गद्य

Voronezh Railway Station. वो  कौन थी?..जी ये मनोज कुमार की एक फिल्म का नाम ही नहीं बल्कि मेरे जीवन से भी जुडी एक घटना है.  बात उन दिनों की  है जब मैं  १२ वीं  के बाद उच्च शिक्षा के लिए रशिया रवाना हुई  थी | वहां मास्को में  बिताये कुछ दिन और वहां के किस्से तो आप ...अरे चाय दे दे मेरी माँ .……..में पढ़ ही चुके…

कल एक comedy tv शो के दौरान देखा एक ७-८ साल की बच्ची परफोर्म कर रही थी …” ओये बहाने बहाने से हाथ मत लगा.” .और बहुत ही घटिया और व्यस्क कहे जाने वाले चुटकुले बहुत ही प्रवीणता और मनोयोग  से सुना रही थी . वहां मौजूद लोग खूब तालियाँ बजा रहे थे उसकी अदाओं पर…आजकल ये नया फैशन चल पड़ा है हिंदी…

                                         A Puppy Face हम अक्सर माता – पिता को ये कहते सुनते हैं ..” हे भगवान ये बच्चे भी न इतने चालाक हैं पूछो मत.” वाकई कभी कभी लगता है कि इन बच्चों के पेट में दाढी  होती है .हम जितना इन्हें समझते हैं उससे कहीं ज्यादा ये हमें समझते हैं ..कब कौन से हथकंडे अपना कर किस तरह अपना काम…

यूँ तो भारत जाना हमेशा ही सुखद होता है ..परन्तु इस बार कुछ ज्यादा ही उत्सुकता थी ..काफी सारी योजनायें बना लीं थीं , बहुत सारे मनसूबे बाँध लिए थे….इस आभासी दुनिया के कुछ मित्रों से वास्तविक रूप में मिलने की  उम्मीद थी…..जी हाँ उम्मीद ही कह सकते हैं , क्योंकि भारत पहुँच कर कुछ अपाहिजों जैसी हालत हो जाती है हमारी…

मानवीय प्रकृति पर बहुत कुछ कहा और लिखा गया है, लोग बहुत कुछ कहना चाहते हैं…कहते भी हैं..परन्तु मुझे लगता है कि ,इस पर जितना भी लिखा या कहा जाये कभी पूरा नहीं हो सकता . तो चलिए थोडा कुछ मैं भी कह देती हूँ अपनी तरफ से. ये एक मानवीय प्रकृति है कि हमें जिस काम को करने के…

१८ वीं और १९ वीं सदी के बहुत से पश्चिमी विद्वानों ने ये भ्रम फ़ैलाने की कोशिश की है कि भारत में ३०० – ४०० ईसा पूर्व जिस ब्राह्मी लिपि का विकास हुआ उसकी जड़े भारत से बाहर की हैं ,और इससे पहले भारत किसी भी तरह की लिखित लिपि से अनजान था. इसी सम्बन्ध में डॉ. Orfreed and Muller…

प्रेम दिवस कहो या valentine day ..कितना खुबसूरत एहसास है …आज के दौर की इस आपा धापी जिन्दगी में ये एक दिन जैसे ठहराव सा ला देता है .एक दिन के लिए जैसे फिजा ही बदली हुई सी लगती है ..फूलो की बहार सी आ जाती है…हर चेहरा फूल सा खिला दीखता है..कोई गर्व से , कोई ख़ुशी से ,…

६ फरवरी …. . मेरे दिल के बहुत करीब है ये तारीख ,मेरे हीरो का जन्म दिवस…जी हाँ एक ऐसा इंसान जो जिन्दगी से भरपूर था ..जीवन के हर पल को पूरी तरह जीता था. एक मेहनतकश इंसान…. जिसके शब्दकोष में असंभव शब्द ही नहीं था,..व्यक्तित्व ऐसा रौबीला कि सामने वाला मुंह खोलते हुए भी एक बार सोचे ,आवाज़ ऐसी…

“In my next life I would like to be born an indian” जी नहीं… ये कथन मेरा नहीं ,मुझे तो ये रुतबा हासिल है….यह कथन है एक अंग्रेज़ का ..जी हाँ ठीक सुना आपने वो अंग्रेज़ जिन्हें भारत में कमियां और अपने देश में खूबियाँ ही नजर आती हैं.यह कहना है Sebastian Shakespeare का जो हाल ही में २ हफ्ते…

अक्सर हमने बुजुर्गों को कहते सुना है कि ये बाल हमने धूप में सफ़ेद नहीं किये…..वाकई कितनी सत्यता है इस कहावत में …जिन्दगी यूँ ही चलते चलते हमें बहुत कुछ सिखा देती है और कभी कभी जीवन का मूल मन्त्र भी हमें यूँ ही अचानक किसी मोड़ पर मिल जाता है.अब आप सोच रहे होंगे कि किस लिए इतनी भूमिका…