कौन कहता है दर पे उसके, देर है- अंधेर नही, मुझे तो रोशनी की एक, झलक भी नही दिखती. मिलना हो तो मिलता है, ख़ुशियों का अथाह समुंदर भी, पर चाहो जब तो उसकी, एक छोटी सी लहर भी नही दिखती. हज़ारों रंग के फूल हैं, दुनिया के बगानों में, मगर मेरे तो नन्हें दिल की एक कली भी नही…