कुछ कहते हैं शब्दों के पाँव होते हैं वे चल कर पहुँच सकते हैं कहीं भी दिल तक, दिमाग तक,जंग के मैदान तक. कुछ ने कहा शब्दों के दांत होते हैं काटते हैं, दे सकते हैं घाव, पहुंचा सकते हैं पीड़ा। मेरे ख़याल से तो शब्द रखते हैं सिर्फ अपने रूढ़ अर्थ कब, कहाँ, कैसे,कहे, लिखे, सुने गए यह कहने सुनने वाले की नियत पर है निर्भर कोई भी शब्द अच्छा या…

एक ज्योतिषी ने एक बार कहा थाउसे वह मिलेगा सबजो भी वह चाहेगी दिल सेउसने मांगापिता की सेहत,पति की तरक्की,बेटे की नौकरी,बेटी का ब्याह,एक अदद छत.अब उसी छत पर अकेली खड़ीसोचती है वोक्या मिला उसे ?ये पंडित भी कितना झूठ बोलते हैं. ************************ चाहते हैं हम कि बन जाएँ रिश्ते जरा से प्रयास से थोड़ी सी गर्मी से और थोड़े से…

सपाट चिकनी सड़क के किनारे कच्चे फुटपाथ सी लकीर और उसके पीछे कंटीली झाड़ियों का झुण्ड आजू बाजू सहारा देते से कुछ वृक्ष और इन सबके साथ चलती किसी के सहारे पे निर्भर यह कार सी जिन्दगी चलती कार में से ना जाने क्या क्या देख लेती हैं ये ठिठकी निगाहें. ******************** पल पल झपकती पुतलियों के मध्य पनपता एक दृश्य श्वेत…

कुछ अंगों,शब्दों में सिमट गई जैसे सहित्य की धार कोई निरीह अबला कहे, कोई मदमस्त कमाल. ******************* दीवारों ने इंकार कर दिया है कान लगाने से जब से कान वाले हो गए हैं कान के कच्चे. ********************* काश जिन्दगी में भी गूगल जैसे ऑप्शन होते जो चेहरे देखना गवारा नहीं उन्हें “शो नेवर” किया जा सकता और अनावश्यक तत्वों को…

क्या दे सजा उसको क्या फटकारे उसे कोई , हिमाक़त करने की भी जिसने इज़ाजत ली है ********* हमारे दिन रात का हिसाब कोई जो मांगे तो क्या देंगे अब हम उसके माथे पे बल हो, तो रात और फैले होटों पे दिन होता है. ************** उसकी पलकों से गिरी बूंद ज्यूँ ही मेरी उंगली से छुई हुआ अहसास कितने गर्म ये जज़्बात होते हैं . ************ तेरे दिल के पास जो …

तेरे रुमाल पर जो धब्बे नुमायाँ हैं साक्षी हैं हमारे उन एहसासात के एक एक बूँद आंसू से जिन्हें हमने साझा किया था सागर की लहरों को गिनते हुए. ******************************** इतनी देर तक जो इकठ्ठा होते रहे उमड़ते रहे घुमड़ते रहे इन आँखों में. अब जो छलके तो गुनगुने नहीं ठन्डे लगेंगे ये आंसू. ************************ * बंद होते ही पलक से जो बूँद शबनम सी गिरती…