सुना है, लिखने वाले रोज नियम से २- ४ घंटे बैठते हैं। लिखना शुरू करते हैं तो लिखते ही चले जाते हैं। मैं आजतक नहीं समझ पाई कि उनके विचारों पर उनका इतना नियंत्रण कैसे रहता है। मैं तो यदि सोच कर बैठूं कि लिखना है तो दो पंक्तियाँ न लिखीं जाएँ . मेरे विचारों की आवाजाही तो जिन्दगी और मौत की…

इंसान अगर स्वभाववश कोमल ह्रदय हो तो वह आदतन ऊपर से एक कठोर कवच पहन लेता है। कि उसके नरम और विनम्र स्वभाव का कोई नाजायज फायदा न उठा सके। ज्यादातर आजकल की दुनिया में कुछ ऐसा ही देखा जाता है. विनम्रता को लोग कमजोरी समझ लिया करते हैं। जैसे अगर कोई विनम्रता और सरलता से अपनी गलतियां या कमजोरियां स्वीकार ले तो हर…

सुबह उठ कर खिड़की के परदे हटाये तो आसमान धुंधला सा लगा। सोचा आँखें ठीक से खुली नहीं हैं अँधेरा अभी छटा नहीं है इसलिए ठीक से दिखाई नहीं दे रहा। यहाँ कोई इतनी सुबह परदे नहीं हटाता पारदर्शी शीशों की खिड़कियाँ जो हैं। बाहर अँधेरा और घर के अन्दर उजाला हो तो सामने वाले को आपके घर के अन्दर का हाल साफ़ नजर आता…

सपने भी कितनी करवट बदलते हैं न .आज ये तो कल वो कभी वक्त का तकाज़ा तो कभी हालात की मजबूरी और हमारे सपने हैं कि बदल जाते हैं. इस वीकेंड पर एक पुरानी मॉस्को में साथ पढ़ी हुई एक सहेली से मुलाकात हुई . १५ साल बाद साथ बैठे तो ज्यादातर बातें अब अपने अपने बच्चों के कैरियर की होती रहीं. मुझे एहसास हुआ कि कितना समय बदल गया.. एक वो दिन थे…

स्मृतियाँ …बहुत जिद्दी किस्म की होती हैं..कमबख्त पीछा ही नहीं छोड़तीं जितना इनसे दूर जाने की कोशिश करो उतना ही कुरेदती हैं और व्याकुल करती हैं अभिव्यक्त करने के लिए. फिर चाहे वह किसी भी रूप में हो.घर में बच्चों को कहानी के तौर पर सुनाने के रूप में या ,किसी संगी साथी से बाटने के रूप में.कहीं किसी डायरी…