मोस्को में मेरी एक बहुत अच्छी मित्र थी श्रीलंका की… इतना अच्छा चिकेन बनाती थी ना …रहने दीजिये वर्ना बाकी पोस्ट नहीं लिखी जाएगी .और इसका राज़ वो बताती थी वहां के मसाले .और भी बहुत सी बातें की मोती बहुत अच्छे मिलते हैं वहां ,समुंद्री किनारे बहुत खूबसूरत हैं वगैरह वगैरह ..जिन्हें सुन सुन कर मेरा भी मन श्रीलंका देखने…
मॉस्को स्टेट यूनिवर्सिटी अभी तक आपने पढ़ा कि कैसे हमारा वेरोनिश से मॉस्को जाना तय हो गया था और हम हंसी ख़ुशी तैयारियों में लग गये थे कि चलो अब कम से कम इंडिया की टिकट के लिए मॉस्को के चक्कर लगाना तो बचेगा..पर नहीं जी अगर इतना आसान सब हो जाये तो भगवान को पूछेगा ही कौन ? असली तूफान आना…
आइये आज आपको ले चलती हूँ एडिनबर्ग .स्कॉट्लैंड की राजधानी.- स्कॉट्लैंड- जो १७०७ से पहले एक स्वतंत्र राष्ट्र था , अब इंग्लैंड का एक हिस्सा है और ग्रेट ब्रिटेन के उत्तरी आयरलैंड के एक तिहाई हिस्से को घेरे हुए है ,दक्षिण में इंग्लैंड की सीमा को छूता है तो पूर्व में नोर्थ सी को, जिसके उत्तर पश्चिम में अटलांटिक…
वेरोनेश युनिवेर्सिटी. अब तक आप ये तो यहाँ पढ़ ही चुके हैं कि कैसे हम गिरते पड़ते अपना रुसी भाषा का फाउन्डेशन कोर्स करने अपनी पहली मंजिल वोरोनेश तक पहुंचे थे | अब शुरू होता है उसके आगे का सफ़र. १९९०-९१ का वो समय रशिया में पेरोस्त्रोइका का था बहुत से बदलाव आ रहे थे | बाहरी दुनिया से रशिया का परिचय…
यकीन मानिये मैं जब भी यश चोपड़ा की कोई फिल्म देखती थी उसके मनोरम दृश्यों को देख यही ख्याल आता था “अरे क्या है ऐसा स्विट्ज़रलैंड में जो हमारे यहाँ नहीं मिलता इन्हें ..क्या भारत में बर्फ नहीं पड़ती? या यहाँ हसीं वादियाँ और पहाड़ नहीं हैं ?गायों और झरनों की कोई कमी है क्या भारत में? और वो बैल की घंटी…
शहर की भीडभाड ,रोज़ के नियमित काम ,हजारों पचड़े ,शोरगुल.. अजीब सी कोफ़्त होने लगती है कभी कभी उस पर कुछ काम अनचाहे और आ जाएँ करने को तो बस जिन्दगी ही बेकार ..ऐसे में सुकून के कुछ पल जैसे जीवन अमृत का काम करते हैं ओर उन्हीं को खोजने के लिए इस बार हमने मन बनाया यहीं पास के…
Voronezh Railway Station. वो कौन थी?..जी ये मनोज कुमार की एक फिल्म का नाम ही नहीं बल्कि मेरे जीवन से भी जुडी एक घटना है. बात उन दिनों की है जब मैं १२ वीं के बाद उच्च शिक्षा के लिए रशिया रवाना हुई थी | वहां मास्को में बिताये कुछ दिन और वहां के किस्से तो आप ...अरे चाय दे दे मेरी माँ .……..में पढ़ ही चुके…
यूँ तो भारत जाना हमेशा ही सुखद होता है ..परन्तु इस बार कुछ ज्यादा ही उत्सुकता थी ..काफी सारी योजनायें बना लीं थीं , बहुत सारे मनसूबे बाँध लिए थे….इस आभासी दुनिया के कुछ मित्रों से वास्तविक रूप में मिलने की उम्मीद थी…..जी हाँ उम्मीद ही कह सकते हैं , क्योंकि भारत पहुँच कर कुछ अपाहिजों जैसी हालत हो जाती है हमारी…
अक्सर हमने बुजुर्गों को कहते सुना है कि ये बाल हमने धूप में सफ़ेद नहीं किये…..वाकई कितनी सत्यता है इस कहावत में …जिन्दगी यूँ ही चलते चलते हमें बहुत कुछ सिखा देती है और कभी कभी जीवन का मूल मन्त्र भी हमें यूँ ही अचानक किसी मोड़ पर मिल जाता है.अब आप सोच रहे होंगे कि किस लिए इतनी भूमिका…
Venice city बहुत साल पहले एक फिल्म आई थी ” द ग्रेट गेम्बलर ” उसमें अमिताभ बच्चन और जीनत अमान पर एक गाना फिल्माया गया था ” दो लफ़्ज़ों की है दिल की कहानी ” वेनिस में गंडोले (एक तरह की लम्बी नोंक वाली नाव जिसे नाविक उसके पिछले छोर पर खड़ा होकर चलाता है ) पर फिल्माए इस गीत…