आलेख

अभी एक समाचार पत्र में एक पत्र छपा था .आप भी पढ़िए. नवम्बर २०१०(लन्दन )  ये एक खुला पत्र है उस आदमी के नाम जिसने बुधवार १७ नवम्बर को मेरी कार चुरा ली. मैं  यह पत्र इसलिए लिख रही हूँ कि शायद अगली बार तुम या कोई और ऐसा करने से पहले  २ बार सोचे.पिछले बुधवार काम से वापस आते हुए मैंने…

दिवाली  कहने को भारत में त्योहारों का मौसम है , दिवाली आ रही है .होना तो यह चाहिए कि पूरा देश जगमग कर रहा हो,उमंग से सबके चेहरे खिल रहे हो .जैसे बाकी और काम सब अपनी क्षमता अनुसार करते हैं ऐसे ही अपनी अपनी क्षमतानुसार सभी त्योहार  मनाये और एक दिन के लिए ही सही, अपनी समान्तर चलती जिन्दगी में…

संसार एक मुट्ठी में .यही भाव आता है आज का लन्दन देख कर .लन्दन का नाम आते ही ज़हन  में एक बहुत  ही आलीशान शहर की छवि उभरती हैं .बकिंघम पेलेस, लन्दन ब्रिज, लन्दन आई, मेडम तुसाद  और भी ना जाने क्या क्या.  पर इन सबसे अलग एक लन्दन और भी है, एक ऐसा शहर जो सारी दुनिया खुद में समाये…

अभी हाल ही में स्थानीय समाचार पत्र में एक समाचार आया कि एक दंपत्ति ने अपने बच्चे का एक स्कूल में रजिस्ट्रेशन  उसके पैदा होने से पहले ही करा दिया .क्योंकि उन्हें डर था कि समय पर उन्हें उनके इलाके का और उनकी पसंद का स्कूल नहीं मिलेगा और वो अपनी पसंद के प्रतिकूल  स्कूल में बच्चे को भेजने के…

कुछ समय पहले एक परिचित भारत से लन्दन आईं थीं घूमने ..कहने लगीं यहाँ के  बुड्ढों  को देखकर कितना अच्छा लगता है ..कितने भी बूढ़े हो जाये अपना सारा काम खुद करते हैं घरवालों पर भी निर्भर नहीं रहते. अपना घर, अपनी कार , खुद सामान लाना ,अपने सारे काम करना .एक हमारे यहाँ के बुड्ढ़े  होते हैं  जरा उम्र बढ़ी  …

दूसरे  कमरे  से आवाज़े आ रही थीं .एक पुरुष स्वर -..” इतना बड़ा हो गया किसी काम का नहीं है …इतने बड़े बच्चे क्या क्या नहीं करते ..जब देखो टीवी और गेम या खाना ..जरा भी फुर्ती नहीं है ..एकदम उत्साह विहीन .ना जाने क्या करेंगे अपनी जिन्दगी में …” फिर एक महिला का स्वर आया …” अरे अहिस्ता बोलो…

बचपन में हम बहनें बहुत लड़ा करती थीं ..सभी भाई बहन का ये जन्म सिद्ध अधिकार है ..और लड़ते हुए गुस्से में एक दूसरे  को ना जाने क्या क्या कह दिया करते थे .तब मम्मी बहुत डाँटती थीं , कि शुभ शुभ बोला करो, ना जाने कौन से वक़्त माँ सरस्वती ज़ुबान पर बैठ जाये , और तीन  बार कुछ…

हम  जानते हैं कि भारतीय संस्कृति में “व्रत” का बहुत महत्त्व  है हमें अपने बुजुर्गों को बहुत से उपवास करते देखा है,कुछ लोग भगवान को खुश करने के लिए उपवास रखते हैं ,कुछ लोग भोजन नियंत्रित (डाईट)करने के लिए उपवास करते हैं और कुछ लोग विरोध प्रदर्शित करने के लिए भी उपवास करते हैं . और हमेशा यही ख़याल आया…

मैं बचपन से ही कुछ सनकी टाइप हूँ. मुझे हर बात के पीछे लॉजिक ढूँढने   का कीड़ा है ..ये होता है तो क्यों होता है .?.हम ऐसा करते हैं तो क्यों करते हैं ? खासकर हमारे धार्मिक उत्सव और कर्मकांडों के पीछे क्या वजह है ?..इस बारे में जानने को मैं हमेशा उत्सुक रहा करती हूँ . बचपन में…

ove is life अपने बारे में कुछ कहना कुछ लोगों के लिए बहुत आसान होता है, तो कुछ के लिए बहुत ही मुश्किल और मेरे जैसों के लिए तो नामुमकिन फिर भी अब यहाँ कुछ न कुछ तो लिखना ही पड़ेगा न तो सुनिए. by qualification एक journalist हूँ हमने शुरू कर दी स्वतंत्र पत्रकारिता..तो अब कुछ फुर्सत की घड़ियों…