गद्य

लन्दन का तापमान आजकल उंचाई पर है .पारा २४ डिग्री पर पहुँच गया है .ये शायद पहली बार है जब यूरोप में सबसे ज्यादा तापमान लन्दन में है लोग अपनी ईस्टर की छुट्टियों में इस बार स्पेन या फ्रांस नहीं जा रहे बल्कि लन्दन में ही सूर्य देवता को नमन कर रहे हैं . समुद्री किनारों पर जैसे सैलाब उमड़ आया…

चल पड़े जिधर दो डग मग में  चल पड़े कोटि पग उसी ओर. ये पंक्तियाँ बचपन से ही कोर्स की किताबों में पढ़ते आ रहे थे .गाँधी को कभी देखा तो ना था. पर अहिंसा और उपवास से अंग्रेजी शासन तक का तख्ता पलट दिया था एक गाँधी नाम के अधनंगे फ़कीर से वृद्ध ने. यही सुनते आये थे. अंग्रेजों की गुलामी से…

एक १४-१५ साल कि लड़की घर में घुसती है ” मोम ऍम आई एलाउड तो गो आउट विथ सम वन” ?अन्दर से चिल्लाती एक आवाज़. दिमाग ख़राब हो गया क्या तेरा? ये उम्र है इन सब कामो की ?पढाई पर ध्यान दो ...यू वीयर्ड मोम आल माय फ्रेंड्स आर गोइंग ..तो जाने दो उन्हें यह हमारा कल्चर नहीं .”ओके ओके…

सफलता पाना  आसान है पर उसे उसी स्तर पर बनाये रखना मुश्किल. शायद आप लोगों ने भी सुन रखा होगा. कुछ लोग मानते होंगे और कुछ लोग नहीं. परन्तु मैं हमेशा  ही इस विचार से १००% सहमत रही हूँ. अपने आसपास ,या दूर- दूर न जाने कितने ही ऐसे उदाहरण मुझे मिल जाते हैं जिन्हें  देख कर इस विचार की सत्यता…

कभी कभी फ़ोन के घंटी कितनी मधुर हो सकती है इसका अहसास  कभी ना कभी हम सभी को होता है ,  मुझे भी हुआ जब सामने से आवाज़ आई ..शिखा जी ,  आपके संस्मरण को हाई कमीशन द्वारा घोषित लक्ष्मी मल्ल सिंघवी प्रकाशन अनुदान  सम्मान दिया जायेगा. कृपया वक्त पर हाई कमीशन पहुँच जाएँ. लैटर आपको १-२ दिन मे मिल जाएगा ...शब्द जैसे…

अभी कुछ दिन पहले दिव्या माथुर जी ((वातायन की अध्यक्ष, उपाध्यक्ष यू के हिंदी समिति) ) ने अपनी नवीनतम प्रकाशित कहानी संग्रह “2050 और अन्य  कहानियां” मुझे सप्रेम भेंट की .यहाँ हिंदी की अच्छी पुस्तकें बहुत भाग्य से पढने को मिलती हैं अत: हमने उसे झटपट पढ़ डाला.बाकी कहानियां तो साधारण प्रवासी समस्याओं और परिवेश पर ही थीं परन्तु आखिर की दो कहानियों  ” 2050…

करी खा तो सकते हैं पर सूंघ नहीं सकते . ब्रिटेन में करी का काफी प्रचलन  है. जगह जगह पर भारतीय और बंगलादेशी टेक आउट कुकुरमुत्तों की तरह खुले हुए हैं और यहाँ के निवासियों में करी का काफी शौक देखा  जाता है …पर समस्या तब खड़ी होती है जब उन्हें करी खाने से तो कोई परहेज नहीं पर करी की…

सफ़ेद रंग का लम्बा वाला लिफाफा था और मोती से जड़े उसपर अक्षर. देखते ही समझ गई थी कि ख़त पापा ने लिखा है. पर क्या???? आमतौर पर पापा ख़त नहीं लिखा करते थे.बहने ही लिखा करतीं थीं और उनके लिफाफे गुलाबी,नीले ,पीले हुआ करते थे. कोई जरुरी बात ही रही होगी. झट से खोला था तो दो बड़े बड़े…

सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तान हमारा …..हर जगह आज यही पंक्तियाँ बजती सुनाई दे रही हैं. हर कोई देश भक्ति की भावना से लवरेज दिखाई पड़ता है, अंतर्जाल तिरंगों से भरा पडा है ,.राजपथ से ऐतिहासिक लाल किले तक आठ किलोमीटर लंबे मार्ग पर  गणतंत्र दिवस की परेड में सशस्त्र बलों और अर्द्धसैनिक बलों की टुकडि़यों ने बैंड की धुनों…

क्रेमलिन – वर्ल्ड हेरिटेज साईट में शुमार. घर की मुर्गी दाल बराबर .बस यही होता है. जो चीज़ हमें सहजता से सुलभ हो जाये उसकी कदर ही कहाँ करते हैं  हम. और यही कारण होता है कि जिस जगह हम रहते हैं वहां के दर्शनीय स्थलों के प्रति उदासीन से रहते हैं .अरे  यहीं तो हैं कभी भी देख आयेंगे,…