सुनो आज मौसम बहुत हसीं है फिफ्टी फिफ्टी के अनुपात में सूरज और बादल टहल रहे हैं चलो ना , हम भी टहल आयें जेकेट – नहीं होगी उसकी ज़रूरत हाँ ले चलेंगे अपनी वो नीली छतरी जिसपर गिरती हैं जब बारिश की बूँदेंतो रंग आसमानी सा हो जाता है और टप टप की आवाज के साथ लगता है जैसे खुले आकाश के नीचे कर रहा हो कोई…

रिश्ते मिलते हों बेशक स्वत: ही पर रिश्ते बनते नहीं बनाने पड़ते हैं। करने पड़ते हैं खड़े मान और भरोसे का ईंट, गारा लगा कर निकाल कर स्वार्थ की कील और पोत कर प्रेम के रंग रिश्ते कोई सेब नहीं होते जो टपक पड़ते हैं अचानक और कोई न्यूटन बना देता है उससे कोई भौतिकी का नियम। या ग्रहण कर लेते हैं मनु श्रद्धा और हो…

मन की राहों की दुश्वारियां निर्भर होती हैं उसकी अपनी ही दिशा पर और यह दिशाएं भी हम -तुम निर्धारित नहीं करते ये तो होती हैं संभावनाओं की गुलाम ये संभावनाएं भी बनती हैं स्वयं देख कर हालातों का रुख मुड़ जाती हैं दृष्टिगत राहों पे कुछ भी तो नहीं होता हमारे अपने हाथों में फिर क्यों कहते हैं कि आपकी जीवन रेखाएं …