गद्य

लड़कियों का स्कूल हो तो सावन के पहले सोमवार पर पूरा नहीं तो आधा स्कूल तो व्रत में दिखता ही था. अपने स्कूल का भी यही हाल था. सावन के सोमवारों में गीले बाल और माथे पर टीका लगाए लडकियां गज़ब खूबसूरत लगती थीं. ऐसे में अपना व्रती न होना बड़ा कसकता था और फैशन में पीछे रह जाने जैसी…

10वीं 12वीं का रिजल्ट आया. किसी भी बच्चे के 90% से कम अंक सुनने में नहीं आये. पर इतने पर भी न बच्चा संतुष्ट है न उनके माता पिता। इसके साथ ही सुनने में आया पिछड़ी पीढ़ी का आलाप कि हमारे जमाने में तो इसके आधे भी आते थे तो लड्डू बांटते थे.  यह मुझे कुछ ऐसा ही लगता है…

एक बड़े शहर में एक आलीशान मकान था. ऊंची दीवारें, मजबूत छत, खूबसूरत हवादार कमरे और बड़ी बड़ी खिड़कियाँ जहाँ से ताज़ी हवा आया करती थी.  उस मकान में ज़हीन, खूबसूरत और सांस्कृतिक लोग प्रेम से रहा करते थे. पूरे शहर में उस परिवार की धाक थी. दूर दूर से लोग उनका घर देखने और उनके यहाँ अपना ज्ञान बढ़ाने…

“महिला लेखन की चुनौतियाँ और संभावना” महिला लेखन की चुनौतियां – कहाँ से शुरू होती हैं और कहाँ खत्म होंगी कहना बेहद मुश्किल है. एक स्त्री जब लिखना शुरू करती है तब उसकी सबसे पहली लड़ाई अपने घर से शुरू होती है. उसके अपने परिवार के लोग उसकी सबसे पहली बाधा बनते हैं. और उसकी घरेलू जिम्मेदारियां और कंडीशनिंग उसकी कमजोरी। क्या…

पता है; पूरे 18 साल होने को आये. एक पूरी पीढ़ी जवान हो गई. लोग कहते हैं दुनिया बदल गई. पर आपको तो ऊपर से साफ़ नजर आता होगा न. लगता है कुछ बदला है ? हाँ कुछ सरकारें बदल गईं, कुछ हालात बदल गए. पर मानसिकता कहाँ बदली ? न सोच बदली.  आप होते तो यह देखकर कितने खुश होते न कि लड़कियां आत्म…

यूँ देखा जाए तो यह साल  पूरी दुनिया के लिए ही खासा उथल पुथल वाला साल रहा. वहाँ भारत में नोटबंदी हंगामा मचाये रही, उधर अमरीका में विचित्र परिस्थितियों में डोनाल्ड ट्रंप की जीत हो गई और इधर ब्रिटेन ने यूरोपीय संघ से किनारा कर लिया.  हालाँकि रेफेरेंडम के नतीजे आने के तुरंत बाद ही इन्टरनेट पर उसे लेकर पछतावे की…

एक बेहद दुखद सूचना अभी अभी मिली है कि प्रख्यात हिंदी साहित्यकार डॉ. विवेकी राय का आज सुबह पौने पांच बजे वाराणसी में निधन हो गया है। बीते 19 नवंबर को ही उन्होंने अपना 93वां जन्मदिन मनाया था.  उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा यश भारती से भी सम्मानित विवेकी राय जी ने हिंदी में ललित निबंध, कथा साहित्य, उपन्यास के साथ साथ भोजपुरी साहित्य में भी एक आंचलिक उपन्यासकार…

अमरीका के एक प्रसिद्ध लेखक रे ब्रैडबेरि का कहना है कि अपनी आँखों को अचंभों से भर लो, जियो ऐसे कि जैसे अभी दस सेकेण्ड में गिर कर मरने वाले हो, दुनिया देखो, यह कारखानों में बनाए गए या खरीदे गए किसी भी सपने से ज्यादा शानदार है.  वाकई घुमक्कड़ी, यायावरी या पर्यटन ऐसी संपदा है जो आपके व्यक्तित्व को अमीर बनाती है और शायद…

वह बृहस्पतिवार का दिन था – तारीख 23 जून 2016  – जब एक जनमत संग्रह के लिए मतदान किया जाने वाला था. इसमें वोटिंग के लिए सही उम्र के लगभग सभी लोग वोट कर सकते थे वे फैसला लेने वाले थे कि यूके को  योरोपीय संघ का सदस्य बना रहना चाहिए या उसे छोड़ देना चाहिए.  इस जनमत संग्रह में…

बस एक दिन बचा है. EU के साथ या EU के बाहर. मैं अब तक कंफ्यूज हूँ. दिल कुछ कहता है और दिमाग कुछ और.  दिल कहता है, बंटवारे से किसका भला हुआ है आजतक. मनुष्य एक सामाजिक- पारिवारिक प्राणी है. एक हद तक सीमाएं ठीक हैं. परन्तु एकदम अलग- थलग हो जाना पता नहीं कहाँ तक अच्छा होगा. इस…