भोपाल- यूँ यह शहर अनजान कभी ना था. गैस त्रासदी , ताल तलैये और बदलते वक़्त के साथ न्यू मीडिया और हिंदी साहित्य के बढ़ते हुए क्षेत्र के रूप में भोपाल हमेशा ही चर्चा में सुनाई देता रहा. परन्तु कभी इस शहर के दर्शनों का लाभ नहीं मिला अत: इस बार जब भारत प्रवास के दौरान श्री अनिल सौमित्र जी का निमंत्रण, भोपाल में हो रही न्यू मीडिया की चौपाल के लिए मिला तो मना करने का कोई कारण समझ में नहीं आया. इस चौपाल में न्यू मीडिया की संभावनाएं, समस्याएं ,चुनौतियां आदि पर खुली बहस होने वाली थी और मेरे जैसे न्यू मीडिया से जुड़े लोगों के लिए यह चौपाल एक वरदान साबित हो सकती थी.उस पर कुछ ब्लोगर साथियों से इसी बहाने वहां मिलने का मोह और आयोजन संस्था और मेरे ब्लॉग का इत्तेफकान एक नाम – अत: मैंने वहां इस चौपाल में सम्मिलित होना सहर्ष स्वीकार कर लिया था. १२ अगस्त के इस आयोजन के लिए दिल्ली से ११ अगस्त को शताब्दी से पहुँचने का निर्णय किया गया कि कुछ समय चौपाल से पहले माहौल समझने का और कुछ पल भोपाल से नजर मिलाने के लिए मिल जाएँ.और यही हुआ भोपाल पहुँचते ही हमने कम से कम वहां के प्रसिद्द बड़ा तालाब देखने का निश्चय किया और पहुँच गए उस सुन्दर स्थान पर, जिसके नामकरण में बहुत नाइंसाफी की गई है.इतनी खूबसूरत जगह का नाम भी कुछ सुन्दर सा रोमांटिक सा होना चाहिए था. क्योंकि तालाब तो वह कहीं से नहीं लग रहा था हाँ झील शायद कुछ उपयुक्त शब्द होता, वैसे मुझे तो वह किसी समुद्र का सा एहसास ही दे रहा था.
खैर भोपाल के दर्शनीय स्थलों की चर्चा फिर कभी फुर्सत से अभी बात मीडिया चौपाल की, जो तीन सत्रों में होनी थी.पहला सत्र शुरू हुआ मध्यप्रदेश गान से,फिर अथितियों के स्वागत के बाद शुरू हुए वक्तव्य .चौपाल का विषय था “विकास की बात विज्ञान के साथ – नए मीडिया की भूमिका” – और इस उद्घाटन सत्र के संचालन का भार मुझे सौंपा गया.
सबसे पहले भूमिका पर बोलते हुए मध्य प्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद् के निदेशक श्री प्रमोद वर्मा जी ने विज्ञान के प्रचार प्रसार में एम् पी सी एस टी के प्रयासों पर एक खूबसूरत प्रेजेंटेशन दिया और न्यू मीडिया में भी विज्ञान की भूमिका पर प्रकाश डाला.
वैज्ञानिक डॉ मनोज पटैरिया जी ने वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर बल देते हुए कहा कि हममें क्षमताएं हैं.देश – विदेश में हमारी काबिलियत का लोहा माना जाता है. परन्तु हमें नॉलेज वर्कर की तरह नहीं बल्कि नॉलेज क्रिएटर के रूप में सामने आना चाहिए.
जहाँ वरिष्ठ पत्रकार श्री गिरीश उपाध्याय जी ने न्यू मीडिया की संभावनाओं , समस्यायों , लाभ और हानि बताते हुए उसे एक इंटरैक्टिव मीडिया कहा.
तो विज्ञान भारती के श्री जयराम जी कहना था कि न्यू मीडिया में संभावनाएं तो बहुत हैं परन्तु अपनी लिमिटेशन भी हैं और इसका इस्तेमाल सावधानी से किया जाना चाहिए.
मुझे सबसे ज्यादा प्रभावित किया राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अ. भा. सह सम्पर्क प्रमुख राम माधव जी के विचारों ने. जिन्होंने न्यू मीडिया को मीडिया का लोकतांत्रिककरण बताया.उन्होंने कहा कि न्यू मीडिया अभिव्यक्ति की आजादी का एक सर्वोत्तम माध्यम है.उन्होंने इसे किसी भी दायरे में समेटने पर असहमति जताई उनका कहना था कि, यह माध्यम आम इंसान का है और अब वह अपनी बात कहना सीख गया है.
दूसरा सत्र श्री राम माधव जी की अध्यक्षता में हुआ.जिसमें श्री गिरीश उपाध्याय, श्री आर.एल. फ्रांसिस, श्री प्रेम शुक्ल, श्री अनिल सौमित्र के साथ थे पीटीआई के पूर्व पत्रकार व स्तंभकार श्री के. जी. सुरेश ने भाग लिया.
श्री के जी सुरेश ने अपने वक्तव्य में कहा कि न्यू मीडिया कोई अनूठी बात नहीं है.उसका अपना अलग कोई खास अस्तित्व नहीं है जब तक मुख्य धारा का मीडिया उनकी बात ना उठाये उसके कोई मायने नहीं होते. न्यू मीडिया कुछ हद तक गैरजिम्मेदाराना भी है. उनके इस वक्तव्य के दौरान सत्र में उपस्थित कई लोगों में असहमति देखी गई और लोगों ने जम कर उनकी बातों का विरोध भी किया.
इसके बाद का सत्र खुली बहस पर आधारित था.संचालन श्री के.जी. सुरेश ने और अध्यक्षता श्री प्रेम शुक्ल ने की.इस सत्र में न्यू मीडिया की जिम्मेदारियों, उसकी सत्यता, विषयवस्तु की गुणवत्ता और सोशल मीडिया में आजादी और आचरण व उसके आर्थिक पक्ष पर जम कर बहस हुई. श्री के जी सुरेश से किये गए सवालों ने एक गरमागरम बहस का रूप ले लिया.और उसे शांत कराने के लिए संचालक को खासी मशक्कत करनी पड़ी .
समापन सत्र में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति श्री बी. के. कुठियाला ने कहा कि हालाँकि आज न्यू मीडिया ने मानवता को जोड़ने का कार्य किया है। लेकिन अभी भी न्यू मीडिया के सामने पहचान की चुनौती हैं। इस पर नियंत्रण संभव नहीं बल्कि आत्मसंयम जरुरी है.
समापन वक्तव्य देते हुए श्री प्रभात झा ने कहा कि न्यू मीडिया में व्यक्तिगत टीका टिप्पणी अधिक है, वहां अहंकार है और आक्रोश भी. जबकि लोकतंत्र के लिए स्वस्थ बहस आवश्यक है.लेखन को एक उद्देश्य के तहत होना चाहिए .
उसके बाद भोपाल उदघोषणा के नाम से छः सूत्र प्रस्ताव बहुमत से पारित किया गया
1. नए मीडिया को ही मुख्यधारा माना जाय. 2. वेब पत्रकारों को अधिमान्यता मिले. 3. नए मीडिया के लोग शालीन लेकिन दमदार तरीके से अपनी बात रखने का संकल्प लें. 4. वेब के लिए एक वित्तीय मॉडल तैयार हो.
5. कोर्पोरेट मीडिया के साईट इस न्यू मीडिया का हिस्सा नहीं माना जाय और 6.Bhadas4 media से जुड़े यशवंत सिंह तथा अनिल सिंह की जल्द रिहाई हो.
और इसके साथ ही मध्य प्रदेश प्रोद्ध्योगिक परिषद् और और स्पंदन संस्था के संयुक्त तत्वावधान से श्री अनिल सौमित्र की देख रेख में आयोजित इस राष्ट्रीय मीडिया चौपाल का समापन हुआ.जिसके सफल और सार्थक आयोजन के लिए सभी आयोजक बधाई के पात्र हैं.
इतने गंभीर और सार्थक विषयों की चर्चा के बाद यदि न्यू मीडिया के साथी जो पत्रकार के साथ साथ कवि ,गायक, लोक गायक आदि भी होते हैं वह मिलकर कोई रंग ना जमाये तो कार्यक्रम शायद अधूरा ही रह जाये अत: १२ अगस्त को रात्रि भोजन के उपरान्त गीत, शैर, और ग़ज़लों की एक बोन फायर टाइप महफ़िल जमी जिसमें आवेश तिवारी, पंकज झा, वर्तिका तोमर, नीरू सिंह, भवेश नंदन, जयराम विप्लव, अमिताभ भूषण और आशुतोष कुमार सिंह के साथ हम भी उपस्थित थे और जम कर रंग जमाया गया.
दूसरे दिन हमारी ट्रेन दोपहर बाद की थी अत: हम कुछ लोग मिलकर साँची के दर्शन भी कर आये और भोपाल और उसके मित्रवत लोगों के समधुर स्वभाव से प्रभावित स्पंदन संस्था के सचिव श्री अनिल सौमित्र जी और म.प्र. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद् के निदेशक श्री प्रमोद के. वर्मा को हार्दिक धन्यवाद करते हम दिल्ली लौट आये.
इस चौपाल में उपस्थित रहे– ब्लॉगर और पत्रकार अनुराग अन्वेषी (नई दिल्ली), रविशंकर (नई दिल्ली), प्रख्यात स्तंभकार आर.एल फ्रांसिस (नई दिल्ली), मुकुल कानिटकर (कन्याकुमारी), प्रवक्ता डॉट कॉम के संजीव सिन्हा (नई दिल्ली), जनोक्ति समूह के जयराम विप्लव (नई दिल्ली), नेटवर्क 6 के आवेश तिवारी (वाराणसी), सुरेश चिपलूणकर (उज्जैन), वरिष्ठ पत्रकार अनिल पाण्डेय (नई दिल्ली), चण्डीदत्त शुक्ल (जयपुर), रवि रतलामी (भोपाल), श्री बी एस पाबला, अहमदाबाद स्थित ब्लॉगर संजय बेंगाणी, भारतवाणी वेबसाइट के संचालक लखेश्वर चन्द्रवंशी (नागपुर), रायपुर से गिरीश पंकज, पंकज झा, संजीत त्रिपाठी, ललित शर्मा, मुम्बई से चन्द्रकांत जोशी, प्रदीप गुप्ता, आशुतोष कुमार सिंह, हर्षवर्धन त्रिपाठी (दिल्ली), राजीव गुप्ता (नई दिल्ली), आशीष कुमार अंशु(नई दिल्ली), ऋतेश पाठक (नई दिल्ली), उमाशंकर मिश्र (नई दिल्ली), स्वदेश सिंह (दिल्ली), गौतम कात्यायन (पटना), केशव कुमार (नई दिल्ली), पर्यावरण और पानी के लिये कार्यरत केसर सिंह और मीनाक्षी अरोडा (इंडिया वाटर पोर्टल नई दिल्ली), नीरु सिंह ज्ञानी (ग्वालियर), आकाशवाणी नई दिल्ली में कार्यरत वर्तिका तोमर, लोकसभा टीवी में कार्यरत सिद्धार्थ झा (नई दिल्ली), रतलाम के राजेश मूणत, पर्यावरण और विकास संबंधी स्तंभकार पंकज चतुर्वेदी और महेश परिमल, शशि तिवारी, लोकेन्द्र सिंह (ग्वालियर), अमिताभ भूषण, विशाल तिवारी, माही, अभिषेक रंजन (दिल्ली), अनुप्रिया त्रिपाठी (भोपाल)
mujhe lagta hai sahi me aapke liye bahut hi achchha anubhav raha hai .sabhi se mulakat bhi ho gai .aapki khushi me samjhti hoon
rachana
Zindagee hamesha aisee khushiyan aapko bahal kartee rahe yahee dua hai.
वाह जी बल्ले बल्ले
ब्लागर्स का संगम हुआ , विचारों का मंथन हुआ | आपके आनंद से हम सभी भी आनंदित हुए | अब अगला पड़ाव "लखनऊ" इससे भी बेहतर साबित हो ,ऐसी शुभकामनाएं |
एक सधे हुए पत्रकार की सधी हुई रिपोर्टिंग.. राम माधव जी का उस सम्मलेन में भाग लेना सुनकर आउटलुक पत्रिका में प्रकाशित इस समाचार की ओर भी ध्यान गया कि हमारे मुख्य मत्री श्री नरेन्द्र भाई मोदी ने भी हाल ही में कुछ सम्मानित हिन्दी ब्लॉगरों से रू-ब-रू बात की..जिनमें प्रमुख है सर्वश्री सुरेश चिपलूनकर एवं संजय बेंगाणी.. कम से कम इसी बहाने ब्लॉग का महत्व और आवाज़ सुना जाना एक अच्छी पहल है!!
वाह जी वाह खूब आनंद आया आपकी भोपाल यात्रा और चौपाल की रिपोर्ट का हमें भी … अब 27 को लखनऊ मे सब से मिलने का इंतज़ार है … 🙂
न्यू मीडिया में संभावनाएं तो बहुत हैं परन्तु अपनी लिमिटेशन भी हैं और इसका इस्तेमाल सावधानी से किया जाना चाहिए.
you are all time and always great.
आपका भारत आगमन उपलब्धियों और विशिष्ट अनुभवों भरा रहा जानकर बहुत अच्छा लगा प्रसन्नमन से लिखी यह रिपोर्ट पढ़कर! उद्घाटन-सत्र में आपकी मुख्य उपस्थिति से आयोजन को अवश्य ही विशिष्ट भव्यता मिली होगी इसमें संदेह नहीं है! आप इसी भाँति यशस्वी रहें, शुभकामनाएँ!
हमें तो मौक़ा ही नहीं मिला कुछ कहने का 🙁
बाद में तलाश भी गया हो तो हम कहाँ मिलते? ट्रेन पकड़ने के लिए भाग जो खड़े हुए थे हम
वैसे कुल मिला कर सार्थक रहा या प्रयास
और साथियों से मिल कर भी बहुत आनंद आया
रपट अच्छी है तो कार्यक्रम भी बढिया ही रहा होगा . भोपाल तो हमको भी अच्छा लगता है . हैप्पी टाइम
अभी तो हमारी रिपोर्ट बाकी है दोस्त, इंतजार कीजिए :))
ललित जी ! डरा रहे हैं क्या ?? हा हा .
इंतज़ार है….:):)
बहुत मस्त रिपोर्टिंग है दीदी 🙂 🙂 बस बोन फायर टाइप महफ़िल सुनकर थोड़ी जलन होने लगी 🙂 🙂
फोटोज तो मस्त हैं…जल्दी से आप अब बाकी के फोटोज को भी अपलोड कीजिये 🙂 🙂
आनंदम…आनंदम…आनंदम…
🙂
न्यू मिडिया सम्मेलन भी एक नया अनुभव रहा .
हालाँकि न्यू मिडिया का क्या अस्तित्त्व है , यह पूर्णतया समझ नहीं आया .
बड़ा तालाब तो वास्तव में एक मिस्नोमर है .
अच्छी सधी रिपोर्टिंग के लिए बधाई, शिखा जी,,,,,
RECENT POST…: शहीदों की याद में,,
न्यू मीडिया के बारे में भी थोड़ी विस्तृत जानकारी दीजिये …. बढ़िया रिपोर्ट …. काफी कुछ जानने का अवसर मिला ॥
दी! न्यू मीडिया यानि – ब्लॉग, सोशल नेटवर्क साइट्स, न्यूज वेब पोर्टल आदि पर की गई पत्रकारिता जो अब मुख्य धारा के समक्ष आ खड़ी हुई है.
डॉ साहब ! इसी अस्तित्व को लेकर यह चौपाल आयोजित की गई थी.ब्लॉग,और सोशल नेटवर्किंग अब मुख्य धारा के मीडिया के समक्ष आ खड़ी हुई है वहाँ से खबरे लेकर अखबार या अन्य मीडिया के माध्यमों में उनका प्रयोग किया जाता है, वह ज्यादा तेज है मौलिक है परन्तु उसे उसका हक नहीं दिया गया अब तक.
बढ़िया रिपोर्ट …ऐसे वैचारिक मंथन आवश्यक हैं…..
जब अवसर बढे तो न्यू मीडिया के बढ़ते कदम किसी न किसी मुकाम को हासिल करने में समर्थ तो होंगे ही. उसमें शिरकत कर हम लोगों तक पहुँचाने के लिए और जानकारी देने के लिए आभार !
प्रभात झा जी की इस बात से सहमत हूं कि न्यू मीडिया में व्यक्तिगत टीका टिप्पणी अधिक है, वहां अहंकार है और आक्रोश भी. जबकि लोकतंत्र के लिए स्वस्थ बहस आवश्यक है इसलिए इसे पूरी तरह लोकतान्त्रिक नहीं कह सकते है , दूसरे राम माधव जी खुश है क्योकि हवा उनके विपरीत बह रही है खिलाफ तो वो है जिनके खिलाफ यहाँ हवा बह रही है | एक सवाल है इन सेमिनारो से अंत में क्या फायदा होता है क्या यहाँ कही जा रही बातो को उचित सरकारी संस्था सुनती और देखती भी है इनमे कही गई बातो को अमल में भी लाया जाता है या बस यु ही बोल बचन में ही बस ख़त्म हो जाता है |
तस्वीर खुशनुमा …. बाकी न्यू मीडिया की मंजिल आलेख तो है ही बढ़िया
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
—
इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (19-08-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
यह सचित्र प्रस्तुति … एवं आपकी रपट दोनो बढिया …आभार
ठीक कह रही हो अंशुमाला ! परन्तु कमियां और दोष तो तथाकथित मुख्य धारा की मीडिया में भी हैं.
जहाँ तक सेमिनारों की सार्थकता का सवाल है न होने से कुछ तो होना बेहतर ही होता होगा.उम्मीद पर दुनिया कायम है.:)
सम्यक रिपोर्ट -फोटुयें भाईं…लखनऊ भी आ रही हैं क्या?
किसी ने मुझसे कहा ही नहीं
वर्ना मैं भी भीड़ का हिस्सा होता
वैसे प्रतिभागियों के चयन का मापदंड क्या था ?
खैर आपको पता नहीं होगा -यह प्रश्न इसलिए महत्वपूर्ण है क्योकि
पैसा सरकारी यानी जनता की जेब का था ….
खैर आर टी आई है किसलिए !
वाह. तस्वीर, छत्तीसगढ़ की ही उजागर है.
धीरे-धीरे न्यू मीडिया अपने फार्म में आ रहा है। इसमें कोई शक नहीं।
लगे हाथ आपको बता दूं कि ब्लॉगर्स के नाम महामहिम राज्यपाल जी का संदेश आया है। क्या पढ़ा आपने?
न्यू मीडिया व्यक्तिगत अहंकार और छींटाकशी से बच सके तो लोकतंत्र के सबसे मजबूत पहरेदार के रूप में इसका कोई विकल्प नहीं !
अच्छी रिपोर्ट !
और इसके साथ ही मध्य प्रदेश "प्रोद्ध्योगिक" परिषद् और और "सपंदन" संस्था के संयुक्त'' तत्वाधान से श्री अनिल सौमित्र की देख रेख में आयोजित इस राष्ट्रीय मीडिया चौपाल का समापन हुआ.जिसके सफल और सार्थक आयोजन के लिए सभी आयोजक बधाई के पात्र हैं.
इतने गंभीर और सार्थक विषयों की चर्चा के बाद यदि न्यू मीडिया के साथी जो पत्रकार के साथ साथ कवि ,गायक, लोक गायक आदि भी होते हैं वह मिलकर कोई रंग ना जमाये तो कार्यक्रम शायद अधूरा ही रह जाये अत: १२ अगस्त को रात्रि भोजन के उपरान्त गीत, "शेर" , और ग़ज़लों की एक बोन फायर टाइप महफ़िल जमी जिसमें आवेश तिवारी, पंकज झा, वर्तिका तोमर, नीरू सिंह, भवेश नंदन, जयराम विप्लव, अमिताभ भूषण और आशुतोष कुमार सिंह के साथ हम भी उपस्थित थे और जम कर रंग जमाया गया.
इस कसावदार रिपोर्ट के लिए आपका शुक्रिया .कुछ अशुद्धियाँ संवार लें -प्रौद्योगिक , स्पंदन ,तत्वावधान ,शैर,आदि शुद्ध रूप हैं .छोटी मोती गलतियाँ और भी हैं वर्तनी की .खैर टंकण की भी सीमाएं रहतीं हैं ….न्यू -मीडिया किसी से पैसे ले के नहीं लिखता ,प्रायोजित कर्म नहीं है चिठ्ठाकारी ,खून निकालता है चिठ्ठाकार अपना .दिन रात काले करता है . एंटी -इंडिया -टी वी नहीं है यह अभिनव -माध्यम लिखाड़ियों का.
ram ram भई
रविवार, 19 अगस्त 2012
मीग्रैन और क्लस्टर हेडेक का भी इलाज़ है काइरोप्रेक्टिक में
तस्वीरें बहुत बढ़िया, रिपोर्ट भी अच्छी तरह सूचनायें समेटे है
भारत-यात्रा ऐसे ही सक्रिय बनी रहे !
ये नया मीडिया विस्तृत तो हुआ है, लेकिन संगठन के अभाव में सशक्त नहीं हो सका.
बहुत अच्छी लगी आपकी ये रिपोर्ट और अपने ब्लोगर बहन भाइयों से मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ बहुत अच्छा अनुभव झलक रहा है पोस्ट में शायद आप लखनऊ भी आ रही हैं वहीँ आपसे मुलाकात होगी
लिंक देख कर कोई घबरा ना जाए इसलिए यह लिंक देखिए
http://www.bspabla.com/?p=2705
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बहुत ही सार्थक चर्चा..बंगलोर भी आयें..
बढ़िया रिपोर्टिंग। आपकी खुशी शब्दों में झलक रही है। ..बधाई।
वहुत अच्छा विवरण…
आपकी भोपालयात्रा सुखद रही यह जान कर प्रसन्नता हुई…
सार्थक बहस की शुरिआत है … नए मीडिया युग की जरूरत भारत से ज्यादा और कहीं नहीं है आज …
न्यू मिडिया सम्मेलन भी एक नया अनुभव
रिपोर्टिंग के लिए बधाई….. शिखा जी
न्यू मीडिया की चौपाल की जानकारी अच्छी लगी … कभी न्यू मीडिया के बारे में विस्तार से बतायेगा …
..कल ही ताल पर गए थे आजकल खूब भरा है ताल बस ताल के गेट खुलने का इंतज़ार है ..बड़े उत्सुक हैं ..
आपको भोपाल अच्छा लगा जानकार ख़ुशी हुयी ..
संगीत वाली महफ़िल का लुत्फ़ उठाने से तो मैं चूक ही गया… बड़ा अफ़सोस हो raha है. apne कार्यक्रम का बड़ा साधा हुआ सञ्चालन किया इसके लिए बधाई हो आपको.
न्यू मीडिया जिंदाबाद
दो-तीन दिन शहर के बाहर होने के कारण पोस्ट पढने मे विलम्ब हुआ। अच्छी और सार्थक जानकारी के लिए आभार।
बढ़िया रिपोर्ट अच्छा लगता है जब लोग विषय पर ही विमर्श करते है कई बार की बहस में मूल विषय गायब हो जाता है ….भोपाल का बड़ा तालाब देखने की तलब अब हमको भी हो रही है बहरहाल हमने आसाम में बड़ा पानी देखकर काम चला लिया …. आप गुडगाँव आओ यहाँ बड़ा तो नहीं कई छोटे छोटे तालाब है जो इसे वेनिस की ट्विन सिस्टर सिटी का दर्जा दिलाते है
(उपरोक्त टिपण्णी है उदाहरण विषय से भटकने का 🙂
are wah…lekh padhkar maza aa gaya aur sath hi apne bhopal ke lie acche acche shabd padhkar aur bhi maza aa gaya
हमें मालूम है आपकी भारत यात्रा और भारत दर्शन जारी है…
मध्य प्रदेश… भोपाल, रायपुर इत्यादि का मोह या आकर्षण
बरसों से भीतर बना हुआ है…इस कारण भी आपकी भोपाल
यात्रा हमें दिलचस्प लगी…बडा तालाब और उसमें आपका जल-विहार
हमने भी तस्वीर में देख एन्जोय किया…यहाँ गुजरात में हमारे
शहर से 72 km की दूरी पर आए एक खूबसूरत शहर बरोड़ा के मध्य
में एक तालाब है जिसका नाम 'सुरसागर' है…यह एक खूबसूरत
ऐतिहासिक तालाब है, जिसे स्वनाम धन्य कलाप्रेमी, सर्वगुणसम्पन
श्री सयाजी राव गाएकवाड़ महाराजा जी ने बनवा कर इस सुंदर शहर
को एक सुंदर भेट दी थी… जो आज भी अपनी खूबसूरत जीवन्तता
लिए शहर में विद्यमान है…
.
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया जैसे टी.वी.न्यूज़ चेनल्स और प्रेस मीडिया
इत्यादि तो समझे, यह "न्यू मीडिया" क्या है…? वही हमें तो
in-depth पता नहीं…आप इस पर कुछ प्रकाश डालें…
रिपोर्ट सरसरी रही पर माहिती तो थी ही जो अच्छी भी रही…
वाह जी रिपोर्ट तो बहुत अच्छी दी आपने साथ ही यह जानकर भी बहुत खुशी हुई की आपको हमारा भोपाल बहुत पसंद आया :)काश यह गोष्ठी और पहले हुई होती तो हम आप भी वहीं मिल लिए होते। 🙂
http://apneebat.blogspot.com यह मेरा ब्लॉग है. स्वतंत्र लेखन और सामाजिक कार्यों में मेरी रूचि है. एक गैर सरकारी संगठन (NGO) "भारतीय बाल विकास संस्थान" (www.bbvs.weebly.com) का सञ्चालन भी का रहा हूँ. एक नया ब्लोगर होने के नाते आपसे मार्गदर्शन की आशा है. यदि आप मेरे ब्लॉग में शामिल (MEMBER) होंगी तो मुझे प्रसन्नता होगी.
धन्यबाद.
एक भोपाली होने के आते आपका ये भोपाल संस्मरण काफी अच्छा लगा..अफसोस कि आप यहां आई और हमें इस संगोष्ठी में शामिल होने का और आप से मिलने का सौभाग्य नहीं मिल पाया..जबकि इस संगोष्ठी में सम्मिलित कई पत्रकार, मीडियाकर्मी से मेरी घनिष्ठ मित्रता है फिर भी इसके आयोजन का पता ही न चल पाया।
खैर भोपाल की तारीफ सुन और यह शहर आपको पसंद आया जान कर प्रसन्नता हुई।
रोचक संस्मरण ………..:)
आशा है आपकी भोपाल यात्रा आनन्ददायक हई थी
रोचक जानकारी
आपका प्रयास सराहनीय है । कृपया अपनी ब्लाग लिस्ट में मेरा ब्लाग भी शामिल करियेगा
शिखा जी, अच्छा लगा ये रिपोर्ट पढ़कर। बस ये रह गया कि हमारी-आपकी भेंट होनी रह गई 🙂
काफी दिनो बाद ……….एक महीने बाद का इंतजार जब आप घूमकर लिखेंगे
बहुत ख़ूब!
एक लम्बे अंतराल के बाद कृपया इसे भी देखें-
जमाने के नख़रे उठाया करो
खूबसूरत प्रस्तुति
खूबसूरत प्रस्तुति…मजा आ गया और उस रात की महफिल की यादें ताज़ा हो गयी…
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