जीवन में छोटी छोटी  खुशियाँ कितनी मायने रखती हैं इसे किसी को समझना हो तो उसके जीने के ढंग से समझा जा सकता था। कोई भी हालात हो या समस्या अगर उसका हल चाहिए तो बैठकर रोने या अपनी किस्मत को कोसने से तो कतई नहीं निकल सकता । हाँ ऐसे समय में सकारात्मकता से सोचा जाये तो जरूर कुछ समाधान निकल सकता है। और यदि न निकले तो जो होना है वो होकर ही रहेगा इस दशा में भी रोते रहने का कोई औचित्य नहीं होता। बल्कि कभी कभी हम इस नकारात्मक दल दल में इस कदर धस जाते हैं कि बची खुची खुशिया भी गँवा देते है। 
उससे बेहतर है कि हालात अनुकूल हों या प्रतिकूल एक स्मित हमेशा रहे, जिसे देख कर सामने वाले को भी सुकून आये और फिर what goes around comes around. वह मुस्कान जरूर  लौट कर आपके पास आएगी। कुछ ऐसा ही फलसफा था उनका जिसका हर लफ्ज़ वे जीते भी थे। मुश्किल कुछ भी रही हो हर पल को भरपूर जीना और अपने आसपास सबको जीना सिखाना यही शायद लक्ष्य था उनका। 
और इसीलिए आज भी हर पल वह मुस्कान मेरे साथ ही रहती है। 



और आज –

बड़ी अलमारी की ऊपरी शेल्फ के
एक कोने में रखी पापा की घड़ी,
आज उचक कर आ गिरी है.
कहने लगी क्यों
मुझे बंद अलमारी में जगह दी है
चलते वक़्त के साथ भी थम सी गई हूँ
अकेले पड़े पड़े मैं अब थक गई हूँ.
देख मेरी नाड़ियों में अब भी रवानी है 

जैसे धड़कन में किसी की अब भी जवानी है 
सुन कुछ बातें हैं , जो मुझे आज करनी हैं।  
तेरी सुननी है और कुछ अपनी कहनी है 

तब नेह से उठा मैंने उसे कलाई से लगाया है
शायद पापा का मन आज फिर, 

मेरी उंगली पकड़ टहलने का कर आया है ।


पापा मम्मी और हम तीनों बहने 🙂

So I am walking with him today on his birthday and saying Happy Birthday Papa 🙂