यूँ ही कभी कभी
ठन्डे पड़ जाते हैं
मेरे हाथ.
तितलियाँ सी यूँ ही
मडराने लगती हैं पेट में.
ऊंगलियाँ
करने लगती हैं अठखेलियाँ
यूँ ही एक दूसरे से .
पलकें स्वत: ही
हो जाती हैं बंद.
और वहाँ
बिना किसी जुगत के ही
कुछ बूंदे
निकल आती हैं धीरे से.
काश कि तेरे पोर उठा लें
और कह दें उन्हें मोती.
या बिना हवा के ही
उड़ जाये ये लट
तेरी सांसो से.
तो ये धूप भी
पलकों पर बैठ जाये
और चमक जाये
फूलझड़ी सी.
माना ये सब
बातें हैं फ़िज़ूल की.
पर फिर भी
कभी कभी यूँ ही
थोड़ा सा रूमानी होने में
बुरा क्या है…
बहुत बढ़िया… स्पंदित करती कविता…
शिखा जी बहुत अच्छी लगी ये जानकारी जिसे पड़कर लगता है की आप एक अच्छी लेखक है आप लोग मेरे ब्लॉग पर भी आये जहा आपको मिलेगा बहुत कुछ लेबल में से अपनी पसंद की रचना चुने मेरे ब्लॉग पर आने के लिए यहाँ क्लिक करे
सुन्दर ….बिलकुल होइए रोमानी और जब-जब होइए तब-तब इसी तरह हमें भी अवगत कराते रहिये….बढ़िया.
पंकज झा.
जी बिलकुल …थोडा सा रोमानी होने में कोई हर्ज़ नहीं है … खास कर अगर मौसम भी साथ दें और साथी भी !!
कुछ भी बुरा नहीं है, बल्कि जिन्दगी के कुछ पल ऐसे ही होने चाहिए और होते भी हैं. जिसमें मनचाहा हो तो दिल खुश हो जाता है.
aiwen hi…………..:D
par sach me koi farak nahi parta..!!
khud ko khush karna kab se bura hone laga!!
कभी कभी क्यों , हमेशा रूमानी रहना चाहिए । आखिर ये जिंदगी होती ही कितनी लम्बी है ।
कभी कभी यूँ ही
थोडा सा रूमानी होने में
बुरा क्या है… kuch bura nahi… chalo thoda rumani ho len
कभी कभी यूँ ही
थोडा सा रूमानी होने में
बुरा क्या है — बुरा तो बिल्कुल नहीं…बल्कि बेहद खूबसूरत होता है हर पल रोमानी होना 🙂
अपनी ही एक कविता की एक पंक्ति…. "मेरे पास सिर्फ एक लम्हा है जो प्यार से लबालब भरा है..उसे हर पल जीने दो..हर पल पीने दों" ज़िन्दगी बस यही इक पल है..
थोड़ा-सा रुमानी होने में कोई बुरा नहीं है जी….
फिज़ूल की न कहें…बिना रुमानियत के भला कोई जिन्दगी है….बहुत खूब!!!!
कविता के भाव रूमानियत बिखेर रहे हैं …
बधाई आपको इतनी सुंदर कविता के लिए …!!
बहुत सुन्दर..रूमानियत से भरपूर..बहुत कोमल अहसास..
अंदाज़ कुछ जुदा सा…
अच्छा लगता है.
कोई बुराई नहीं हैं… बल्कि आवश्यक है जीवन जीने के लिए ! शुभकामनायें आपको !
बहुत ही खूबसूरत !
मेरे ब्लॉग पर भी आपका स्वागत है : Blind Devotion
थोडा सा रूमानी होने में
बुरा क्या है
बहुत ही सुंदर…. यूँ ही कभी कभी….. रूमानियत भी ज़रूरी है : )
चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 31 – 05 – 2011
को ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ …शुक्रिया ..
साप्ताहिक काव्य मंच — चर्चामंच
बहुत सुन्दर बहुत कोमल अहसास..
हर शब्द बहुत कुछ कहता हुआ, बेहतरीन अभिव्यक्ति के लिये बधाई के साथ शुभकामनायें ।
बहुत सुंदर..
बहुत मधुर भाव समेटे है..
माना ये सब
बातें हैं फ़िज़ूल की
पर फिर भी
कभी कभी यूँ ही
थोडा सा रूमानी होने में
बुरा क्या है
the very basic nature of human being. We always make exceptions !!
sunder bhaw.
रुमानी भाव लिए रोमानी कविता … हृदय को स्पन्दित कर गई।
कभी कभी यूँ ही
थोडा सा रूमानी होने में
बुरा क्या है…
बहुत सुन्दर रचना,
– विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
कभी कभी यूँ ही
थोडा सा रूमानी होने में
बुरा क्या है.
ये भी सच कहा. हाँ थोड़ी फ्रिकुएँसी बढाई भी सकती है. दिल कुश कर दिया. बढ़िया.
या बिना हवा के ही
उड़ जाये ये लट
तेरी सांसो से
तो ये धूप भी
पलकों पर बैठ जाये
और चमक जाये
फूलझड़ी सी
आदरणीय शिखा जी
बहुत भावपूर्ण लेकिन नए अंदाज में रची गयी रचना ….मन के भावों को उद्वेलित करती है …आपका आभार
रुमानी होने पर ही रुमानी कविताएं होती हैं।
इसलिए रुमानी होना चाहिए।
सुंदर भावाभिव्यक्ति
आभार
'थोडा सा रूमानी होने में बुरा क्या है' सवालिया तरीके से मानों नसीहत.
रूमानियत छलक रही है हर लफ्ज से , बड़ी सुँदर और रूमानी मुद्राये कल्पना में आती है आपके..ऐसे ही बने रहिये रूमानी और हम सबको रूहानी कविताये पढने की मिलती रहेगी.
लगता है लन्दन की बर्फ पिघल रही है 🙂
या बिना हवा के ही
उड़ जाये ये लट
तेरी सांसो से
वाह … क्या बात है ! बहुत सुन्दर !
rumaaniyat se bhari rachna kamaal hai.bahut achche shabdon ka prayog kiya hai.really awesome creation.
कभी-कभी रूमानी होने में बुरा क्या है? अरे रोज ही होइए, उम्र है आपकी। अच्छी कविता।
Very appealing creation Shikha ji !
माना ये सब बातें हैं
फ़िज़ूल की
पर फिर भी
कभी कभी
यूँ ही थोडा सा रूमानी
होने में
बुरा क्या है…
अरे किसने कहा कि ये बातें फ़िज़ूल की हैं …कितनी खूबसूरत कल्पना ..पलकों पर धूप आ कर बैठ जाये .. साँस से चेहरे पर पड़ी लट हट जाए .. वाह वाह ..जैसा सोचोगी वैसा ही महसूस भी करोगी …
सुन्दर रचना …रुमानियत से भरी हुयी
कभी कभी यूँ ही
थोडा सा रूमानी होने में
बुरा क्या है
बहुत बढ़िया शिखा जी ….
kaun kehta hai burai hai romantic hone mein …is gulabi hawa ke asar waali poem bahut pyaari lagi
पर फिर भी
कभी कभी यूँ ही
थोडा सा रूमानी होने में
बुरा क्या है
शानदार 🙂
rumaniyat ki khumariyat to khoob kahi aapne!burai ye hai ki kabhikabhi kyun hua jaye, ye to sadabahar falsafa hona chahiye!
achha laga padhna!
माना ये सब
बातें हैं फ़िज़ूल की
पर फिर भी
कभी कभी यूँ ही
थोडा सा रूमानी होने में
बुरा क्या है
nahi koi burai nahi hai.sundar abhivyakti.
बहुत सुन्दर अभिवयक्ति
विकास गर्ग
vikasgarg23.blogspot.com
वाह … बहुत खूब ।
फिर भी कभी कभी यूँ ही थोडा सा रूमानी होने में बुरा क्या है
अरे किसने कहा…………पूरी तरह रोमानी होना चाहिये हर लम्हे को कैद कर लेना चाहिये ……………बहुत सुन्दर लिखा है सुन्दर भाव पिरोये है।
बहुत बढ़िया… स्पंदित करती कविता…मेरे ब्लॉग पर जरुर आए ! आपका दिन शुब हो !
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Shayari Dil Se
बिलकुल भी कुछ बुरा नहीं है शिखाजी ! यह रूमानियत ही है जो जीने के लिये थोड़ा सा मकसद दे जाती है ! बहुत मीठी सी कोमल सी रचना ! अति सुन्दर !
बिना हवा के ही
उड़ जाये ये लट
तेरी सांसो से
तो ये धूप भी
पलकों पर बैठ जाये
और चमक जाये
फूलझड़ी सी
माना ये सब
बातें हैं फ़िज़ूल की
पर फिर भी
कभी कभी यूँ ही
थोडा सा रूमानी होने में
बुरा क्या है….
..
अजी शिखा जी….कभी कभार रूमानी हो ही जाना चाहिए…..अब मशीनें कहाँ रूमानी होती है देखो
आप कमाल का लिखते हो ….!
कभी कभी यूँ ही
थोडा सा रूमानी होने में
बुरा क्या है
सच कहा …प्यार का एहसास ही रोमानी होने के लिए काफी है …
इसे आप थोड़ा सा रूमानी होना कहती हैं???? ठन्डे हाथ, भीगी पलकें, पलकों पर चमकते मोती, काली लटे… अब बाकी ही क्या रहा जिसे आप "थोड़ा" कह रही हैं!!
यूँ ही थोडा सा रूमानी होने में बुरा क्या है … कुछ भी बुरा नहीं ! बहुत अच्छी लगी आपकी रचना ..
कभी कभी यूँ ही
थोडा सा रूमानी होने में
बुरा क्या है
कोई बुराई नहीं है रूमानी होने में .खुबसूरत अहसास , मुबारक हो
दिल की गहराइयों से निकली आपकी यह कविता सबके दिलों को छू गयी .
चलो थोड़ा रूमानी हो जायें।
aummm ! ahem ahem ! Romance in air shikha ! I loved it lady ! 🙂
shikha ji
bahut hi behtreen——-
तेरी सांसो से
तो ये धूप भी
पलकों पर बैठ जाये
और चमक जाये
फूलझड़ी सी
माना ये सब
बातें हैं फ़िज़ूल की
पर फिर भी
कभी कभी यूँ ही
थोडा सा रूमानी होने में
बुरा क्या है
shabdo ke khoobsurat chayan ke saath hi saath vimbo ka pryog kar apni racha ko char -chand laga deti hain.jivan ke har pal hi aise khunuma mahoul me beete to kitna hi achha ho .
kabhi -kabhi thoda rumani hona bhi chahiye .aakhir ham apne karyo ke ruteen ko badlte hi rahte hain to isme bhi thoda badlav lane se rumani ho jaayen ya yun kahiye ki jarur hona chahiye to kya harj hai —–;)
poonam
या बिना हवा के ही
उड़ जाये ये लट
तेरी सांसो से
वाह ! बहुत सुन्दर
मशीन चल रही है.चलती ही रहेगी.यही रूमानियत अहसास दिला जाती है कि हम जीवित हैं.एक ह्रदय भी है जिसमें स्पंदन भी होता है.सुन्दर रचना.
बहुत अच्छी
बहुत ही खुबसूरत एहसास…
जीवन की इस आपाधापी में कभी कभी रूमानी हो जाना बुरा नहीं |
पेट में
ऊंगलियाँ
🙂
ये पढ़ कर रफ़ी साहब का गाना याद आ गया…
न झटको ज़ुल्फ से पानी, ये मोती टूट जाएंगे,
तुम्हारा कुछ न बिगड़ेगा, मगर कई दिल टूट जाएंगे…
जय हिंद…
बहुत खूब … चलो कुछ रोमानी सा हुवा जाए … लाजवाब रचना
sundar bhavabhivyakti.
bahut hi sunder likha hai aapne,
vese roomani hone mein kya bura hai,acha hai ab hum bhi roomani ho kar dekhenge….:)good1.
aapke blog par aakar accha laga.
कभी कभी यूँ ही
थोडा सा रूमानी होने में
बुरा क्या है
bahan kitni msunder baat kahi aapne jeevan hai aesa .sada hi rumani rahr yahi kamna hai
rachana
यदि जीवन में थोड़ी रूमानियत न रहे तो जीवन अकारथ है। यूँ ही नहीं, अनिवार्य है रूमानी होना।
बस एक सनम चाहिए आशिकी के लिए…
Shikha varshney ji,
चूंकि रोमांटिक बातें मैं नहीं समझ पाता इसलिए चाहते हुए भी अपनी राय नहीं दे पाता. क्या ऐसा नहीं हो सकता की हम अपने जीवन के मकसद को समझ लें और फिर अपनी प्रतिभा का समाज निर्माण आदि के कामों में प्रयोग करें. उम्मीद है क्षमा करेंगी.
बहुत सुन्दर प्रयास…सुन्दर रचना……..
bahut hi rumaani,premmai kavitaa badhaai aapko.
please visit my blog and feel free to comment.thanks.
कभी कभी यूँ ही
थोडा सा रूमानी होने में
बुरा क्या है
रूमानियत नहीं तो ज़िन्दगी कैसी.
खूबसूरत रचना
blog ke madhyam se apne vicharon ko sudhi jano tak pahunchane ka silsila ghafil sir ki prerna se hua. aap jis tarah ghafil sir ke blog tak pahunchi usi tarah utsuktavas main aapke blog tak pahuch hoon.. about me mein aapne badi sahajta se apni pratibha ke brihad swaroop ka parichaya binamrta ke sath diya hai.. aaj ka samay to aapke awards aapki naveentam rachnao ko padhne mein gujra.. bahut hi accha likhti hai aap.. kabhi hamein bhi aapka margdarsha mile to hamare liye tohfa hoga..apne shabdon ke phoolon se guldasta to saja baithe hain… ek dapha aaina gar aap dikha dein to inayat hogi
punah dher sari badhaeyon ke sath
kabhi kabhi mere dil mai khyal aata hai ki jaise tujh ko banaya gaya hai mere liye….
बहुत उम्दा…..
Regards
Suman
http://tum-suman.blogspot.com
आज 21/08/2012 को आपकी यह पोस्ट (विभा रानी श्रीवास्तव जी की प्रस्तुति मे ) http://nayi-purani-halchal.blogspot.com पर पर लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!
बातें हैं फ़िज़ूल की
पर फिर भी
कभी कभी यूँ ही
थोडा सा रूमानी होने में
बुरा क्या है
…बातें फ़िज़ूल की बिलकुल नहीं हैं …….रूहानियत और रूमानियत ….जीवन में ….Aurora Borealis aur Australis का काम करते हैं …..जो हमारे आसमान को और खूबसूरत और रंगीन बना देते हैं
यूँ ही रूमानी होने में बुरा भी क्या है ।
????
अप्रतिम
I enjoy the efforts you have put in this, thanks for all the great articles.
Thanks-a-mundo for the article post. Really Cool.