बहुत छोटी थी मैं जब यह ग़ज़ल सुनी थी और शायद पहली यही ग़ज़ल ऐसी थी जो पसंद भी आई और समझ में भी आई। एक एक शेर इतनी गहराई से दिल में उतरता जाता कि आज भी कोई मुझे मेरी पसंदीदा गजलों के बारे में पूछे तो एक इसका नाम मैं अवश्य ही लूं।परन्तु बहुत समय तक इन लाजबाब पंक्तियों के रचनाकार का नाम नहीं पता था। समय बीता कुछ जागरूगता आई तो जाना की इस बेहतरीन ग़ज़ल को निदा फाज़ली साहब ने लिखा है। उसके बाद –
“घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो यूँ कर लें,
किसी रोते हुए बच्चे को हँसाया जाए”.
जैसे उनके बहुत से संवेदनशील शेरों से लेकर फिल्म “सुर” की “आ भी जा , आ भी जा ,ये सुबह आ भी जा”.जैसी
फ़िल्मी नज्में दिल पर दस्तक देती रहीं। और अब अरसे बाद 5 नवम्बर की एक सर्द शाम को इसी शायर से रू ब रू होने का और उन्हें सुनने का अवसर था।
5 नवम्बर की ठंडी शाम परन्तु लन्दन के हाउस ऑफ़ लार्डस के उस हाल में बेहद गर्माहट थी जहाँ यू के हिंदी समिति के तत्वाधान एवं बैरोनैस फ्लैदर के संरक्षण से वातायन : पोएट्री ऑन साउथ बैंक सम्मान समारोह का आयोजन किया गया .वातायन लन्दन स्थित एक संस्था है।और प्रतिवर्ष भारत के कवियों को कविता में योगदान के लिए सम्मानित करती है।पिछले वर्ष यह सम्मान जावेद अख्तर और प्रसून जोशी को दिए गए थे।
और इसी समारोह में प्रसिद्ध शायर और लेखक श्री निदा फ़ाज़ली एवं श्री शोभित देसाई (मुख्यत:गुजराती लेखक) को वातायन अवार्ड से सम्मानित किया गया.बी बी सी के पूर्व प्रोडूसर, साउथ एशियन सिनेमा जर्नल के संपादक ललित मोहन जोशी ने संचालन की बागडोर संभाली और यू के हिंदी समिति के अध्यक्ष डॉ पद्मेश गुप्ता के स्वागत वक्तव्य और पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन से समारोह का आगाज़ हुआ. शोभित देसाई के सम्मान में सम्मान पत्र के वाचन का सौभाग्य मुझे मिला तत्पश्चात शोभित देसाई को समारोह में अवार्ड प्रदान किया गया। इसके बाद निदा फाजिल साहब के एक गीत को राजन सेंगुनशे उत्तरा जोशी ने सस्वर सुनाया व उनके सम्मान में बी बी सी के पूर्व प्रोड्यूसर, हेल्थ एंड हैप्पीनेस पत्रिका के संपादक विजय राणा ने सम्मान पत्र पढ़ा फिर निदा साहब को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया।
अब बारी थी उस कवि सम्मलेन की जिसका इंतज़ार वहां उपस्थित सभी लोग कर रहे थे। जिसकी बागडोर शोभित देसाई ने संभाली और इसमें ब्रिटेन के हिंदी/उर्दू कवि मोहन राणा , तितिक्षा, चमनलाल चमन, सोहन राही और स्वम निदा फाज़ली जैसे दिग्गजों ने भाग लिया। कवि सम्मलेन बेहतरीन रहा और श्रोताओं की तालियों और वाह वाह से हॉल लगातार गूंजता रहा।
समारोह की अध्यक्षता कैम्ब्रिज विश्विद्यालय के प्राध्यापक एवं लेखक डॉ. सत्येन्द्र श्रीवास्तव ने की तथा प्रस्तावना यू के हिंदी समिति के अध्यक्ष और पुरवाई के संपादक डॉ पद्मेश गुप्त की रही.वातायन की संस्थापक अध्यक्ष दिव्या माथुर एवं बोरोनेस फ्लेदर ने सभी मेहमानों का धन्यवाद किया।
समारोह में लन्दन केसांस्कृतिक संस्थाओं के अध्यक्ष, साहित्य और पत्रकारिता से जुड़े बहुत से गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे
इसी समारोह के कुछ पल मैंने आप लोगों के लिए सहेजे हैं . रिकॉर्डिंग मोबाइल पर की है इसलिए शायद अच्छी नहीं हुई, फिर भी आप लोगों के साथ सांझा कर रही हूँ। .मन हो तो सुनिए कि क्या सुनाया फ़ाज़ली साहब ने इस समारोह में, और क्या दिया मेरे एक प्रश्न का जबाब ...
कुछ टुकड़े और भी हैं ..वे फिर कभी।
मेरी एक सबसे बड़ी नालायकी यह है कि, हमेशा तस्वीरों के लिए औरों पर निर्भर रहती हूँ. यह तस्वीरें दीपक मशाल के कैमरे Canon 550D से साभार.
सम्मान पत्र पढते हुए मैं.
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अपने बारे में कुछ कहना कुछ लोगों के लिए बहुत आसान होता है, तो कुछ के लिए बहुत ही मुश्किल और मेरे जैसों के लिए तो नामुमकिन फिर भी अब यहाँ कुछ न कुछ तो लिखना ही पड़ेगा न. तो सुनिए. मैं एक जर्नलिस्ट हूँ मास्को स्टेट यूनिवर्सिटी से गोल्ड मैडल के साथ टीवी जर्नलिज्म में मास्टर्स करने के बाद कुछ समय एक टीवी चैनल में न्यूज़ प्रोड्यूसर के तौर पर काम किया, हिंदी भाषा के साथ ही अंग्रेज़ी,और रूसी भाषा पर भी समान अधिकार है परन्तु खास लगाव अपनी मातृभाषा से ही है.अब लन्दन में निवास है और लिखने का जुनून है.
बढ़िया रपट . निदा फाजली जी को सुनना अनुभव होता है . लगता है ब्रिटेन की संसंद के दोनों सदनों में हिंदी कार्यक्रम आये दिन होते रहते है . फोटू के लिए आई फ़ोन का कैमरा भी बुरा नहीं है.
मनभावन प्रस्तुति ! पूरे आयोजन का चित्र उपस्थित हो गया विवरण को पढ़-सुनकर ! निदा फाज़ली सरीखी शख्सियत से रूबरू होना अद्भुत अनुभव होता है ! विश्वभर में उनको जितनी ख्याति मिली है इने-गिने शायरों-फ़नकारों को ही नसीब होती है ! रूहानी और रूमानी एहसासात के शब्दशिल्पी निदा साहब सिक्युलर विचारधारा के व्यक्ति हैं ! उनका स्वर पूरी मानवता का स्वर है, उनका दुःख-दर्द इंसानियत का दुःख-दर्द है ! मनुष्य को मजहब और भाषा के टुकड़ों में बाँटकर देखना उन्हें कतई मंज़ूर नहीं ! आपके प्रश्न के उत्तर में जब वह कहते हैं कि " हिंदी और उर्दू दो जुबानें नहीं हैं " और संकीर्ण सोच रखनेवाले हिन्दू-मुसलमानों पर तंज़ करते हैं, उस वक़्त बयां सच्चाई उनके ह्रदय की सच्चाई ही है ! जिन शायरों-अदीबों ने हिंदी और उर्दू के बीच के फर्क को मिटाकर दोनों भाषाओँ को जोड़ने, करीब लाने का आजीवन जतन किया है, शानी के शब्दों में कहें तो," ऐसे जदीदियों में निदा फाज़ली का नाम सबसे पहले लिया जाएगा!" हार्दिक धन्यवाद शिखा जी इस आयोजन में हमें शामिल करने के लिए ! आपकी रेशमी आवाज़ ने इस प्रस्तुति को बार-बार सुनने की विशिष्टता दी है ! यह क्रम निरंतर बनाए रखिएगा !
"गिरजा में ईसा बसे…मस्जिद में रहमान.. माँ के पैरों तले चले…आँगन में भगवान…" ~वाह ! क्या बात ! आपका सौभाग्य…जो आप इतने बड़े शायर से रू-ब-रू हुईं…! बहुत अच्छा लगा पढ़कर भी और सुनकर भी !:) ~सादर !
शिखा जी आपकी आवाज़ में गज़ब की खनखनाहट है बिलकुल फिरोजाबाद की चूड़ियों की तरह |काश हमारे यहाँ भी हॉउस ऑफ़ लार्ड्स की तरह राज्य सभा में कवियों /शायरों को सम्मानित किया जाता |
एक बार आप जगजीत सिंह साहब के कंसर्ट से आयी थीं और तब आपकी पोस्ट पर मैंने कहा था कि जलन हो रही है आपसे.. आज भी वही कहने को जी चाह रहा है.. मेरे पसंदीदा शायर हैं निदा साहब!! उन्हें प्रणाम और आपका शुक्रिया!!
शिखा जी, वातायन : पोएट्री ऑन साउथ बैंक सम्मान समारोह पर आपकी एक सार्थक प्रस्तुति पढ़ी भी और रिकार्डिंग सुनी भी,भारत के बाहर,भारत के कवियों को सम्मानित करने का प्रयास अभिनंदनीय है,निःसंदेह,यह हिंदी का सम्मान है, हमारी संस्कृति का सम्मान है,भारत का सम्मान है, "बच्चा नक्शा ले कर हाथ में होता है हैरान … कैसे दीमक खा गयी उसका हिंदुस्तान" अद्भुत पंक्तिया समय के सत्य से साक्षात्कार करती. आपका धन्यवाद, युगल गजेन्द्र
इस तरह के स्तरीय कार्यक्रम में शामिल होना ही सम्मानित होने जैसा है शिखा. निंदा साहब को सुनना भी अद्भुत अनुभव है. निश्चित रूप से बहुत शानदार समय गुज़रा होगा तुम्हारा. सुन्दर रपट, शानदार रिकॉर्डिन्ग. बधाई.
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kya bat hai kahte hain ki shikha ka hai andaje bayan aur
badhai
rachana
बच्चा नक्शा ले कर हाथ में होता है हैरान … कैसे दीमक खा गयी उसका हिंदुस्तान …. वाह …बहुत खूब …. निदा फ़ाजली साहब की कलम को नमन ।
रिपोर्ट के साथ साथ यह ऑडियो सुनवाने का बहुत बहुत आभार …
कवि गोष्ठी सुन कर बहुत आनंद आया ।
प्रश्न भी बहुत बढ़िया और उत्तर भी सटीक …. शुरू में कुछ सुनने में कठिनाई हुई पर फिर भी उनका जवाब समझ आ गया ।
खुबसूरत लम्हों की रेकार्डिंग शानदार.
एक सांस्कृतिक शाम की जानदार और नयनाभिराम रिपोर्ट –
तत्वाधान= तत्वावधान
बहुत अच्छी रिपोर्ट..जिनके लेखन में सचमुच में दम है, उन्हें जनता तो सर आँखों पर बिठा कर रखती है।
सुदूर देश में हिंदी के कद्रदान !
कभी कभी यूँ भी हमने अपने जी को बहलाया है
जिन बातों को ख़ुद नहीं समझे औरों को समझाया है
बेहतरीन!
गणमान्य समूह में तुमको देखना बहुत अच्छा लगा …. निदा फाजली की रचनाओं का क्या कहना
शिखा अब शिखर की ओर … बधाई ऐसे मंच पर होने के लिए …और इन लम्हों से हमें रु-ब -रु करवाने के लिए 🙂
बेहतरीन रिपोर्ट !!! रिकोर्डिंग ऑफिस में नहीं सुन पा रहा हूँ, घर जाकर सुनता हूँ 🙂 🙂
khoobsoorat reporting ……… swagat aur badhai ek sath .
बहुत बढ़िया पोस्ट…साझा करने का आभार
बढ़िया रपट . निदा फाजली जी को सुनना अनुभव होता है . लगता है ब्रिटेन की संसंद के दोनों सदनों में हिंदी कार्यक्रम आये दिन होते रहते है . फोटू के लिए आई फ़ोन का कैमरा भी बुरा नहीं है.
shaandar tabsara!
खुबसूरत लम्हा ,,,प्रश्न भी बढ़िया रहा और उत्तर भी सटीक मिला,,,,
RECENT POST:……….सागर .
aakhiri sher different tha..achchha laga..shukriya share krne ke liye.. 🙂
मनभावन प्रस्तुति ! पूरे आयोजन का चित्र उपस्थित हो गया विवरण को पढ़-सुनकर ! निदा फाज़ली सरीखी शख्सियत से रूबरू होना अद्भुत अनुभव होता है ! विश्वभर में उनको जितनी ख्याति मिली है इने-गिने शायरों-फ़नकारों को ही नसीब होती है ! रूहानी और रूमानी एहसासात के शब्दशिल्पी निदा साहब सिक्युलर विचारधारा के व्यक्ति हैं ! उनका स्वर पूरी मानवता का स्वर है, उनका दुःख-दर्द इंसानियत का दुःख-दर्द है ! मनुष्य को मजहब और भाषा के टुकड़ों में बाँटकर देखना उन्हें कतई मंज़ूर नहीं ! आपके प्रश्न के उत्तर में जब वह कहते हैं कि " हिंदी और उर्दू दो जुबानें नहीं हैं " और संकीर्ण सोच रखनेवाले हिन्दू-मुसलमानों पर तंज़ करते हैं, उस वक़्त बयां सच्चाई उनके ह्रदय की सच्चाई ही है ! जिन शायरों-अदीबों ने हिंदी और उर्दू के बीच के फर्क को मिटाकर दोनों भाषाओँ को जोड़ने, करीब लाने का आजीवन जतन किया है, शानी के शब्दों में कहें तो," ऐसे जदीदियों में निदा फाज़ली का नाम सबसे पहले लिया जाएगा!" हार्दिक धन्यवाद शिखा जी इस आयोजन में हमें शामिल करने के लिए ! आपकी रेशमी आवाज़ ने इस प्रस्तुति को बार-बार सुनने की विशिष्टता दी है ! यह क्रम निरंतर बनाए रखिएगा !
कम्प्लीट पैकेज । सुन्दर वर्णन ,सुन्दर चित्र , शानदार आवाज़ ।
सुन्दर फोटोज से सुसज्जित , सुव्यवस्थित लेख . निदा फाजली से मुलाकात और शायरी बहुत बढ़िया रही .
शिखा जी!
वाक़ई बहुत प्यारी पोस्ट है… एक यादगार शाम की…
शुभकामनाएं…
शुभकामनाएँ!!
सही है … मिलना तो हो गया निदा साहब से !
एक खबर जो शायद खबर न बनी – ब्लॉग बुलेटिन आज की ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है … सादर आभार !
ek yadgar sham sajha karne ke liye …abhar
http://kahanikahani27.blogspot.in/
लाजवाब दिन(शाम) रहा होगा वो…
"गिरजा में ईसा बसे…मस्जिद में रहमान..
माँ के पैरों तले चले…आँगन में भगवान…" ~वाह ! क्या बात !
आपका सौभाग्य…जो आप इतने बड़े शायर से रू-ब-रू हुईं…! बहुत अच्छा लगा पढ़कर भी और सुनकर भी !:)
~सादर !
वाह अद्भुत आयोजन अद्भुत रपट ………बहुत खूब
सच में …लाजबाब :))
खूबसूरत प्रस्तुति …
आपका बहुत आभार , इस पोस्ट के लिए |
आपके ऑडियो में आज पहली बार मैंने उनकी आवाज सुनी है | बहुत बड़ा प्रशंसक हूँ मैं उनके शेरों का |
धन्यवाद
सादर
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 08 – 11 -2012 को यहाँ भी है
…. आज की नयी पुरानी हलचल में ….
सच ही तो है …. खूँटे से बंधी आज़ादी ….. नयी – पुरानी हलचल …. .
सुन्दर फोटोज से सुसज्जित , सुव्यवस्थित लेख . निदा फाजली से मुलाकात और शायरी बहुत बढ़िया रही .
बहुत उम्दा जानकारी से भरी पोस्ट |आभार
शिखा जी आपकी आवाज़ में गज़ब की खनखनाहट है बिलकुल फिरोजाबाद की चूड़ियों की तरह |काश हमारे यहाँ भी हॉउस ऑफ़ लार्ड्स की तरह राज्य सभा में कवियों /शायरों को सम्मानित किया जाता |
एक बार आप जगजीत सिंह साहब के कंसर्ट से आयी थीं और तब आपकी पोस्ट पर मैंने कहा था कि जलन हो रही है आपसे.. आज भी वही कहने को जी चाह रहा है.. मेरे पसंदीदा शायर हैं निदा साहब!! उन्हें प्रणाम और आपका शुक्रिया!!
शिखा जी,
वातायन : पोएट्री ऑन साउथ बैंक सम्मान समारोह पर आपकी एक सार्थक प्रस्तुति पढ़ी भी और रिकार्डिंग सुनी भी,भारत के बाहर,भारत के कवियों को सम्मानित करने का प्रयास अभिनंदनीय है,निःसंदेह,यह हिंदी का सम्मान है, हमारी संस्कृति का सम्मान है,भारत का सम्मान है, "बच्चा नक्शा ले कर हाथ में होता है हैरान … कैसे दीमक खा गयी उसका हिंदुस्तान" अद्भुत पंक्तिया समय के सत्य से साक्षात्कार करती.
आपका धन्यवाद,
युगल गजेन्द्र
अच्छी रपट।
इस तरह के स्तरीय कार्यक्रम में शामिल होना ही सम्मानित होने जैसा है शिखा. निंदा साहब को सुनना भी अद्भुत अनुभव है. निश्चित रूप से बहुत शानदार समय गुज़रा होगा तुम्हारा. सुन्दर रपट, शानदार रिकॉर्डिन्ग. बधाई.
देख कर ,सुन कर मन झूम उठा !
दीदी कल ही सुना की IT Act में सुधार हुआ है…और उसके एक नियम के मुताबिक ऐसे जलनशील पोस्ट को ब्लॉग पर लगाना कानूनन अपराध है 🙂 🙂
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