लोकप्रिय प्रविष्टियां

व्हाट द फ … ये इंटरनेट है या ब्लडी बैलगाड़ी। 5 मिनट में एक पेज अपलोड होता है.  मॉम मैंने आपको कल नया हेयर कलर मगाने को बोला था अभी तक नहीं आया.ओह शिट। इस डॉक्टर के यहाँ इतनी वेटिंग में कौन बैठेगा।यह बहुत बड़ा है, हाथ थक गए लिखते हुए.अब इतना लंबा कौन पढ़ने बैठे।इतने साल.? सारी जिंदगी पढ़ते…

सर उठा रहा भुजंग है  क्रोध, रोष, दंभ है  बेबस है लाल भूमि के  शत्रु हो रहा दबंग है  फलफूल रहा आतंक है  और सो रहा मनुष्य है  अपनी ही माँ की छाती पर  वो उड़ेल रहा रक्त है  जिन चक्षु में था नेह भरा वो पीड़ा से आज बंद हैं  माँ कहे मुझे नहीं देखना  मेरी कोख पर लगा…

कोई आपसे कहे कि लंदन की थेम्स से आजकल गंगा – जमना की खुशबू आ रही है तो क्या आप यकीन करेंगे? शायद नहीं, शायद क्या, बिलकुल नहीं करेंगे। क्योंकि ज़माना कितना भी आगे बढ़ गया हो इतना तो अभी नहीं बढ़ा कि नदियों की खुशबू सात समुन्द्र पार मोबाइल से पहुँच जाए. परन्तु लंदन में दस दिन से ऐसा ही कुछ…

यूँ ही कभी कभी ठन्डे पड़ जाते हैं मेरे हाथ. तितलियाँ सी यूँ ही मडराने लगती हैं पेट में. ऊंगलियाँ करने लगती हैं अठखेलियाँ यूँ ही एक दूसरे से . पलकें स्वत: ही हो जाती हैं बंद. और वहाँ बिना किसी जुगत के ही कुछ बूंदे निकल आती हैं धीरे से. काश कि तेरे पोर उठा लें और  कह दें उन्हें मोती. या…

जब से देश छूटा हिंदी साहित्य से भी संपर्क लगभग छूट गया और उसकी जगह (उस समय तो मजबूरीवश) रूसी, ग्रीक, स्पेनिश,अंग्रेजी आदि साहित्य ने ले ली. कभी कभार कुछ हिंदी की पुस्तकें उपलब्ध होतीं तो पढ़ ली जातीं। कई बार बहुत कोशिशें करके कुछ समकालीन हिंदी साहित्य खरीदा भी जिनमें कई तथाकथित चर्चित पुस्तकें भी शामिल थीं. परन्तु उनमें से बहुत…

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