क्यों घिर जाता है आदमी, अनचाहे- अनजाने से घेरों में, क्यों नही चाह कर भी निकल पाता , इन झमेलों से ? क्यों नही होता आगाज़ किसी अंजाम का ,क्यों हर अंजाम के लिए नहीं होता तैयार पहले से? ख़ुद से ही शायद दूर होता है हर कोई यहाँ, इसलिए आईने में ख़ुद को पहचानना चाहता है, पर जो दिखाता…