सामने मेज पर क्रिस्टल के कटोरे में रखीं गुलाब की सूखी पंखुड़ियाँ एक बड़ा कप काली कॉफी और पल पल गहराती यह रात अजीब सा हाल है. शब्द अंगड़ाई ले, उठने को बेताब हैं और पलकें झुकी जा रही हैं. *************** अरे बरसना है तो ज़रा खुल के बरसो किसी के सच्चे प्यार की तरह ये क्या बूँद बूँद बरसते हो…

जब से देश छूटा हिंदी साहित्य से भी संपर्क लगभग छूट गया और उसकी जगह (उस समय तो मजबूरीवश) रूसी, ग्रीक, स्पेनिश,अंग्रेजी आदि साहित्य ने ले ली. कभी कभार कुछ हिंदी की पुस्तकें उपलब्ध होतीं तो पढ़ ली जातीं। कई बार बहुत कोशिशें करके कुछ समकालीन हिंदी साहित्य खरीदा भी जिनमें कई तथाकथित चर्चित पुस्तकें भी शामिल थीं. परन्तु उनमें से बहुत…