सुबह की धुंध में
उनीदीं आँखों से
देखने की कोशिश में
सिहराती हवा में,
शीत में बरसते हो,
बर्फीली ज्यूँ घटा से.
लिहाफों में जा दुबकी है
मूंगफली की खुशबू.
आलू के परांठे पे
गुड़ मिर्ची करते गुफ्तगू.
लेकर अंगडाई क्या मस्ताते हो
हाय दिसंबर तुम बहुत प्यारे हो.
wpadmin
अपने बारे में कुछ कहना कुछ लोगों के लिए बहुत आसान होता है, तो कुछ के लिए बहुत ही मुश्किल और मेरे जैसों के लिए तो नामुमकिन फिर भी अब यहाँ कुछ न कुछ तो लिखना ही पड़ेगा न. तो सुनिए. मैं एक जर्नलिस्ट हूँ मास्को स्टेट यूनिवर्सिटी से गोल्ड मैडल के साथ टीवी जर्नलिज्म में मास्टर्स करने के बाद कुछ समय एक टीवी चैनल में न्यूज़ प्रोड्यूसर के तौर पर काम किया, हिंदी भाषा के साथ ही अंग्रेज़ी,और रूसी भाषा पर भी समान अधिकार है परन्तु खास लगाव अपनी मातृभाषा से ही है.अब लन्दन में निवास है और लिखने का जुनून है.
Lovely…december sach mein itna pyara hai didi 🙂 🙂 🙂 aur aapki ye pic…kamaaal basss 🙂 kya expression hai!!!!
Lovely Poem 🙂
दिसम्बर पूरे विश्व में लगता है आलू पराँठे और गरमा गरम चाय ले के आता है … और इनका स्वाद भी कड़क ठंड में आता है …
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (10-12-2016) को "काँप रहा मन और तन" (चर्चा अंक-2551) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर…!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपको देख कर तो लगता है, हाय ये ज़िन्दगी भी तो कितनी प्यारी है…
दिसम्बर का भी अपना एक अलग ही मजा है
बहुत सुन्दर ठंड में गरमाती रचना
sach me apki post padh kr sardiya sundar lagne lagi 🙂
बहुत बढ़िया चित्र खींचा है आपने
बेहतरीन पोस्ट। … Thanks for sharing this!! 🙂 🙂
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Very interesting topic, thankyou for putting up. “All human beings should try to learn before they die what they are running from, and to, and why.” by James Thurber.
love u maja aa gaya
nice one