व्यंग

बाबू मोशाय बात ऐसी है कि हमें लगता है, जितने भी त्यौहार वगैरह आज हैं सब इत्तेफाकन और परिस्थिति जन्य हैं। तो हुआ कुछ यूं होगा कि एक परिवार में (पहले संयुक्त परिवार होते थे) किसी की किसी से ठन गई। महीना था यही फागुन का। नए नए टेसू के फूल आये थे। पहले लोग इन्हीं फूलों आदि के रंग…

Here it goes – once there was a papa bear, mama bear, and two baby bears living in a bear wonderland. Mumma bear grabs some essential groceries for their day to day lives, while papa bear stayed home with the baby bears, as its dangerous for the baby bears and papa bear to go out. Papa bear played with the…

ऑफिस से आकर उसने अलमारी खोली। पीछे से हैंगर निकाल कर निहारा। साड़ी पहनने की ख़ुशी ने कुछ देर के लिए सारा दिन भूख प्यास से हुई थकान को मिटा दिया। वह हर साल इसी बहाने एक नई साड़ी खरीद लिया करती है कि करवा चौथ पर काम आएगी। वर्ना यहाँ साड़ी तो क्या कभी सलवार कमीज पहनने के मौके…

कल एक आधिकारिक स्क्रिप्ट पर आये फीडबैक को देखकर मेरे एक कलीग कहने लगे, – “ऐसे फीडबैक देते हैं तुम्हारे यहाँ? लग रहा है सिर्फ कमियां ढूंढने की कोशिश करके पल्ला झाड़ा गया है, बजाय इसके कि इसमें सुधार के लिए कोई गाइड लाइन दी जाती”  अब मैं उन्हें यह क्या बताती कि शायद हमारे उन अधिकारी को इसी काम के लिए रखा…

(कार्टून गूगल से साभार ) हम भारतीय लोग स्वभाव से बड़े ही जल्दबाज होते हैं. झट से फैसले लेते हैं और झट से ही फैसला सुना देते हैं. हर काम , हर बात में जल्दबाजी। दूसरों की होड़ में जल्दबाजी , फिर उसमें कमियां निकालने में जल्दबाजी, फिर खुद को कोसने में जल्दबाजी, राय बनाने में जल्दबाजी, राय देने में…

जबसे भारत से आई हूँ एक शीर्षक हमेशा दिमाग में हाय तौबा मचाये रहता है “सवा सौ प्रतिशत आजादी ” कितनी ही बार उसे परे खिसकाने की कोशिश की.सोचा जाने दो !!! क्या परेशानी है. आखिर है तो आजादी ना. जरुरत से ज्यादा है तो क्या हुआ.और भी कितना कुछ जरुरत से ज्यादा है – भ्रष्टाचार  , कुव्यवस्था, बेरोजगारी, गरीबी , महंगाई…

  निर्मल हास्य के लिए जनहित में जारी 🙂 सफलता – कहते हैं ऐसी चीज होती है जिसे मिलती है तो नशा ऐसे सिर चढ़ता है कि उतरने का नाम नहीं लेता. कुछ लोग इसके दंभ में अपनी जमीं तो छोड़ देते  हैं. अब क्योंकि ये तो गुरुत्वाकर्षण का नियम है कि जो ऊपर गया है वह नीचे भी जरुर आएगा या…

बहुत समय से भारत के प्रसिद्द आई आई टी के किसी छात्र से बातचीत करने की इच्छा थी.मन था कि जानू जिस नाम का दबाब बेचारे भारतीय बच्चे पूरा छात्र जीवन झेलते हैं उस संस्था में पढने वाले बच्चे क्या सोचते हैं.कई बार कोशिश की पर जब मैं फ्री होती तो उसके इम्तिहान चल रहे होते (गोया वहां पढाई से ज्यादा…

देश के गंभीर माहौल में निर्मल हास्य के लिए 🙂 पृथ्वी  पर ब्लॉगिंग  का नशा देख कर कर स्वर्ग वासियों को भी ब्लॉग का चस्का लग गया. और उन्होंने भी  ब्लॉगिंग  शुरू कर दी. पहले कुछ बड़े बड़े देवी देवताओं ने ब्लॉग लिखने शुरू किये, धीरे धीरे ये शौक वहां रह रहे सभी आम और खास वासियों को लगने लगा…

समाचार माध्यमो द्वारा खबरों की शुचिता , उनको बढ़ा चढ़ा कर दिखाना, उनकी निष्पक्षता , और समाचारों के नाटकीकरण एक ज्वलंत मुद्दा बन चुका  है आज, समाज के आम हलको में . वो कहते है ना की साहित्य समाज का आइना होता है तो आप  लोगों को ऐसा नहीं लगता की इस समाचारों को हम तक पहुचाने वाले पत्रकारों की…