मॉस्को स्टेट यूनिवर्सिटी अभी तक आपने पढ़ा कि कैसे हमारा वेरोनिश से मॉस्को जाना तय हो गया था और हम हंसी ख़ुशी तैयारियों में लग गये थे कि चलो अब कम से कम इंडिया की टिकट के लिए मॉस्को के चक्कर लगाना तो बचेगा..पर नहीं जी अगर इतना आसान सब हो जाये तो भगवान को पूछेगा ही कौन ? असली तूफान आना…
आइये आज आपको ले चलती हूँ एडिनबर्ग .स्कॉट्लैंड की राजधानी.- स्कॉट्लैंड- जो १७०७ से पहले एक स्वतंत्र राष्ट्र था , अब इंग्लैंड का एक हिस्सा है और ग्रेट ब्रिटेन के उत्तरी आयरलैंड के एक तिहाई हिस्से को घेरे हुए है ,दक्षिण में इंग्लैंड की सीमा को छूता है तो पूर्व में नोर्थ सी को, जिसके उत्तर पश्चिम में अटलांटिक…
बच्चों की छुट्टियाँ ख़त्म होने को आ गईं हैं और उनका सब्र भी …ऐलान कर दिया है उन्होंने कि आपलोगों को हमारी कोई परवाह नहीं बस अपने काम से काम है. हम सड़ रहे हैं घर पर .बात सच्ची थी तो गहरा असर कर गई .इसलिए हम जा रहे हैं एक हफ्ते की छुट्टी पर बच्चों को घुमाने . तब…
वेरोनेश युनिवेर्सिटी. अब तक आप ये तो यहाँ पढ़ ही चुके हैं कि कैसे हम गिरते पड़ते अपना रुसी भाषा का फाउन्डेशन कोर्स करने अपनी पहली मंजिल वोरोनेश तक पहुंचे थे | अब शुरू होता है उसके आगे का सफ़र. १९९०-९१ का वो समय रशिया में पेरोस्त्रोइका का था बहुत से बदलाव आ रहे थे | बाहरी दुनिया से रशिया का परिचय…
अभी कुछ दिन पहले मुझे ये ख्याल आया था कि खाली दिमाग कवि का घर …ये बात कही तो मैंने बहुत ही लाईट मूड में थी. पर फिर हाल ही में ,आजकल के कवियों पर पढी एक पोस्ट से पुख्ता हो गई ..वो क्या है आजकल हम लोगों के पास करने को तो और कुछ होता नहीं ..ना गेहूँ बीनने हैं…
आइये आज आप सबको ले चलती हूँ रिवर थेम्स के क्रूज पर. नदी के किनारे बहुत सी एतिहासिक इमारतें हैं और उनकी एक अपनी पहचान भी है ..पर मेरी नजरों को देखिये वो उनसे अलग भी कुछ देख लेती हैं ..तो आपको दिखाती हूँ कुछ तथ्य और कुछ अपने कथ्य 🙂 सबसे पहले लन्दन आई – अरे मैं लन्दन नहीं आई.…
चाँद हमेशा से कल्पनाशील लोगों की मानो धरोहर रहा है खूबसूरत महबूबा से लेकर पति की लम्बी उम्र तक की सारी तुलनाये जैसे चाँद से ही शुरू होकर चाँद पर ही ख़तम हो जाती हैं.और फिर कवि मन की तो कोई सीमा ही नहीं है उसने चाँद के साथ क्या क्या प्रयोग नहीं किये…बहुत कहा वैज्ञानिकों ने कि चाँद की…
आज मुस्कुराता सा एक टुकडा बादल का मेरे कमरे की खिड़की से झांक रहा था कर रहा हो वो इसरार कुछ जैसे जाने उसके मन में क्या मचल रहा था देखता हो ज्यूँ चंचलता से कोई मुझे अपनी उंगली वो थमा रहा था कह रहा हो जैसे आ ले उडूं तुझे मैं बस पाँव निकाल देहरी से बाहर जरा सा.…
दूसरे कमरे से आवाज़े आ रही थीं .एक पुरुष स्वर -..” इतना बड़ा हो गया किसी काम का नहीं है …इतने बड़े बच्चे क्या क्या नहीं करते ..जब देखो टीवी और गेम या खाना ..जरा भी फुर्ती नहीं है ..एकदम उत्साह विहीन .ना जाने क्या करेंगे अपनी जिन्दगी में …” फिर एक महिला का स्वर आया …” अरे अहिस्ता बोलो…
जी हाँ झुलस रहा है लन्दन. यहाँ पारा आज ३२ डिग्री तक पहुँच गया है जो अब तक के साल का का सबसे गरम दिन है .यहाँ के मेट ऑफिस के अनुसार अगले २ दिन तक यही स्थिति रहेगी. . जहाँ लन्दन के पार्क और समुंद्री तट लोगों से भरे पड़े हैं वहीँ ऑफिस में लोग ब्रेक में सूर्य किरणों का…