भोपाल- यूँ यह शहर अनजान कभी ना था. गैस त्रासदी , ताल तलैये और बदलते वक़्त के साथ न्यू मीडिया और हिंदी साहित्य  के बढ़ते हुए क्षेत्र के रूप में भोपाल हमेशा ही चर्चा में सुनाई देता रहा. परन्तु कभी इस शहर के दर्शनों का लाभ नहीं मिला अत: इस बार जब भारत प्रवास के दौरान श्री अनिल सौमित्र जी का निमंत्रण, भोपाल में हो रही न्यू मीडिया की चौपाल के लिए मिला तो मना करने का कोई कारण समझ में नहीं आया. इस चौपाल में न्यू मीडिया की संभावनाएं, समस्याएं ,चुनौतियां आदि पर खुली बहस होने वाली थी और मेरे जैसे न्यू मीडिया से जुड़े लोगों के लिए यह चौपाल एक वरदान साबित हो सकती थी.उस पर कुछ ब्लोगर साथियों से इसी बहाने  वहां मिलने का मोह और आयोजन संस्था और मेरे ब्लॉग का इत्तेफकान एक नाम – अत: मैंने वहां इस चौपाल में सम्मिलित होना सहर्ष स्वीकार कर लिया था. १२ अगस्त के इस आयोजन के लिए दिल्ली से ११ अगस्त को शताब्दी से पहुँचने का निर्णय किया गया कि कुछ समय चौपाल से पहले माहौल  समझने का और कुछ पल भोपाल से नजर मिलाने के लिए मिल जाएँ.और यही हुआ भोपाल पहुँचते ही हमने कम से कम वहां के प्रसिद्द बड़ा तालाब देखने का निश्चय किया और पहुँच गए उस सुन्दर स्थान पर, जिसके नामकरण में बहुत नाइंसाफी की  गई है.इतनी खूबसूरत जगह का नाम भी कुछ सुन्दर सा रोमांटिक सा होना चाहिए था. क्योंकि तालाब तो वह कहीं से नहीं लग रहा था हाँ झील शायद कुछ उपयुक्त शब्द होता, वैसे मुझे तो वह किसी समुद्र का सा एहसास ही दे रहा था.

खैर भोपाल के दर्शनीय स्थलों की चर्चा फिर कभी फुर्सत से अभी बात मीडिया चौपाल की, जो तीन सत्रों में होनी थी.पहला सत्र शुरू हुआ मध्यप्रदेश गान से,फिर अथितियों  के स्वागत के बाद शुरू हुए वक्तव्य .चौपाल का विषय था “विकास की बात विज्ञान के साथ – नए मीडिया की भूमिका” – और  इस उद्घाटन  सत्र के संचालन का भार मुझे सौंपा गया.
 सबसे पहले भूमिका पर बोलते हुए मध्य प्रदेश  विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद् के निदेशक  श्री प्रमोद वर्मा जी ने विज्ञान के प्रचार प्रसार में एम् पी सी एस टी के प्रयासों पर एक खूबसूरत प्रेजेंटेशन दिया और न्यू मीडिया में भी विज्ञान की भूमिका पर प्रकाश डाला.
 वैज्ञानिक डॉ मनोज पटैरिया जी ने वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर बल देते हुए कहा कि हममें  क्षमताएं हैं.देश – विदेश  में हमारी काबिलियत का लोहा माना जाता है.  परन्तु हमें नॉलेज वर्कर की तरह नहीं बल्कि नॉलेज क्रिएटर के रूप में सामने आना चाहिए.
जहाँ वरिष्‍ठ पत्रकार श्री गिरीश उपाध्याय जी ने न्यू मीडिया की संभावनाओं , समस्यायों , लाभ और हानि बताते हुए उसे एक इंटरैक्टिव  मीडिया कहा.
तो विज्ञान भारती के श्री जयराम जी कहना था कि न्यू मीडिया में संभावनाएं तो बहुत हैं परन्तु अपनी लिमिटेशन भी हैं और इसका इस्तेमाल सावधानी से किया जाना चाहिए.
मुझे सबसे ज्यादा प्रभावित किया राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ के अ. भा. सह सम्‍पर्क प्रमुख  राम माधव जी के विचारों ने. जिन्होंने न्यू मीडिया को मीडिया का लोकतांत्रिककरण  बताया.उन्होंने कहा कि न्यू मीडिया  अभिव्यक्ति की आजादी का एक सर्वोत्तम माध्यम है.उन्होंने इसे किसी भी दायरे में समेटने पर असहमति जताई उनका कहना था कि, यह माध्यम आम इंसान का है और अब वह अपनी बात कहना सीख गया है.
दूसरा सत्र श्री राम माधव जी की अध्यक्षता में हुआ.जिसमें  श्री गिरीश उपाध्‍याय, श्री आर.एल. फ्रांसिस, श्री प्रेम शुक्‍ल, श्री अनिल सौमित्र के साथ थे पीटीआई के पूर्व पत्रकार व स्‍तंभकार श्री के. जी. सुरेश ने भाग लिया.
श्री के जी सुरेश ने अपने वक्तव्य में कहा कि न्यू  मीडिया कोई अनूठी बात नहीं है.उसका अपना अलग कोई खास अस्तित्व नहीं है जब तक मुख्य धारा का मीडिया उनकी बात ना उठाये उसके कोई मायने नहीं होते. न्यू मीडिया कुछ हद तक गैरजिम्मेदाराना भी है. उनके इस वक्तव्य के दौरान सत्र में उपस्थित कई लोगों में असहमति  देखी गई  और लोगों ने जम कर उनकी बातों  का विरोध भी किया.
इसके बाद  का सत्र खुली बहस पर आधारित था.संचालन  श्री के.जी. सुरेश ने और अध्‍यक्षता श्री प्रेम शुक्‍ल ने  की.इस सत्र में न्यू मीडिया की जिम्मेदारियों, उसकी सत्यता, विषयवस्तु की गुणवत्ता और सोशल मीडिया में आजादी और आचरण व उसके  आर्थिक पक्ष पर जम कर बहस हुई. श्री के जी सुरेश से किये गए सवालों ने एक गरमागरम बहस का रूप ले लिया.और उसे शांत कराने के लिए संचालक को खासी मशक्कत करनी पड़ी .
समापन सत्र में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति श्री बी. के. कुठियाला ने कहा कि हालाँकि आज न्यू मीडिया ने मानवता को जोड़ने का कार्य किया है। लेकिन अभी भी न्यू मीडिया के सामने पहचान की चुनौती हैं। इस पर नियंत्रण संभव नहीं बल्कि आत्मसंयम जरुरी है.
समापन वक्‍तव्‍य देते हुए श्री प्रभात झा ने कहा कि न्‍यू मीडिया में व्‍यक्तिगत टीका टिप्‍पणी अधिक है, वहां अहंकार है और आक्रोश भी. जबकि लोकतंत्र के लिए स्वस्थ बहस आवश्यक है.लेखन को एक उद्देश्य के तहत होना चाहिए .
उसके बाद  भोपाल उदघोषणा के नाम से छः सूत्र प्रस्ताव बहुमत से  पारित किया गया 

 1. नए मीडिया को ही मुख्यधारा माना जाय. 2. वेब पत्रकारों को अधिमान्यता मिले. 3. नए मीडिया के लोग शालीन लेकिन दमदार तरीके से अपनी बात रखने का संकल्प लें. 4. वेब के लिए एक वित्तीय मॉडल तैयार हो. 

5. कोर्पोरेट मीडिया के साईट इस न्यू मीडिया का हिस्सा नहीं माना जाय और 6.Bhadas4 media  से जुड़े यशवंत सिंह तथा अनिल सिंह की जल्द रिहाई हो.


और इसके साथ ही मध्य प्रदेश प्रोद्ध्योगिक  परिषद् और और स्पंदन  संस्था के संयुक्त तत्वावधान से श्री अनिल सौमित्र की देख रेख में  आयोजित इस राष्ट्रीय  मीडिया चौपाल का समापन हुआ.जिसके सफल और सार्थक आयोजन के लिए सभी आयोजक बधाई के पात्र हैं.
इतने गंभीर और सार्थक विषयों की चर्चा के बाद यदि न्यू मीडिया के साथी जो पत्रकार के साथ साथ कवि ,गायक, लोक गायक आदि भी होते हैं वह मिलकर कोई रंग ना जमाये तो कार्यक्रम शायद अधूरा ही रह जाये अत: १२ अगस्त को रात्रि भोजन के उपरान्त गीत, शैर, और ग़ज़लों की एक बोन फायर टाइप महफ़िल जमी जिसमें  आवेश तिवारी, पंकज झा, वर्तिका तोमर, नीरू सिंह, भवेश नंदन, जयराम विप्‍लव, अमिताभ भूषण और आशुतोष कुमार सिंह के साथ हम भी उपस्थित थे और जम कर रंग जमाया गया.
दूसरे दिन हमारी ट्रेन दोपहर बाद की थी अत: हम कुछ लोग मिलकर साँची के दर्शन भी कर आये और भोपाल और उसके मित्रवत लोगों के समधुर स्वभाव से प्रभावित  स्‍पंदन संस्‍था के सचिव श्री अनिल सौमित्र जी और म.प्र. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद् के निदेशक श्री प्रमोद के. वर्मा को हार्दिक धन्‍यवाद करते हम दिल्ली लौट आये.

इस चौपाल में उपस्थित रहे– ब्लॉगर और पत्रकार अनुराग अन्वेषी (नई दिल्ली), रविशंकर (नई दिल्ली), प्रख्यात स्तंभकार आर.एल फ्रांसिस (नई दिल्ली), मुकुल कानिटकर (कन्याकुमारी), प्रवक्ता डॉट कॉम के संजीव सिन्हा (नई दिल्ली), जनोक्ति समूह के जयराम विप्लव (नई दिल्ली), नेटवर्क 6 के आवेश तिवारी (वाराणसी), सुरेश चिपलूणकर (उज्जैन), वरिष्ठ पत्रकार अनिल पाण्डेय (नई दिल्ली), चण्डीदत्त शुक्ल (जयपुर), रवि रतलामी (भोपाल), श्री बी एस पाबला, अहमदाबाद स्थित ब्लॉगर संजय बेंगाणी,  भारतवाणी वेबसाइट के संचालक लखेश्वर चन्द्रवंशी (नागपुर), रायपुर से गिरीश पंकज, पंकज झा, संजीत त्रिपाठी, ललित शर्मा, मुम्बई से  चन्द्रकांत जोशी, प्रदीप गुप्ता, आशुतोष कुमार सिंह, हर्षवर्धन त्रिपाठी (दिल्ली), राजीव गुप्ता (नई दिल्ली), आशीष कुमार अंशु(नई दिल्ली), ऋतेश पाठक (नई दिल्ली), उमाशंकर मिश्र (नई दिल्ली), स्वदेश सिंह (दिल्ली), गौतम कात्यायन (पटना), केशव कुमार (नई दिल्ली), पर्यावरण और पानी के लिये कार्यरत केसर सिंह और मीनाक्षी अरोडा (इंडिया वाटर पोर्टल नई दिल्ली), नीरु सिंह ज्ञानी (ग्वालियर), आकाशवाणी नई दिल्ली में कार्यरत  वर्तिका तोमर, लोकसभा टीवी में कार्यरत सिद्धार्थ झा (नई दिल्ली), रतलाम के राजेश मूणत, पर्यावरण और विकास संबंधी स्तंभकार पंकज चतुर्वेदी और महेश परिमल, शशि तिवारी, लोकेन्द्र सिंह (ग्वालियर), अमिताभ भूषण, विशाल तिवारी, माही, अभिषेक रंजन (दिल्‍ली), अनुप्रिया त्रिपाठी (भोपाल)

कुछ ब्लॉगर मित्रों से मुलाकात .