कुछ दिन पहले अनिल जनविजय जी की फेस बुक दिवार पर एसेनिन सर्गेई की यह कविता .Я помню, любимая, помню (रूसी भाषा में ) देखि. उन्हें पहले थोडा बहुत पढ़ा तो था परन्तु समय के साथ रूसी भी कुछ पीछे छूट गई. यह कविता देख फिर एक बार रूसी भाषा से अपने टूटे तारों को जोड़ने का मन हुआ.अत: मैंने इसका हिंदी अनुवाद कर डाला .कविता अनुवाद का ज्यादा अनुभव मुझे नहीं है. अपनी समझ के अनुसार मैंने अपनी पूरी कोशिश की है कि शब्दों के साथ कविता के भावो में भी न्याय कर सकूँ.परन्तु यदि किसी को बेहतर करने की कोई गुंजाइश लगे तो कृपया जरुर बताइयेगा. फिर गाहे बगाहे स्पंदन पर आपको रूसी कवितायेँ भी मिलेंगी.
मुझे याद है प्रिय ! याद है
तेरे बालों की वो चमक
ना आसान था, ना सुखद
तुझे छोड़ देना .
याद है मुझे वो शरद की रात
वो सरसराती हुई परछाइयां
बेशक वो दिन छोटे थे पर
चाँद की हम पर रौशनी अधिक थी.
मुझे याद है तुने कहा था,
“ये गहरे दिन गुजर जायेंगे
तुम भूल जाओगे प्रियतम
किसी दूसरी के साथ
मुझे हमेशा के लिए.”
आज लिपा* पर खिले फूल
मुझे अहसास कराते हैं
कैसे तेरे घुंघराले वालों पर
मैंने फूल बिखराए थे.
दिल शांत होने को तैयार नहीं
दुखद है किसी दूसरे को चाहना
जैसे किसी मनपसंद कहानी में
दूसरी के साथ तुझे याद करना .
एसेनिन सेर्गेई
(SERGEI ESENIN. СЕРГЕЙ ЕСЕНИН)
*लिपा = एक तरह का फूलों का वृक्ष (linden)
Я помню, любимая, помню
Сиянье твоих волос.
Не радостно и не легко мне
Покинуть тебя привелось.
Я помню осенние ночи,
Березовый шорох теней,
Пусть дни тогда были короче,
Луна нам светила длинней.
Я помню, ты мне говорила:
“Пройдут голубые года,
И ты позабудешь, мой милый,
С другою меня навсегда”.
Сегодня цветущая липа
Напомнила чувствам опять,
Как нежно тогда я сыпал
Цветы на кудрявую прядь.
И сердце, остыть не готовясь,
И грустно другую любя.
Как будто любимую повесть,
С другой вспоминает тебя.
wpadmin
अपने बारे में कुछ कहना कुछ लोगों के लिए बहुत आसान होता है, तो कुछ के लिए बहुत ही मुश्किल और मेरे जैसों के लिए तो नामुमकिन फिर भी अब यहाँ कुछ न कुछ तो लिखना ही पड़ेगा न. तो सुनिए. मैं एक जर्नलिस्ट हूँ मास्को स्टेट यूनिवर्सिटी से गोल्ड मैडल के साथ टीवी जर्नलिज्म में मास्टर्स करने के बाद कुछ समय एक टीवी चैनल में न्यूज़ प्रोड्यूसर के तौर पर काम किया, हिंदी भाषा के साथ ही अंग्रेज़ी,और रूसी भाषा पर भी समान अधिकार है परन्तु खास लगाव अपनी मातृभाषा से ही है.अब लन्दन में निवास है और लिखने का जुनून है.
अनुवाद कैसा किया है , यह तो नहीं जानते .:)
लेकिन भावों को बहुत खूबसूरती से प्रस्तुत किया है .
बेहतरीन कविता .
ओल्गा उस्मानोवा की मेल से प्राप्त टिप्पणी.
Olga Usmanova
to me
Молодец, очень хорошо получилось 🙂
Badhiya
बेशक वो दिन छोटे थे पर
चाँद की हम पर रौशनी अधिक थी.
आज लिपा* पर खिले फूल
मुझे अहसास कराते हैं
कैसे तेरे घुंघराले वालों पर
मैंने फूल बिखराए थे.
ye thought vaakai bahut khubsurat hain..qaabil-e-teeriif..!! 🙂 🙂
ise bhi to translate kijiye.. 🙁
waah ..yah bahut accha kaam kiya aapne …aur bhi padhne ka dil hai..bahut hi sundar kavita hai ..
У вас очень красивый перевод…..Ольга также похвалить вас ….
इसी तरह लगातार अनुवाद करो. कभी मैंने भी कुछ रशियन कविताओं के अनुवाद किये थे….
Bondareva Irina
12:52 PM (21 minutes ago)
to me
शाबाश! I really enjoyed it! Thank you!
शाबाश, बहुत अच्छी तरह से किया है:)
अरे ..तो पढाओ भी कभी.
मूल कविता पढ़ना तो मेरे बस की बात नहीं, क्योंकि रूसी भाषा ज़रा भी नहीं आती. जहाँ तक किसी भी कविता के दूसरी भाषा में अनुवाद का प्रश्न है, अनुवाद के क्षेत्र में सर्वाधिक दुष्कर कार्य यही है, क्योंकि किसी भी भाषा के 'इडियम' को हुबहू अनूदित करना हमेशा संभव नहीं होता. अनुवाद में बेहतरी की गुंजाइश बनी ही रहती है. खैर 'थ्योरी' पर न जाते हुए ! शिखा जी, अपने निश्चयरूपेण बहुत सुन्दर अनुवाद किया है. बोधगम्य नैरन्तर्य, जो कि सहज परिलक्षित है पूरी कविता में, उसी के आधार पर मैं यह कह रहा हूँ. सफल अनुवाद है, यह क्रम आगे भी बनाए रखिएगा. शुभकामनाएँ !
This comment has been removed by the author.
🙂 sahitya ke har vidha par raaj karne wali Lady:) aapko naman:)
अनुवाद कैसा है ये कैसे कहूँ….
हाँ आपने जो लिखा वो खूबसूरत है बेहद….
कविता में आत्मा झलकती है सो मेरा मानना है कि आप ने रचना के साथ न्याय किया है..
सो अब और भी अनुवादित रचनाओं का इन्तेज़ार रहेगा.
🙂
अनु
bahut hi sundar bhav sanyojan kiya hai ji…:)best wishes …
bahut achcha lalit anuwad shikha ji
खूबसूरत हिंदी अनुवाद के माध्यम से इस महान रुसी कवि को जानना बहुत अच्छा लगा |आभार
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (06-10-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
अनूदित कविता के मूल भाव और निहित अर्थो के बारे तो आप जाने , मुझे तो अनुवाद बहुत अच्छा लगा. ये अच्छा ही होगा की पाठकों को रसियन साहित्य का मज़ा हिंदी में मिलेगा . आभार .
वाह मान गए आप रूस मे रही थी … 😉
Отлично
अनुवाद कैसा हुआ है यह कहना तो मुश्किल है पर भाव पूरी जीवन्तता के साथ उभर कर आये है,बधाई,कालेज के दिनों में मैंने डिप्लोमा इन रशियन लैंग्वेज की क्लास की थी नियमित न रहने के कारण सीख नहीं पाया .वैसे मुझे इस भाषा के कुछ शब्द याद हैं -ब्रात,सेस्त्रा ,ओकनो इनका अर्थ भी याद है एक और शब्द था जिसके अर्थ में भ्रम है -दाब्रोया उत्रो,इसका अर्थ शायद गुड मार्निंग जैसा है
ठीक अर्थ याद है आपको :).
कविता शानदार और अनुवाद जानदार लेकिन आप ??? खुद ही निर्णय कर लीजिये …!
बहुत ही सुन्दर लगी कविता.. भाषा ज्ञान नहीं इसलिए अनुवाद कैसा है यह नहीं कह पा रहा हूँ.. मुझे तो बहुत डर लगता है अनुवाद करते हुए.. खुद के लिए कुछ अनुवाद किये और बस कहीं दफ़न कर दिए!!
वैसे इस पोस्ट के शीर्षक को देखकर याद आया कि एक बार मैंने भी रशुयाँ शीर्षक से एक पोस्ट लिखी थी!! 🙂
प्रबलता से भाव उभर कर आए हैं ………इसलिए कह सकते हैं कविता का चयन अच्छा है …अनुवाद भी अच्छा होगा ही तभी तो हृदयस्पर्शी है रचना …!!चलिये अच्छा है …अब कुछ और रशियन कविताओं के अनुवाद पढ़ने को मिलेंगे …
जी, वो रशियन शीर्षक वाली पोस्ट मुझे भी याद है 🙂
खूबसूरत कविता
उतना ही खूबसूरत अनुवाद…
अगर भाव सही तरह से आए कविता में
तब तो अनुवाद भी सही ही…
उत्कृष्ट प्रविष्टी ही कहें…शिखा जी !
कविता को चुनना, पसंद करना और
फिर अनुवाद करना…सब कुछ एक साथ सुंदर…
अच्छा लगा…पढ़कर कविता.
प्रकृति के भाव भी यहाँ कितने जीवंत…
बिल्कुल हम जी उठे वैसे…जी लें वैसे.
वाह ! क्या बात है ! शिखा जी… !
अति सुंदर …नया अनुभव !
आभार !
सुंदर प्रवाहमयी लगी प्रस्तुति .
बढिया लगा कविता का अनुवाद। हफ़्ते में एक दिन अनुवाद करके पोस्ट डाली जाये। 🙂
आप जैसी विदुषी द्वारा किया गया अनुवाद निःसंदेह मूल भावों के करीब होगा . अनुवाद के आनंद के लिए मूल कविता का कहीं लिपिबद्ध किया जाना चाहिए . अन्यथा किस आधार पर लिखा जाये कि अनुवाद सही भी है .बुरा नहीं मानियेगा सन्दर्भ के लिए अति आवश्यक होता है . आपका पोस्ट सदैव स्तरीय रहा है .
मूल रूसी से अनुवाद क्रम और कर्म जारी रहे। हिन्दी ब्लॉग की बनती हुई दुनिया समृद्ध होगी इससे।
मीठे भाव वाली रचना …. अनूप जी से सहमत हफ्ते में एक दिन रचना अनुवाद करके डाली जाए
अब रूसी तो आती नही और ना ही अनुवाद का अनुभव है मगर जो लिखा है उसमे भाव बखूबी उभर कर आये हैं।
आज 06-10-12 को आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है …..
…. आज की वार्ता में … उधार की ज़िंदगी …… फिर एक चौराहा ………..ब्लॉग 4 वार्ता … संगीता स्वरूप.
यदि कविता के अनुवाद के बहाने रूसी भाषा से आपके तार जुड़ पुन: जुड़ रहे हैं तो यह बहुत अच्छी बात है। निरंतरता को बनाए रखें। निश्चित रूप से हिन्दी ब्लॉग की बनती हुई दुनिया में यह एक सार्थक और दूरगामी बात की होगी। विश्व कविता से जितने अधिक अनुवाद हिन्दी में आयें , वह अच्छा है क्योंकि मुझे अक्सर लगता है कि यह माध्यम वैश्विक व देश – काल की सीमा से विलग है। मेरी समझ से यह पढ़ने – पढ़ाने और पढ़े – गुने को साझा करने के मंच की तरह हो तो निश्चित रूप से हम साहित्य – कला का दस्तावेजीकरण कर पाने में सक्षम – सफल होंगे। आपका काम सराहनीय है। जारी रहे।
कविता अनुवाद सहज व प्रवहमान है। एकाध जह वर्तनी की त्रुटियाँहै जिन्हें सुधार लिया जाना चाहिए।
*" गाहे बगाहे स्पंदन पर आपको रूसी कवितायेँ भी मिलेंगी." / प्रतीक्षा है।
बहुत ख़ूब! वाह!
कृपया इसे भी देखें-
नाहक़ ही प्यार आया
कविता का चयन बहुत बढ़िया है …. अनुवाद से भी न्याय किया ही होगा … आगे भी ऐसी रचनाओं का इंतज़ार रहेगा …. शुभकामनायें
सोचा तो हमने भी यही है :)देखते हैं.
आपका सुझाव अच्छा है. ध्यान रखूंगी.
ये तो नहीं कह सकता कि अनुवाद कैसा किया, क्यूंकि ओरिजिनल कविता पढ़ना -समझना हमारे बस की बात नहीं है | पर हाँ जो कविता पढी वो बड़ी शानदार लगी 🙂
Devanshu ne mere munh ki baat chheeni h.. same to same mera bhi comment samjha jaaye.. shandaar kavita 🙂
भावो का सुन्दर समायोजन……
पता नहीं अनुवाद कैसा था, पर जो हिन्दी में पढ़ा, वह बेमिसाल था।
मैं ,प्रवीण जी की बात से सहमत हूँ …
अनुवाद मूल भाव को प्रेषित करता है। और कविता का भाव दिल को छूता है।
हाँ शिखा, पढ़वायेंगे , जल्दी ही 🙂
पश्चिमी परिवेश में रची बसी एक कोमल सी कविता ….
गहन प्रेमानुनुभूति की कविता -अनुवाद प्रांजल है !
रुसी तो समझते नहीं मगर आपने अनुवाद बढ़िया किया है …शब्द भावों को स्पष्ट कर रहे हैं …
अच्छा प्रयास है , जारी रखें …
शुभकामनायें !
अरे वाह बहुत भावपूर्ण कविता.
अरे दी, सोचिये मत…हफ्ते में एक अनुवाद तो बनता ही है..बाद में हमें ये भी तो मांग रखनी है की इन अनुवादों को एक पुस्तक का रूप दे दिया जाए 😛
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see once
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अभ्यास से क्या नहीं होता,पहला कदम कारगर – सच में
वाउ अनुवाद इतना अच्छा है तो सोच रही हूँ ये उल्टी लिखावट वाली रूसी भाषा को भी सीख ही लूँ…..
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