लोकप्रिय प्रविष्टियां

पता है; पूरे 18 साल होने को आये. एक पूरी पीढ़ी जवान हो गई. लोग कहते हैं दुनिया बदल गई. पर आपको तो ऊपर से साफ़ नजर आता होगा न. लगता है कुछ बदला है ? हाँ कुछ सरकारें बदल गईं, कुछ हालात बदल गए. पर मानसिकता कहाँ बदली ? न सोच बदली.  आप होते तो यह देखकर कितने खुश होते न कि लड़कियां आत्म…

जब से देश छूटा हिंदी साहित्य से भी संपर्क लगभग छूट गया और उसकी जगह (उस समय तो मजबूरीवश) रूसी, ग्रीक, स्पेनिश,अंग्रेजी आदि साहित्य ने ले ली. कभी कभार कुछ हिंदी की पुस्तकें उपलब्ध होतीं तो पढ़ ली जातीं। कई बार बहुत कोशिशें करके कुछ समकालीन हिंदी साहित्य खरीदा भी जिनमें कई तथाकथित चर्चित पुस्तकें भी शामिल थीं. परन्तु उनमें से बहुत…

 http://shikhakriti.blogspot.co.uk/2013/09/blog-post_15.html  यहाँ से आगे।  अब तक यह तो विजया की समझ में आने लगा था कि घर की तीसरी मंजिल पर रहने वाले निखिल के सगे भैया, भाभी क्यों अजनबियों की तरह रहते हैं, क्यों उन्होंने घर में आने जाने का रास्ता भी बाहर से बना लिया है, और क्यों त्योहारों पर भी वह एक दूसरे को विश तक नहीं करते। हालाँकि बात उलटी भी…

तुमने मांगी थी वह बाती, जो जलती रहती अनवरत करती रहती रोशन तुम्हारा अँधेरा कोना. पर भूल गए तुम कि उसे भी निरंतर जलने के लिए चाहिए होता है साथ एक दीये का डालना होता है समय समय पर तेल.वरना सूख करबुझ जाती है वह स्वयंऔर छोड़ जाती हैदीये की सतह पर भीएक काली लकीर……

एक आंटी अंकल आये थे आज बड़ी सी चमचमाती कार में, वह बाते कर रहे थे दीदी से कुछ कागजों पर लिखा पढी भी की  सारा आश्रम देखा बाद में पूछा था उसने, तो दीदी ने बताया था, छोटू को लेने आये है छोटू को पूरा ग्लास दूध मिलेगा, बिना पानी मिला , मलाई वाला. और तीनों वक़्त का खाना भी,…

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