एक दिन मुझसे किसी ने कहा था, कि अपने लिए मांगी दुआ कबूल हो न हो पर किसी और के लिए मांगी दुआ जरुर क़ुबूल होती है.ये अहसास बहुत खूबसूरत लगा मुझे …और सच भी..बस उसी से कुछ ख्याल मन में आये अब ये ग़ज़ल है या नज़्म या कुछ भी नहीं ..ये तो नहीं पता पर एक एहसास जरुर है
हर आरज़ू की जुबां, रूह से निकलती है सदा
हर लब पे एक दुआ, किसी न किसी के वास्ते
न मंदिर न मस्जिद, न कोई गिरजा की जरुरत
बस एक अदद दिल की तलब, पाक दुआ के वास्ते .
रुख हो हवा का गलत ,या हो भंवर में नाव भी
है दुआ में वो असर,बने राह भी कश्ती के वास्ते
निगाहें हो तनिक झुकी हुई, सामने पसरे हाथ,हों,
परेशां है खुदा की महफ़िल ,इंकार करे किस वास्ते .
अपने लिए उठे ये हाथ , तो शिखा! क्या बात हुई
होगी दुआ कुबूल, जो कर किसी बेबस के वास्ते
bahut khoob!!! bahut hi dil se likhi gayi ibaarat!!
निगाहें हो तनिक झुकी हुई, सामने पसरे हाथ,हों,
परेशां है खुदा की महफ़िल ,इंकार करे किस वास्ते
ये पंक्तियाँ तो बस दिल ले गयीं…अल्लाह करे, ऐसी कशमकश से रोज़ ही ख़ुदा का वास्ता पड़े ..
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अपने लिए उठे ये हाथ , तो शिखा! क्या बात हुई
होगी दुआ कुबूल, जो कर किसी बेबस के वास्ते.
बहुत ही गहरा सन्देश छुपा है इन लफ़्ज़ों में…सब इस पर अमल करने लगें..फिर तो सबकी दुआएं ही क़ुबूल हो जाएँगी….बेहतरीन अभिव्यक्ति
BTW ये ख़ूबसूरत हाथ किसके हैं शिखा?…जिनेक भी हों उनसे कहना….की-बोर्ड पर ज्यादा ना चलायें वरना थक जाएँगी नाजुक उंगलियाँ…:):)
न मंदिर न मस्जिद, न कोई गिरजा की जरुरत
बस एक अदद दिल की तलब, पाक दुआ के वास्ते
शिखा !
मुझे भी नहीं मालूम की यह ग़ज़ल है या नज़्म या चौपाई !
लेकिन शब्दों और भावों का असर बहुत गहरा है
पंक्तियाँ बिना दस्तक दिए दिल तक पहुंचती हैं
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सोचता हूँ ऐसे लोगों का प्रतिशत क्या होगा जो अपना घर, अपने बच्चे के अलावा किसी और के लिए दुआ करते हैं !
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बधाई और आशीर्वाद कबूल हो
हर आरज़ू की जुबां, रूह से निकलती है सदा
हर लब पे एक दुआ, किसी न किसी के वास्ते
वाह..वाह…कितनी पाकीज़ा बात कही है ..
न मंदिर न मस्जिद, न कोई गिरजा की जरुरत
बस एक अदद दिल की तलब, पाक दुआ के वास्ते .
सच है …पाक दिल हो तो हर बात दुआ सी ही होती है….
रुख हो हवा का गलत ,या हो भंवर में नाव भी
है दुआ में वो असर,बने राह भी कश्ती के वास्ते
और जब दुआ किसी और के लिए हो तो सच ही है की दुआ बहुत असर वाली हो जाती है….खुद के लिए माँगा तो क्या माँगा…बहुत खूब
निगाहें हो तनिक झुकी हुई, सामने पसरे हाथ,हों,
परेशां है खुदा की महफ़िल ,इंकार करे किस वास्ते .
और इश्वर भी क्यूँ कर और कैसे मन करेगा??????? वो भी तो यही चाहता है की उपकार करना चाहिए
अपने लिए उठे ये हाथ , तो शिखा! क्या बात हुई
होगी दुआ कुबूल, जो कर किसी बेबस के वास्ते.
बिलकुल होगी कबूल… शिखा आज ये पढ़ कर मन प्रसन्न हो गया….ढेरों शुभकामनायें…और बधाई
बहुत सुन्दर रचना!!
रुख हो हवा का गलत ,या हो भंवर में नाव भी
है दुआ में वो असर,बने राह भी कश्ती के वास्ते
वाह!!! क्या बात है! क्या फ़रक पडता है, कि वो गज़ल हो, नज़्म हो, गीत हो, या कुछ भी नहीं, दिल से निकली सच्ची आवाज़ तो है न? किसी तकनीकी पैमाने में रख के देखने की ज़रूरत क्या है? आपकी आवाज़ ने हमारे दिल तो रौशन कर ही दिये.
आपने लिखी है, सो सुन्दर ही है यह रचना।
बहुत सुन्दर सन्देश के साथ लिखी ये रचना । वाकई, जो हाथ उठ्ठे, किसी और के दुआ के वास्ते, वो दुआ खुदा के घर ज़रूर कबूल होती है।
दिल से जो लिखी गयी है वो दिल तक आ पहुंची है …
बेहद्द खूबसूरत अहसास से लबरेज़…
और हाँ …दुआ किसी ग़ज़ल, नज़्म या कविता जैसे नाम की मोहताज कब हुई है…वो इनसे बहुत ऊपर है…
हाँ यही तो …!!!
यह हाथ बहुत खूबसूरत हैं…. मोती वाली अंगूठी…. डायमंड के साथ बहुत सुंदर लग रहीं हैं…. दूसरे हाथ में प्लैटिनम …. चार चाँद लगा रहे हैं…. हाथ से पता चल गया है कि ….. आप…. बहुत (यहाँ बहुत infinite है..) खूबसूरत हैं…. परी आसमां की…. अब जितनी सुंदर आप हैं…. उतने ही सुंदर एहसासों से आपने इस रचना को बुना है…. कोई इसे ग़ज़ल कहे , या नज़्म… या फिर कुछ और…. पर मैं तो कहूँगा कि खूबसूरत शख्सियत और खूबसूरत दिमाग के खूबसूरत एहसास हैं…. जो हाथ दूसरों की दुआओं के लिए उठे…. वो इंसान खूबसूरत और खूबसीरत दोनों ही होता है…
निगाहें हो तनिक झुकी हुई, सामने पसरे हाथ,हों,
परेशां है खुदा की महफ़िल ,इंकार करे किस वास्ते .
इन अल्फाज़ों ने तो मन ही मोह लिया….
आपको और आपकी क़लम को दर-ऐ-सलाम… Hats off to a very beautiful lady…. with unfathomic depth of mind……
Hats off once gain….
खूबसूरत मन से मांगी हुई दुआ तो कुबूल होनी ही है ।
दुआओं का असर खूब देखा है इसलिए एक दुआ और कर ली ….
भावपूर्ण रचना …!!
अपने लिए उठे ये हाथ , तो शिखा! क्या बात हुई
होगी दुआ कुबूल, जो कर किसी बेबस के वास्ते
बहुत उम्दा ख्याल और अभिव्यक्ति!
न मंदिर न मस्जिद, न कोई गिरजा की जरुरत
बस एक अदद दिल की तलब, पाक दुआ के वास्ते,
पाक दिल से दुआ माँगी जाए तो ज़रूर कबूल होती है..सुंदर अभिव्यक्ति….
सदिच्छा के लिए आभार ,,,
दूसरे की दुआ पर ही किसी ने कहा है ;
'' न जाने कौन दुवावों में याद करता है
मैं डूबता हूँ समंदर उछाल देता है | ''
न मंदिर न मस्जिद, न कोई गिरजा की जरुरत
बस एक अदद दिल की तलब, पाक दुआ के वास्ते .
नायाब.
रामराम.
न मंदिर न मस्जिद, न कोई गिरजा की जरुरत
बस एक अदद दिल की तलब, पाक दुआ के वास्ते .
अपने लिए उठे ये हाथ , तो शिखा! क्या बात हुई
होगी दुआ कुबूल, जो कर किसी बेबस के वास्ते
शिखा जी लाजवाब नज़्म है। खूबसूरत एहसास। बहुत बहुत बधाई।
आप की दुआ तो कबूल होगी ही होगी क्योंकि हेलिकॉप्टर से भी आपके लिए आशीर्वाद बरस रहे हैं…
एक सलाह ओर, ये आपके ब्लॉग पर ऊपर ही जो फोटो लगी है उसे नील थोड़ा कम दिया कीजिए…वो क्यों नहीं
आजमा जाती…रिन की चमकार…लगातार…
जय हिंद…
lajwaab prastutui ……bahut khoob
kya baat kahi hai shikha……kamaal ka prastutikaran
अपने लिए उठे ये हाथ , तो शिखा! क्या बात हुई
होगी दुआ कुबूल, जो कर किसी बेबस के वास्ते
आमीन …. दुआ में असर होना चाहिए … कबूल ज़रूर होती है …
bahut hi umda rachna maa'm!!
bahut hi sundar dua hui hai
shikha ji
ek behtreen peshkash
angoothiyaan dekhkar to haum behosh hee ho gae…vaise achchhe ban padee hai….
kisi ke liye hath uthein aur duaa kabool na ho aisa to ho hi nhi sakta……..gazab ki prastuti.
सही में दिल से लिखा गया है…दिल को छू गया …
Shikhaji,
Aapki rarachana tarif ki mohtaj nahi behad khubsurat bhav nihit hai isame…pdhane ka avasar diya isliye dhanywad aapko!!
जितने खूबसूरत हाथ उतने ही खूबसूरत रचना वाकई बहुत अच्छा लगा..
गहन विचारो से ओत-प्रोत रचना …
बहुत अच्छा लगा
सुन्दर भाव
सुन्दर अभिव्यक्ति
सुन्दर चित्र
साधुवाद….
—– राकेश वर्मा
bhoot he achha hai
Hi..
Dil se 'WAH' hai nikli mere.. Teri nazm ko padhkar ke..
Maine bhi ek dua hai maangi..
Apne haath uthakar ke..
Jo bebas, majloom, sataya ya majboor..ho duniya main.. Sabka dard haro tum Prabhu ji.. Apni daya dikha kar ke..
Nazm ki aakhiri 4 panktiyan behtareen hain..
Shikha ji ki kalam ki dhar paini hoti ja rahi hai.. Wah..
DEEPAK..
अपने लिए उठे ये हाथ , तो शिखा! क्या बात हुई
होगी दुआ कुबूल, जो कर किसी बेबस के वास्ते
अद्भुत बात है
ये पोस्ट आज फिर से दिखने लगी..शायद महिला दिवस के कारण. 🙂
अंतर राष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं.
-उड़न तश्तरी
शिखा जी
आज़ फ़िर से देखा आपका ब्लाग उस दिन काम की अधिकता की वज़ह से कम ही लिख पाया था आज़ फ़िर से प्रशंसा करना चाहूंगा
सादर
अभिवादन
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