लोकप्रिय प्रविष्टियां

काश तुम -तुम ना होते, काश हम – हम ना होते. जब ये ठंडी हवा , गालों को छूकर बालों को उड़ा जाती, जब मुलायम ओस पर सुनहरी धूप पड़ जाती काश उस गीली ओस पर तब हम, तुम्हारा हाथ थामे चल पाते. जब कोई अश्क चुपके से, इन आँखों से लुढ़कने लगता, ये दिल किसी की याद में चुपके…

दिनांक 14 अगस्त 2017 को मुझे सूचना मिली है कि ‘संत गाडगे बाबा अमरावती विश्वविद्यालय, अमरावती’ के बी.कॉम. प्रथम वर्ष, हिंदी (अनिवार्य) पाठ्यक्रम के अंतर्गत विश्वविद्यालय द्वारा स्वीकृत टेक्स्ट बुक में मेरी एक कविता ‘पगडण्डी की तलाश’ को स्थान मिला है. मेरे लिए ख़ुशी की एक और वजह.…

अपने बाकी साथियों से कुछ अलग थी वो. हालाँकि काम वही करती थी. गाने भी वही गाती थी, चलती भी वैसे ही थी और नाचती भी वैसे ही थी. परन्तु न बोली में अभद्रता थी, न ही स्वभाव में लालच और न ही ज़रा सा भी गुस्सा या किसी तरह की हीन भावना  उसके स्वभाव में एक सौम्यता थी, वाणी में विनम्रता और उसका…

जब से लिखना शुरू किया, हमेशा ही मेरे मित्र मुझे कहानी भी लिखने को कहते रहे. परन्तु मुझे हमेशा ही लगता रहा कि its not my cup of tea.फिर लगातार कुछ दोस्तों के दबाब के कारण और कुछ अपनी क़ाबलियत आजमाने के स्वाभाव के चलते यह पहला प्रयास किया .. और यह मेरी पहली कहानी इस माह (सितम्बर) की “बिंदिया” पत्रिका…

दुनिया का एक सर्वोच्च गणराज्य है उसके हम आजाद बाशिंदे हैं पर क्या वाकई हम आजाद हैं? रीति रिवाजों के नाम पर कुरीतियों को ढोते हैं , धर्म ,आस्था की आड़ में साम्प्रदायिकता के बीज बोते हैं। कभी तोड़ते हैं मंदिर मस्जिद कभी जातिवाद पर दंगे करते हैं। क्योंकि हम आजाद हैं…. कन्या के पैदा होने पर जहाँ माँ का…

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