मुझे नफरत है
नम आँखों से मुस्कुराने वालों से
मुझे नफरत है
दिल के छाले छिपा जाने वालों से।
मुझे नफरत है
ऍफ़ बी पर गोलगप्पे से सजी प्लेट की
तस्वीर लगाने वालों से
नफरत है मुझे
रोजाना चाट उड़ाने वालों से।
मुझे नफरत उनसे भी है
जो पानसिंह तोमर देखने के बाद
नुक्कड़ की दुकान पर
दही – गुलाब जामुन खाते हैं
और उनसे भी,
जो आधी रात उठकर मैगी बनाते हैं। .
मुझे नफरत है
दोस्तों के साथ आवारा गर्दी करने वालों से
मुझे नफरत है
सुबह ४ बजे तक दोस्तों से गपियाने वालों से।
हाँ मुझे नफरत है
दोस्त की बरात में नाचने वालों से
और मुझे नफरत है
टोली बनाकर फिल्म देखने वालों से.
हालाँकि मुझे नफरत है
अपनी मजबूरी को नफरत बताने से मगर,
फिर भी,
मुझे नफरत है…. नफरत है ….नफरत है … 🙂 🙂
Missing India and Old friends 🙁 🙁
लगता है अपने पुराने दिनों को बहुत मिस कर रही हो शिखा (दोस्त…दोस्ती …मस्ती …धमाल )
🙂
सच्ची :):)
अरे अब तो इंडिया आ रही हो …. सारी नफरत धो पोंछ कर आओ …. गोलगप्पे मिलेंगे खाने को :):)
हाँ ये " ऍफ़ बी पर गोलगप्पे से सजी प्लेट की तस्वीर लगाने वालों से" मुझे भी नफ़रत है 🙂
जितने दिन यहाँ रहने का , फुलटु ऐश मारने का ! क्या बाॅस ! !
इस नफरत में ईर्ष्या तो नहीं दिखी… हाँ ! ललचाते चटखारे और काश की कशमकश बहुत यम्मी लगी बिलकुल गोलगप्पे जैसी 🙂
achha 😛
are sidhe likhna tha miss u sonal ,…
हा हा हा .
शुभागमन-
स्वागत है आदरेया-
अभी तो २० दिन हीं दी :).
haan 🙂
ye aapke liye dhamakee hai Sonal, facebook me dislike ka option hona chahiye 🙂
नफरत है मुझे भी अपनों सा दिखने वालों से"….सही बात ना लिखने वालों से"…दरअसल कविता की शुरुआत बेहद संजीदा भावों के साथ हुई…"नम आँखों से मुस्कुरने वाले" …और "दिल के छाले छुपा जाने वाले"…उस के बाद कविता ने भी बिलकुल फेस्बुकिया रुप ले लिया एकदम टाटा की गाड़ियों की तरह जिसको सड़क पर चलते हुए देखने में अधिक आनंद मिलता है उस में बैठ यात्रा करने की बजाय….अब पाठकों की कोई गलती नही होती यदि उनकी आकांक्षाए अपने लेखक से कुछ बढ़ जाए…:)
सही कह रहे हैं 🙂
हाँ :):)
सही है ..
मुझे भी नफरत है !!!
अरे इतनी भी नफरत अच्छी नहीं जी 🙂 प्यार बांटते चलो…
वाह ..इस नफरत में छिपा प्यार साफ़ नज़र आ रहा ..
फेसबुक वाली बात पढकर तो नफरत की सच्चाई महसूस हुई ( सचमुच कई लोगों ने तो फेसबुक को कूडेदान ही बना दिया है ) लेकिन बाकी नफरतें तो बस कमाल है ।
हे भगवान, अब हम जैसों का क्या होगा?:)
रामराम.
हां मुझे भी नफरत है……………
जल का ख़ाक हुए जाते हैं 🙁
अबकी भोपाल आ रही हो क्या?????
:-/
अनु
नहीं अनु ! इस बार तो संभव नहीं लगता.
दिल को बहलाने को ग़ालिब ख़याल अच्छा है 🙂
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इत्ती प्यारी नफरतें . की नफरत भी अपने से प्यार करने लगी होगी . भारत वर्ष में आपका स्वागत गोलगप्पे से हो , ऐसी कामना करता हूँ .
अरे ! आपने तो ब्लॉग पर ही नफ़रत क्लब बना लिया ! 🙂
लेकिन हम तो नफ़रत से भी नफ़रत नहीं करते।
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन फिर भी दिल है हिंदुस्तानी – ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है … सादर आभार !
कभी-कभी ऐसा ही होता है , पर जब ख़ुद करो तो अच्छा लगने लगता है न!
:):) वही तो.
🙂 बढ़िया है जी…..
nafrat ke saath bhi jeena padta hai 🙂
"मुझे नफरत उनसे भी है जो पानसिंह तोमर देखने के बाद नुक्कड़ की दुकान पर दही – गुलाब जामुन खाते हैं"
BTW वो आइसक्रीम और गुलाब जामुन था !
अरे रे रे…. आप नफरत भी इतने प्यार से कर रहो की नफरत को लगेगा की आप उस पर प्यार ही जाता रहे हो……..
HaHaHa….too cute!!!
aaiiye aaiiye aapki saari shikaayten door kee jaayengi! 😉
शुभ प्रभात
कल कैसे नही दिखी ये पोस्ट
लगता है अब चश्मा लगेगा
खैर
जब तू जागे तभी सबेरा
सादर
जो नफरत ऐसी है तो मुहब्बत कैसी होगी !!
ये नफरतें बची रहे कि इनमे जिंदगी सांस लेती है !
@मुझे नफरत है
ऍफ़ बी पर गोलगप्पे से सजी प्लेट की
तस्वीर लगाने वालों से
आप तो उतनी दूर है हम तो देश में हो कर भी इन तस्वीरों से नफ़रत करते है , मुंबई में वो बात कहा जो बनारस की चाट में है , सो फोटो देखने के बाद खुद बना कर खाना पड़ता है ,मुंबई वाली तो देखना भी पसंद नहीं है ।
यहाँ आने की ख़ुशी बढती जा रही होगी साथ में नये नये प्लान बन रहे होंगे की इस बार ये करेंगे वो करेंगे :)))
क्या बात है का अंदाज़-ए-नफरत है | आदाब
कोमल भावो की और अभिवयक्ति ….
जय हो, जीवन जैसे भी आनन्द दे, उठा ले मन।
क्या हो गया … क्यों नफरत में जी रही हैं … दिल से निकाल दे ये नफरत … करने वाले तो करते रहेंगे सब ऐश …
नफरत नफरत नफरत नफरत
वाह .
मुझे नफरत उनसे भी है
जो पानसिंह तोमर देखने के बाद
नुक्कड़ की दुकान पर
दही – गुलाब जामुन खाते हैं
ये वाली पंक्तियों को समझ नहीं पा रहा हूँ…एक गहन खींझ जताने वाली कविता।।।
itani nafarat kaise ???????
mujhe nafrat h kahani padi bahut achi lgi dil ki bhawanao ko bahut achi trh pirokar or khusi gum ko btaya apne acha lga g
यह नफ़रत तो अस्थाई लगती है
अजीब कश्मकस है ज़िन्दगी को फिर जीने की
🙂
सुंदर प्रस्तुति ।।।
nafrat itani na hove ki dosti ka matlab gum ho jaye kavya rachna ke bhav pasanad aaye
bhut sundar
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