
विशुद्ध साहित्य हमारा कुछ
उस एलिट खेल की तरह है
जिसमें कुछ सुसज्जित लोग
खेलते हैं अपने ही खेमे में
बजाते हैं ताली
एक दूसरे के लिए ही
पीछे चलते हैं कुछ अर्दली
थामे उनके खेल का सामान
इस उम्मीद से शायद कि
इन महानुभावों की बदौलत
उन्हें भी मौका मिल जायेगा कभी
एक – आध शॉट मारने का
और वह कह सकेंगे
हाँ वासी हैं वे भी
उस तथाकथित पॉश दुनिया के
जिसका —
बाहरी दुनिया के आम लोगों से
यूँ कोई सरोकार नहीं होता
wpadmin
अपने बारे में कुछ कहना कुछ लोगों के लिए बहुत आसान होता है, तो कुछ के लिए बहुत ही मुश्किल और मेरे जैसों के लिए तो नामुमकिन फिर भी अब यहाँ कुछ न कुछ तो लिखना ही पड़ेगा न. तो सुनिए. मैं एक जर्नलिस्ट हूँ मास्को स्टेट यूनिवर्सिटी से गोल्ड मैडल के साथ टीवी जर्नलिज्म में मास्टर्स करने के बाद कुछ समय एक टीवी चैनल में न्यूज़ प्रोड्यूसर के तौर पर काम किया, हिंदी भाषा के साथ ही अंग्रेज़ी,और रूसी भाषा पर भी समान अधिकार है परन्तु खास लगाव अपनी मातृभाषा से ही है.अब लन्दन में निवास है और लिखने का जुनून है.
very well said
Kaya kahe Shikha ji bas ….
… अगर आप जनलेखक नहीं हैं तो आपको ज़रूर खेमों में बँट जाना चाहिये वाह-वाही करवाने के लिए. अलबत्ता सही है इस खेल का आलम्ब भी क्योंकि यह मैंने भी ट्राई किया पर मज़ा नहीं आया सिवाय इसके कि आप या तो लंबी-चौड़ी टहल क़दमी के चाहने वाले हों या फिर कनेक्शन बनाने की कोशिशों में मशगूल रहने वाले.
बेहतरीन कटाक्ष।
लेख और लेखक सभी आमजन से कट रहे हैं। वाकई यह पॉश खेल होता जा रहा है।
..बधाई।
अच्छा कटाक्ष किया आपने,,,,,,सुंदर प्रस्तुति,,,,,
RECENT POST ,,,,, काव्यान्जलि ,,,,, ऐ हवा महक ले आ,,,,,
ये मारा……………..
perfect shot shikha jee…..
anu
बहुत खूब शिखा जी … खेलती रहिए यह 'पॉश गेम'…
इस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार – आपकी पोस्ट को शामिल किया गया है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर – पधारें – और डालें एक नज़र – सब खबरों के बीच एक खुशखबरी – ब्लॉग बुलेटिन
सुन्दर कविता. गहरा व्यंग्य भी निहित है इसमें. सचमुच खेल भी आम और और पॉश बन गए है. दिल छू गयी कविता बन गए है. दिल छू गयी कविता
वाह क्या शाट मारा है। एकाध और मारिये वर्ना कविता सच हो जायेगी। 🙂
इस कविता में गहन दर्शन है … जीवन जीने वालों के और जीवन जी लेने वालों के।
उन्हें भी मौका मिल जायेगा कभी
एक – आध शॉट मारने का
:):)मैं भी इंतज़ार में तो हूँ पर पीछे नही चला जाता … काश यह गुण भी होता …. सटीक और सार्थक रचना
जोड़ घटाना और खेमेबंदी तो साहित्य के क्षेत्र में आजकल आम सी बात दिखती है. साहित्य छोडिये ना हियाँ ब्लोगिंग में भी तो . तीखा कटाक्ष .
सहमत हूँ, आप ही मगन रहने के लिये भी लेखन किया ही जाता है।
आपने चित्र और कथन के माध्यम से इतनी गहरी बात कह दी की समझने वाले १०० प्रतिशत साझा ही कर लेंगे .
क्या कहूँ बधाई , धन्यवाद् , आभार , या …….. नहीं कुछ भी नहीं ….कहीं विराम न आवे न लगे …………..
पॉश तरीके से फाश किया पर्दा आपने झूठे इलीट पने का | इसीलिए अपन तो अकेले ही दीवार के सामने बैट बल्ला खेलते रहते हैं | खुद ही बालर ,खुद ही फील्डर और खुद ही बैट्स मैन अर्थात खुद लिखो ,खुद पढो और खुद अपनी आलोचना |
मतलब हाशिये का साहित्य ?
जबरदस्त कटाक्ष किया है..मस्त एकदम!! 🙂
सही है….
शुभकामनायें..
बहुत अच्छी व्यंगात्मक प्रस्तुति अलग दुनिया के अलग लोग अपने में मस्त
आप भी मेरी तरह अब ताना एक्सपर्ट हो गयीं हैं.. सूखे पानी में टूटी हुई चप्पल भिगो कर मारी है..
कविता के माध्यम से जबरदस्त कटाक्ष… बहुत खूब
Bahut Umda…..
असरदार स्ट्रोक.
Bada kadua sach likh daala aapne!
सही कटाक्ष किया है।
🙂
लेखक अपने थैले , बिखरे बाल और कुछ कलमों जैसी अपनी सादा छवि को तोड़ कर सूटेड बूटेड हो गये हैं , इसी तरह साहित्य भी आजकल पॉश हो गया है . अंतर्राष्ट्रीय पुस्तक सम्मलेन में इसकी बानगी दिखी कई बार !
बहुत ही सही बात इतने आराम से कही है …..!!
मान गये आप को ….!!!!
साहित्य के बारे में तो साहित्यकार जाने . लेकिन यह खेल अवश्य एलिट लोगों का है . हाय ! किस्मत अपनी अपनी !
आपकी बोल का निशाना कहां है ये तो बता दें …
अच्छा व्यंग है …
गहरा व्यंग्य….
सादर.
साहित्यकारों की क्षद्मता पर प्रश्न उठती सुन्दर कविता… ट्रूली "क्लब" क्लास
kabhi kabhi tum bhi shot marne lagi ho…:-D
lagta hai london ka mausam ball hit karne ki ijajat de raha hai:)
कडवी हकीकत —सही परखा आपने.सटीक और सार्थक रचना
सटीक तुलनात्मक अध्ययन
इतना करारा व्यंग्य….अब क्या कहाँ …बस इतना ही कि …..सटीक लेखन …
सही है
इस पूरे एपिसोड में एक चांदी की लकीर यह है कि कई सर्वश्रेष्ठ खिलाडी वो हुए हैं जो सामान पीठपर ढोने वाले थे!!
फिर भी कविता का कटाक्ष धारदार है!!
बहुत खूब कहा है.
बहुत खूब कहा है.
बहुत अच्छी प्रस्तुति!
इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
आपका भी मेरे ब्लॉग मेरा मन आने के लिए बहुत आभार
आपकी बहुत बेहतरीन व प्रभावपूर्ण रचना…
आपका मैं फालोवर बन गया हूँ आप भी बने मुझे खुशी होगी,……
मेरा एक ब्लॉग है
http://dineshpareek19.blogspot.in/
बहुत ही सुन्दर रचना
बहुत बढ़िया. उस एलीट वर्ग के साथ होने से वहाँ के वासी होने का भ्रम तो है ही न. वासी होने के कारण एक शॉट की उम्मीद तो होती है भले विशुद्ध साहित्य न हो… तार्किक व्यंग.
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