डेढ़ महीने की छुट्टियों के बाद भारत से लौटी हूँ. और अभी तक छुट्टियों का खुमार बाकी है.कुछ लिखने का मन है पर शब्द जैसे अब भी छुट्टी पर हैं,काम पर आने को तैयार नहीं. तो सोचा आप लोगों को तब तक इन छुट्टियों में हुई मुलाकातों का ब्यौरा ही दे दूं. भारत जाने से पहले भी कुछ जाने माने…

पिछले कुछ दिनों बहुत भागा दौड़ी में बीते .२४ जून से २६ जून तक बर्मिघम के एस्टन यूनिवर्सिटी में कुछ स्थानीय संस्थाओं और भारतीय उच्चायोग के सहयोग से तीन दिवसीय “यू के विराट क्षेत्रीय हिंदी सम्मलेन २०११” था .और हमारे लिए आयोजकों से फरमान आ गया था कि आपको भी चलना है और वहाँ अपना पेपर पढना भी है. अब क्या बोलना…

. हिंदी समिति के २० वर्ष पूरे होने के उपलक्ष में वातायन,हिंदी समिति और गीतांजलि संघ द्वारा दिनांक ११,१२,और १३ मार्च को क्रमश: बर्मिंघम ,नॉटिंघम और लन्दन में अन्तराष्ट्रीय हिंदी सम्मलेन आयोजित किया गया. जिसका मुख्य विषय था विदेश में हिंदी शिक्षण और इस सम्मलेन में भारत सहित यू के और रशिया के बहुत से हिंदी विद्वानों ने भाग लिया जिनमें अजय गुप्त,…

कभी कभी फ़ोन के घंटी कितनी मधुर हो सकती है इसका अहसास कभी ना कभी हम सभी को होता है , मुझे भी हुआ जब सामने से आवाज़ आई ..शिखा जी , आपके संस्मरण को हाई कमीशन द्वारा घोषित लक्ष्मी मल्ल सिंघवी प्रकाशन अनुदान सम्मान दिया जायेगा. कृपया वक्त पर हाई कमीशन पहुँच जाएँ. लैटर आपको १-२ दिन मे मिल जाएगा ...शब्द जैसे…

राष्ट्र मंडल खेल खतरे में हैं क्यों? क्योंकि एक जिम्मेदारी भी ठीक से नहीं निभा सकते हम .बड़े संस्कारों की दुहाई देते हैं हम. ” अतिथि देवो भव : का नारा लगाते हैं परन्तु अपने देश में कुछ मेहमानों का ठीक से स्वागत तो दूर उनके लिए सुविधाजनक व्यवस्था भी नहीं कर पाए. इतनी दुर्व्यवस्था कि मेहमान भी आने से मना…

जी हाँ …हम बेकार ही विदेशी इवेंट्स मनाने में हंगामा करते हैं ..कि वेलेंटाइन डे. क्रिसमस ..विदेशी त्यौहार है हम नहीं मनाएंगे इनसे हमारी संस्कृति को खतरा है..परन्तु और कुछ हो न हो थोड़ी व्यावहारिकता, और डिप्लोमेसी हमें इन अंग्रेजों से सीख ही लेनी चाहिए..हमसे ,हमारे ही बारे में सब जानकार अपना फायदा कैसे किया जाता है ये गुण बेशक…