लन्दन डायरी

हमारी भारतीय संस्कृति में “दान” हमेशा छुपा कर करने में विश्वास किया जाता रहा है.कहा भी गया है कि दान ऐसे करो कि दायें हाथ से करो तो बाएं हाथ को भी खबर न हो. ऐसे में अगर यह दान “शुक्राणु दान ” हो तो फिलहाल हमारे समाज में इसे छुपाना लगभग अनिवार्य ही हो जाता है.हालांकि हाल में ही…

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है. और आपस में मिलजुल कर उत्सव मनाना उसकी जिंदगी का एक अहम् हिस्सा है। जब से मानवीय सभ्यता ने जन्म लिया उसने मौसम और आसपास के परिवेश के अनुसार अलग अलग उत्सवों की नींव डाली, और उन्हें आनंददायी बनाने के लिए तथा एक दूसरे से जोड़ने के लिए अनेकों रीति रिवाज़ों को बनाया। परिणामस्वरूप स्थान व स्थानीय सुविधाओं को देखते हुए आपस में मिलजुल कर…

यूँ सामान्यत: लोग जीने के लिए खाते हैं परन्तु हम भारतीय शायद खाने के लिए ही जीते हैं. सच पूछिए तो अपने खान पान के लिए जितना आकर्षण और संकीर्णता मैंने हम भारतीयों में देखी है शायद दुनिया में किसी और देश, समुदाय में नहीं होती।  एक भारतीय, भारत से बाहर जहाँ भी जाता है, खान पान उसकी पहली प्राथमिकता भी होती है और मुख्य…

“क्या आपके कारोबार में घाटा हो रहा है?,या आपके बच्चे आपका कहा नहीं मानते और उनका पढाई में मन नहीं लगता , या आपकी बेटी के शादी नहीं हो रही ? क्या आप पर किसी ने जादू टोना तो नहीं किया ? यदि हाँ तो श्री …..जी महाराज आपकी समस्या का समाधान कर सकते हैं। यदि आप पर किसी ने काला जादू किया है तो ऊपर वाले की…

यूँ सुना था तथाकथित अमीर और विकसित देशों में सड़कों पर जानवर नहीं घूमते. उनके लिए अलग दुनिया है. बच्चों को गाय, बकरी, सूअर जैसे पालतू जानवर दिखाने के लिए भी चिड़िया घर ले जाना पड़ता है. और जो वहां ना जा पायें उन्हें शायद पूरी जिन्दगी वे देखने को ना मिले.ये तो हमारा ही देश है जहाँ न  चाहते हुए भी हर…