसे शब्दों में जीना कोई आपसे सीखे . खुबसूरत चित्रों के साथ बिताये पलों का आनंद आपकी लेखनी
और यादों का कमाल………..
वाह मज़ा आ गया खूबसूरत दृश्य देख …..
और आपकी खूबसूरत तास्वीरें देख …
आप वर्णन भी गज़ब करती हैं …..
वाह मज़ा आ गया खूबसूरत दृश्य देख …..
और आपकी खूबसूरत तास्वीरें देख …
आप वर्णन भी गज़ब करती हैं …..
पर्क में आपके साथ बहुत अच्छा लगा.जल,जल-पक्षी, वनस्पतियाँ, हवा और धूप -फ़ोटोज़ ने इन सब में जान डाल दी -और आप तो हैं हीं सामने !
बढ़िया अहसास एक बासंती दिन का…
बारिश के दिनों की एकरसता के बाद खिला सूरज के झुर्मुट मैं एक फूल-सा दिन…
कलम और केमेरा में caught-up…
आपने तो हमें घर बैठे बैठे लन्दन के दर्शन करा दिये। सुन्दर वृत्तान्त …..और सबसे बड़ी बात ये है की प्रवास में भी आपने भारतीयता को जीवित रखा है ,सच में प्रशन्सनीय है।
मैने ब्लोग जगत में अभी अभी पदार्पण किया है…आप सबसे उत्साह्वर्धन की अभिलाषा है
गजब का वर्णन था आपने बहुत ही अच्छे व़तांत के साथ लंदन की सैर करा दी
अभी इस लेख को पढा है बाद में आकर पुराने लेख पढूंगा
फोटो िजनमें आप नही हैं उन्हे थोडा बडा करके लगाते तो और मजा आता
आपके साथ इस बार हायड पार्क घूम ली. स्मृतियाँ लौट आई. सुन्दर चित्र और विस्तार पूर्वक वर्णन के लिए धन्यवाद.
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