आलेख

क्योंकि हमने पढ़ना छोड़ दिया है – – हमारी अभिव्यक्ति में गलत , अभद्र शब्दों का प्रयोग होता है क्योंकि हम सही और सुन्दर शब्दों का प्रयोग जानते ही नहीं। – अपने भावों को अभिव्यक्त करते समय क्रोध, घृणा, पैर पटकना, आदि क्रियाओं को काम में लेते हैं क्योंकि किसी भाव को उपयुक्त शब्दों से अभिव्यक्त करना हम नहीं जानते।…

ग्रीष्मकालीन अवकाश, स्कूल वर्ष और स्कूल के शैक्षणिक वर्ष के  बीच गर्मियों में स्कूल की एक लम्बी छुट्टी को कहते है। देश और प्रांत के आधार पर छात्रों और शिक्षण स्टाफ को आम तौर पर छ: से आठ सप्ताह के बीच यह अवकाश दिया जाता है। जहाँ भारत में यह अवकाश सामान्यत: पाँच से छ: सप्ताह का होता है वहीँ संयुक्त…

 असल ज्ञान वह मेरी पहली अनुबंधित नौकरी थी. अब तक छात्र जीवन को चलाने के लिए बहुत से पार्ट टाइम काम (ट्यूशन, अनुवाद आदि) किये थे पर अब मैं स्वयं छात्रा की श्रेणी से निकलते ही शिक्षिका की श्रेणी में आ गई थी. मास्को से टीवी पत्रकारिता में परास्नातक करने के पश्चात वहीं पी एच डी करने के आग्रह को…

बाबू मोशाय बात ऐसी है कि हमें लगता है, जितने भी त्यौहार वगैरह आज हैं सब इत्तेफाकन और परिस्थिति जन्य हैं। तो हुआ कुछ यूं होगा कि एक परिवार में (पहले संयुक्त परिवार होते थे) किसी की किसी से ठन गई। महीना था यही फागुन का। नए नए टेसू के फूल आये थे। पहले लोग इन्हीं फूलों आदि के रंग…

यह साल खास था. कुछ अलग. अलग नहीं, बहुत अलग. इतना अलग कि मैं मुड़ मुड़ कर देखती रही, पूछती रही – “ ए जिन्दगी ! तुम मेरी ही हो न? किसी और से बदल तो न गईं? तुम ऐसी तो न थीं. न जाने कितना कुछ अप्रत्याशित घटा. कितने ही पल ऐसे आये जिन्हें दुनिया ख़ुशी कहती है. मैं…

अंधेरों के दरवाजों में ताले नहीं होते. उनकी चाबियाँ भी नहीं होतीं. इसलिए उन्हें लॉक नहीं किया जा सकता. बस भेड़ा जा सकता है जो मिलते ही ज़रा सी नकारात्मकता की ठेल, खुल जाते हैं और फ़ैल जाता है सारा अँधेरा आपके मन मस्तिष्क पर. उसमें खो जाता है आपका अस्तित्व और गुम हो जाते हैं आप. नहीं दिखाई पड़ते किसी…

विज्ञान कभी भी अपने दिमाग के दरवाजे बंद नहीं करता। बेशक वह दिल की न सुनता हो परंतु किसी भी अप्रत्याशित, असंभव या बेबकूफाना लगने वाली बात पर भी उसकी संभावनाओं की खिड़की बन्द नहीं होती। यही कारण है कि आज हम बिजली का बल्ब, हवाई जहाज या टेलीफोन जैसी सुविधाओं का सहजता से उपयोग करते हैं जिनकी इनके अविष्कार…

  भाषा – सिर्फ शब्दों और लिपि का ताना बाना नहीं होती. भाषा सम्पूर्ण संस्कृति होती है और अपने पूरे वर्ग का प्रतिनिधित्व करती है. खासकर यदि वह भाषा किसी पाठ्यक्रम में इस्तेमाल की जाए वह भी छोटे बच्चों के तो उसपर थोड़ा विचार अवश्य किया जाना चाहिए. क्योंकि प्रारंभिक शिक्षा और किताबों का उद्देश्य नौकरी दिलाना या साहित्य पढ़ाना…

दुनिया की सबसे स्वार्थी, जीरो नैतिक मूल्य और असंवेदनशील कौम साबित हो रहे हैं हम. यह सही है कि किसी भी आपदा या महामारी के लिए कोई भी देश, बेशक कितना भी विकसित और संपन्न क्यों न हो, कभी तैयार नहीं हो सकता. पिछले साल जब इटली, फ़्रांस, स्पेन, यूके जैसे देशों से भयावह खबरें आ रही थीं तब वहां…

प्रिय बेटियों, पूरी आशा है तुम वहाँ कुशल पूर्वक होगी। हम यहाँ ठीक हैं। तुम्हारी मम्मी भी आ गईं हैं। वह भी ठीक हैं। हम रोज चाय के समय तुम लोगों को याद करते हैं। मम्मी तुम लोगों के समाचार देती हैं। उनकी बातें खत्म ही नहीं होतीं। ऐसा लगता है न जाने कब से नहीं बोलीं हैं। यह जगह…