यूँ मैं बहुत धार्मिक नहीं और पूजा पाठ में तो यकीन न के बराबर है. पर मैं नास्तिक भी नहीं और उत्सवों में त्योहारों में बहुत दिलचस्पी है. उनमें यथासंभव भाग लेने की कोशिश भी हमेशा रहा करती है. ऐसे में जब पता चले कि अपने ही इलाके में जगन्नाथ भगवान की रथयात्रा का आयोजन है तो जाए बिना रहा…
आज सुबह राशन खरीदने टेस्को (सुपर स्टोर) गई तो वहां का माहौल कुछ बदला बदला लग रहा था. घुसते ही एक स्टाफ की युवती दिखी जो भारतीय वेश भूषा में सजी हुई थी. मुझे लगा हो सकता है इसका जन्मदिन होगा। सामान्यत: यहाँ एशियाई तबकों में अपने जन्मदिन पर परंपरागत लिबास में काम पर जाने का रिवाज सा है. परन्तु थोड़ा…
मोस्को में पत्रकारिता की पढ़ाई के दौरान, हमारे मीडिया स्टडीज के शिक्षक कहा करते थे कि पत्रकारिता किसी भी समय या सीमा से परे है. आप या तो पत्रकार हैं या नहीं हैं. यदि पत्रकार हैं तो हर जगह, हर वक़्त हैं. खाते, पीते, उठते, बैठते, सोते, जागते हर समय आप पत्रकारिता कर सकते हैं. आप बेशक सक्रीय पत्रकार न हों परन्तु…
टावर ऑफ़ लंदन पर, प्रथम विश्व युद्ध में मारे गए जवानों की स्मृति में 888,246 (2010 के ऑडिट के मुताबिक प्रत्येक ब्रिटिश शहीद के नाम एक) पॉपी के सिरामिक के फूल लगाए गए. जिन्हें १८ जुलाई २०१४ से लगाना शुरू किया गया था। Seas of Red. एक खून के दरिया से लगने वाला ये नजारा एक पल को…
मार्च ख़तम होने को है पर इस बार लन्दन का मौसम ठीक होने का नाम ही नहीं ले रहा। ठण्ड है कि कम होने को तैयार नहीं और ऐसे में मेरे जैसे जीव के लिए बहुत कष्टकारी स्थिति होती है। पैर घर में टिकने को राजी नहीं होते और मन ऐसे मौसम में बाहर निकलने से साफ़ इनकार कर देता है।…
कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता कहीं ज़मीं तो कहीं आसमां नहीं मिलता . बहुत छोटी थी मैं जब यह ग़ज़ल सुनी थी और शायद पहली यही ग़ज़ल ऐसी थी जो पसंद भी आई और समझ में भी आई। एक एक शेर इतनी गहराई से दिल में उतरता जाता कि आज भी कोई मुझे मेरी पसंदीदा गजलों के बारे में…
लन्दन की बारिश का यूँ तो कभी कोई भरोसा नहीं, और लन्दन वासियों की इसकी खासी आदत भी है।परन्तु कभी कभी जब किसी खास आयोजन में जाना हो यह मोहतरमा बिना किसी पूर्व सूचना के आ धमकें तो बहुत ही खला करती हैं।ऐसा ही कुछ हुआ 19अक्तूबर की शाम को जब हमें “एशियन कम्युनिटी ऑफ़ आर्ट्स” द्वारा प्रसिद्ध कथाकार तेजेंद्र शर्मा के…
भोपाल- यूँ यह शहर अनजान कभी ना था. गैस त्रासदी , ताल तलैये और बदलते वक़्त के साथ न्यू मीडिया और हिंदी साहित्य के बढ़ते हुए क्षेत्र के रूप में भोपाल हमेशा ही चर्चा में सुनाई देता रहा. परन्तु कभी इस शहर के दर्शनों का लाभ नहीं मिला अत: इस बार जब भारत प्रवास के दौरान श्री अनिल सौमित्र जी का निमंत्रण,…
लोकार्पण सुश्री संगीता बहादुर ( डारेक्टर नेहरु सेंटर) १४ मार्च बुधवार की शाम को लन्दन स्थित नेहरु सेंटर में पुस्तक ” स्मृतियों में रूस ” का विमोचन हुआ .समारोह में सम्मानित अतिथि सुश्री संगीता बहादुर ने सर्प्रथम सभी का स्वागत करते हुए लेखिका को बधाई देते हुए अपनी बात शुरू की. श्री कैलाश बुधवार (पूर्व बी बी सी प्रमुख )ने पुस्तक…
तम्बू लग चुके हैं, सजावट हो चुकी है और बस बारात का आना बाकी है. जी हाँ लन्दन में २०१२ में होने वाले ओलंपिक के लिए अभी लगभग पूरा एक साल पड़ा है .परन्तु लन्दन एकदम तैयार है.लगभग सारी तैयारियां हो चुकी हैं.स्टेडियम बनकर तैयार हैं.बस अन्दर की कुछ सजावट बाकी है जो जल्दी ही पूरी कर ली जाएगी. और……