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६ फरवरी …. . मेरे दिल के बहुत करीब है ये तारीख ,मेरे हीरो का जन्म दिवस…जी हाँ एक ऐसा इंसान जो जिन्दगी से भरपूर था ..जीवन के हर पल को पूरी तरह जीता था. एक मेहनतकश इंसान…. जिसके शब्दकोष में असंभव शब्द ही नहीं था,..व्यक्तित्व ऐसा रौबीला कि सामने वाला मुंह खोलते हुए भी एक बार सोचे ,आवाज़ ऐसी…

“In my next life I would like to be born an indian” जी नहीं… ये कथन मेरा नहीं ,मुझे तो ये रुतबा हासिल है….यह कथन है एक अंग्रेज़ का ..जी हाँ ठीक सुना आपने वो अंग्रेज़ जिन्हें भारत में कमियां और अपने देश में खूबियाँ ही नजर आती हैं.यह कहना है Sebastian Shakespeare का जो हाल ही में २ हफ्ते…

तुम्हारे उठने और  मेरे गिरने के बीच  बहुत कम फासला था.  बहुत छोटी सी थी ये जमीं  या तो तुम उठ सकते थे  या मै ही,  मैंने  उठने दिया दिया था तुम्हे  अपने कंधो का सहारा देकर  उसमे झुक गए मेरे कंधे  आहत हुआ अंतर्मन  पर ह्रदय प्रफुल्लित था  आत्मा की आवाज़ सुनकर.  पर आज  सबकुछ नागवार सा है,  भूल…

अक्सर हमने बुजुर्गों को कहते सुना है कि ये बाल हमने धूप में सफ़ेद नहीं किये…..वाकई कितनी सत्यता है इस कहावत में …जिन्दगी यूँ ही चलते चलते हमें बहुत कुछ सिखा देती है और कभी कभी जीवन का मूल मन्त्र भी हमें यूँ ही अचानक किसी मोड़ पर मिल जाता है.अब आप सोच रहे होंगे कि किस लिए इतनी भूमिका…

सर उठा रहा भुजंग है  क्रोध, रोष, दंभ है  बेबस है लाल भूमि के  शत्रु हो रहा दबंग है  फलफूल रहा आतंक है  और सो रहा मनुष्य है  अपनी ही माँ की छाती पर  वो उड़ेल रहा रक्त है  जिन चक्षु में था नेह भरा वो पीड़ा से आज बंद हैं  माँ कहे मुझे नहीं देखना  मेरी कोख पर लगा…

नजरें. कुछ और कह रही लब की अलग कहानी है देते आगे से मिश्री और पीछे हाथ में आरी है कोई बड़ा हुआ है कैसे और कोई कैसे चढ़ा हुआ है खींचो पैर गिराओ भू पर ये किस की शामत आई है. . रख कर पैर किसी के सर बस अपनी मंजिल पानी है. है हाथ दोस्ती का बढा हुआ.…

Venice city बहुत साल पहले एक फिल्म आई थी ” द ग्रेट गेम्बलर ” उसमें अमिताभ बच्चन और जीनत अमान पर एक गाना फिल्माया गया था ” दो लफ़्ज़ों की है दिल की कहानी ” वेनिस में गंडोले (एक तरह की लम्बी नोंक वाली नाव जिसे नाविक उसके पिछले छोर पर खड़ा होकर चलाता है ) पर फिल्माए इस गीत…

उगता सूर्य कल यूँ बोला, चल मैं थोडा ताप दे दूं  ले आ अपने चुनिन्दा सपने कुछ धूप मैं उन्हें दिखा दूँ   उल्लासित हो जो ढूंढा  कोने में कहीं पड़े थे,  कुछ सीले से वो सपने निशा की ओस से भरे थे. गत वो हो चुकी थी उनकी  लगा श्रम बहुत उठाने में  जब तक टाँगे बाहर आकर  सूरज जा…

इस पोस्ट की प्रेरणा मुझे खुशदीप जी की पोस्ट से मिली है. अभी १- २ दिन पहले उन्होंने पत्नियों को समझने के १० commandments बताये थे. जो बहुत मजेदार थे सबने बहुत आनंद उठाया ,परन्तु वो सिक्के का एक पहलू था , और दूसरा पहलू न दिखाया जाये तो ये बात तो ठीक नहीं .तब मैने वादा किया था खुशदीप…

आज भी, जब भी विदेशी मीडिया में हिन्दुस्तान का जिक्र होता है तो उसमें सांप भालू का नाच दिखाते लोग, मूर्तियों को दूध पिलाते लोग दिखाए जाते हैं, भारत को किस्से कहानियों का, तमाशबीनों का देश समझा जाता है जिसके नागरिक किवदंतियों और चमत्कारिक कहानियों को अपना इतिहास बताते हैं. जी हाँ, बरसों से सुनते आये हैं कि हम भारतीय बेबकूफ…