भोपाल- यूँ यह शहर अनजान कभी ना था. गैस त्रासदी , ताल तलैये और बदलते वक़्त के साथ न्यू मीडिया और हिंदी साहित्य के बढ़ते हुए क्षेत्र के रूप में भोपाल हमेशा ही चर्चा में सुनाई देता रहा. परन्तु कभी इस शहर के दर्शनों का लाभ नहीं मिला अत: इस बार जब भारत प्रवास के दौरान श्री अनिल सौमित्र जी का निमंत्रण,…

क्या दे सजा उसको क्या फटकारे उसे कोई , हिमाक़त करने की भी जिसने इज़ाजत ली है ********* हमारे दिन रात का हिसाब कोई जो मांगे तो क्या देंगे अब हम उसके माथे पे बल हो, तो रात और फैले होटों पे दिन होता है. ************** उसकी पलकों से गिरी बूंद ज्यूँ ही मेरी उंगली से छुई हुआ अहसास कितने गर्म ये जज़्बात होते हैं . ************ तेरे दिल के पास जो …

रोमांच की भी अपनी एक उम्र होती है और हर उम्र में रोमांच का एक अलग चरित्र. यूँ तो स्वभाव से रोमांचकारी लोगों को अजीब अजीब चीजों में रोमांच महसूस होता है,स्काइडाइविंग , अंडर वाटर राफ्टिंग, यहाँ तक कि भयंकर झूलों की सवारी, जिन्हें देखकर ही मेरा दिल धाएं धाएं करने लगता है. मेरे ख़याल से रोमांच का अर्थ प्रसन्नता…

मैं नहीं चाहती लिखूं वो पल तैरते हैं जो आँखों के दरिया में थम गए हैं जो माथे पे पड़ी लकीरों के बीच लरजते हैं जो हर उठते रुकते कदम पर हाँ नहीं चाहती मैं उन्हें लिखना क्योंकि लिखने से पहले जीना होगा उन पलों को फिर से उखाड़ना होगा गड़े मुर्दों को कुरेदने होंगे कुछ पपड़ी जमे ज़ख्म और फिर उनकी दुर्गन्ध …