यूँ देखा जाये तो अपने पराये की यह भावना सिर्फ एक मानसिकता भर है। जहाँ तक मुझे इस घुमक्कड़ी और अप्रवास ने सिखाया और अनुभव कराया है वह यह कि, मानो तो पूरी दुनिया एक जैसी है न मानो तो अपना पड़ोसी भी एलियन लगेगा। मनुष्य हर जगह एक जैसे ही हैं। सभी के शरीर में दिल, दिमाग निश्चित जगह पर ही होता है,त्वचा का रंग बेशक अलग अलग हो परन्तु खून का रंग सामान ही होता है। हाँ कुछ भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार उनके रहन सहन के ढंग अवश्य बदल जाते हैं और फिर उनके अनुसार कुछ सोचने का ढंग भी,परन्तु मूलत: देखा जाये तो हर जगह , हर मनुष्य एक जैसा ही होता है।
इसी तरह हम अपने त्योहारों को कुछ भी नाम दें, किसी भी तरह मनाएं परन्तु बाकी की दुनिया में भी वैसे ही त्योहार समान भावना के साथ ही मनाएं जाते हैं। हाँ उनका रूप कुछ भिन्न अवश्य हो सकता है परन्तु मूल भावना सामान ही होती है.
ऐसे ही बसंत ऋतु में आने वाला हमारा होली का त्योहार है जिसके मूल में है आपसी प्रेम और सद्भावना की भावना, निज द्वेष त्याग कर मानवता की भावना, पकवान, प्रेम और मस्ती , बुराइयों को जलाकर अच्छाइयों के साथ एक नई शुरुआत। और इन्हीं सब भावनाओं के साथ बाकी दुनिया के देशों में भी बसंतोत्सव मनाये जाते हैं। उनके नाम अलग हैं, रूप अलग हैं परन्तु मूल भावना एक ही है. और जिनमें होली के सबसे नजदीक है –
थाईलैंड का -सोंग्क्रण जल महोत्सव – जो शुरू तो हुआ था अपने से बड़ों के सम्मान में उनके हाथ पर सुगन्धित पानी छिड़कने के रूप में, परन्तु कालांतर में इसने होली की ही तरह एक दूसरे पर पानी फेंकने का रूप ले लिया है। कई जगह पर नए साल की शुरुआत का यह उत्सव अप्रेल के मध्य में उस समय आता है जब उस इलाके में सबसे अधिक गर्मी पड़ती है और तब वहां के नागरिक एक दूसरे पर विभिन्न माध्यमों से पानी की बौछारें डाल कर इस त्योहार को मनाते हैं.
ऐसा ही कुछ एक त्योहार फरवरी महीने में इटली के एक छोटे से शहर इव्रेया में “संतरे की लड़ाई” के नाम से मनाया जाता है। जिसमें लोग अपनी अपनी टीम बनाकर एक दूसरे पर किसी बम की तरह संतरे फेंकते हैं।
वहीँ वेनिस में फरवरी – मार्च में एक बेहद खूबसूरत कार्निवाल आयोजित किया जाता है जहाँ लोग किसी भी ऊंच – नीच या अमीरी गरीबी के भेदभाव को भुला कर एक साथ हिस्सा लेते हैं। चेहरे पर विभिन्न खूबसूरत नकाब लगाते हैं और आकर्षक परिधान पहनते हैं। यह कार्निवाल दुनिया के सबसे आकर्षक कार्निवाल में गिना जाता है।
ताइवान में बसंत का यह त्योहार फरवरी माह में ही नई रौशनी और इच्छाओं के रूप में मनाया जाता है जिसे लालटेन महोत्सव कहते हैं। इस उत्सव पर नागरिक आग की लालटेन पर अपनी इच्छाओं को लिख कर एक साथ आकाश में छोड़ते हैं जिससे आसमान पर तैरती रौशनी की लालटेन से एक बेहद आकर्षक नजारा उत्पन्न होता है.
रियो डी जनेरियो, ब्राजील का कार्निवल: फरवरी या मार्च महीने में पूरे सप्ताह असाधारण परेड, नृत्य, रंग, और शराब के साथ मनाया जाता है और यह दुनिया के सबसे रोमांचक और प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है.
हमारे पडोसी देश चीन में भी बसंत के आगमन पर उत्सव पूरे सप्ताह पकवानों, दावतों , नए परिधानों, आतिशबाजी और परिवार के इकट्ठे होने के रूप में मनाया जाता है।
स्पेन में भी मार्च में पड़ने वाला पांच दिवसीय लॉस फल्लास नाम का यह मेला बेहद आकर्षक होता है जहाँ दावतें,आतिशबाजी, परेड, सांडों की लड़ाई और अन्य अजीबो गरीब खुशमिजाज खेल शामिल होते हैं .
ऐसे ही जर्मनी, फ्रांस और बेल्जियम में भी कभी धूम धाम से बसंत के आगमन का उत्सव मानया जाता था परन्तु अब यह परंपरा जर्मनी के कुछ समुदायों तक ही सिमित रह गई है।
यानि कहने का तात्पर्य है कि, मानव समुदाय कहीं भी हो, मौसम और परिवेश के अनुसार त्योहार बना ही लेता है, जो एक दूसरे से ही कहीं न कहीं प्रेरित होते हैं इसलिए कुछ न कुछ समानता लिए हुए भी होते हैं
इसीतरह त्योहार कहीं के भी हों उनमें पकवानों का महत्व हर जगह ही होता है ,और वे भी अलग अलग नाम से पुकारे जाने और अलग रूप में परोसे जाने के वावजूद मूलत: काफी मिलते जुलते हैं। अब इन पकवानों की समानता पर फिर कभी।
aap ko bhi holi ki bahut bahut shubhkamnayein!!!!!!!!!!
अरे वाह!!! आज आपकी इस पोस्ट के माध्यम से त्यौहारों की बहुत सी अच्छी जानकारी मिली। आभार …हमारी और से आपको एवं आपके सम्पूर्ण परिवार को होली की रंगों भरी अनेका अनेक हार्दिक शुभकामनायें… 🙂
ये तो ग्लोबल होली हो गई । बहुत खूब ।
"आपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनायें "
होली की शुभकामनाएं !!!
माने की पूरे संसार में अलग अलग टाइप से मनाया जाता है ये त्यौहार !!!! वाह !!
होली के उत्सव पर विभिन्न देशों के त्योहारों की जानकारी से भरी रंग बिरंगी सुंदर पोस्ट ….
ये रंगों की होली
और होली की गुंझिया
दही-बड़े सी चटपटी
और गरम गरम भजिया
ठंडाई का हो सुरूर
रंग हो टेसू फूल
बस इतना ही कहना है कि
होली की ढेर सी शुभकामनायें हों कबूल …….
रंग पर्व के कितने रंग …. होली की शुभकामनाएं….
देश कल से परे रंगों के त्यौहार पर एक सामयिक दृष्टि . इन्सान के जीवन में रंगों के महत्व को रेखांकित करती पोस्ट. आपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनायें .
सामूहिक आनन्द के मार्ग तो बनेगे ही, प्रकृति के संग जो आनन्द उठाना है।
बहुत अच्छी जानकारी
होली की हार्दिक शुभ कामनाएँ!
सादर
दर-असल मनुष्य एक प्राणी ही तो है, इसीलिये उसे प्रकृति से निकटता इतनी पसन्द है. पानी, जंगल, नदी, ठण्डी हवा किसे अच्छी नहीं लगती. और परिणामत: होली पूरे विश्व में है अलग अलग नामों से.
हैप्पी होली … 🙂
होली का ही रंग है ये सारे जहाँ में छाया
होली की बहुत बहुत शुभकामनाएं!
होली की महिमा न्यारी
सब पर की है रंगदारी
खट्टे मीठे रिश्तों में
मारी रंग भरी पिचकारी
ब्लोगरों की महिमा न्यारी …………होली की शुभकामनायें
nayeee jamanay ki hoooli h ye ismay log apna gussaa nikaltay h
बड़ी अच्छी जानकारी मिली , आभार आपका !
बहुत खूब शिखा जी होली के भिन्न भिन्न रूप भिन्न भिन्न देशो के रूप में आपने बताये ! रोचक और जानकारी से परिपक्व आपकी ये पोस्ट! मजा आ गया! लेकिन हिंदुस्तानी गुझिया का कोई जवाब नही! आपको -आपके परिवार को होली की रंगबिरंगी शुभकामनाये!
ज्ञानवर्धक जानकारी ….होली मुबारक हो शिखा
अलग अलग देशों के अलग अलग रंगों के त्यौहारों की जानकारी मिली ….
आभार आपका …
और होली मुबारक ….!!
हमारे त्योहार और विभिन्न मानवीय समुदायों के बीच
की समानताएं …
आपका यह आलेख सार्थक भी है और पसंदीदा भी… आपकी
उदार सोच को सलाम शिखा जी।
सतरंगी आनंद-उलास लिए ही होते हैं हमारे त्योहार …
एक दिन के लिए ही सही, लोगों में एक दूसरे के प्रति आदर,
सद्भाव और प्रेम त्योहार के दिन तो दिखे ही दिखे …जहाँ कोरी
बनावट भी न हो …और जो इंसान इस या उस रीज़न को
लेकर परस्पर दूरी बनाए रखे, वह भी त्योहार के दिन कुछ
तो करीब हो ही ले …
मानवीय समानताएं और ऐक्य को लेकर अब तक बहुत कुछ
लिखा-कहा गया है, जिसे आपके आलेख से और पुष्टि मिले …
नई बात का सा नया-नया एहसास है आपकी अभिव्यक्ति व
चिंतन में …और संबल भी, मानवीय ऐक्य की पक्ष में …
आपको भी होली की खूब शुभकामनाएं 🙂
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल बुधवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ…सादर!
—
आपको रंगों के पावनपर्व होली की हार्दिक शुभकामनाएँ!
जी सही कहा , सब एक जैसे ही हैं।
आखिर हम सब के पूर्वज एक ही हैं। 🙂
होली की हार्दिक शुभकामनायें।
बहुत सुंदर नई जानकारी कि विदेशों में भी होली से मिलता जुलता त्यौहार बड़े उत्साह से मनाते है,,
होली का पर्व आपको शुभ और मंगलमय हो!
Recent post : होली में.
एक नया रंग यह भी देखने को मिला होली में जहाँ विदेशों में भी ऐसी ही परम्पराएं आपने हमें दिखाईं.. ऐसे पोस्ट लिखने में तो महारत है आपको!! बधाई आपको भी हमारे देश की होली.. आपके देश की होली.. पूरे परिवार को हमारी शुभकामनाएँ!!
होली की हार्दिक शुभकामनायें!!!
ब्लॉग बुलेटिन की पूरी टीम की ओर से आप सब को सपरिवार होली ही हार्दिक शुभकामनाएँ !
आज की ब्लॉग बुलेटिन हैप्पी होली – ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है … सादर आभार !
रंगोत्सव की आपको और आपके परिवार को बहुत-बहुत शुभकामनाएं…
जय हिंद…
आपको और आपके परिवार को
होली की रंग भरी शुभकामनायें
aagrah hai mere blog main bhi padharen
हर देश मौसम की मस्ती को अपने ढंग से मनाता है -मन का उल्लास व्यक्त करने के माध्यम ही तो हैं ये त्यौहार !
पर्व त्यौहार हर स्थान पर एक जैसे ही होते हैं …रंग रूप नाम बदलकर !
होली की बहुत शुभकामनायें !
Duniya Ka Mela…sadar aabhar
शिखा वार्श्नेय जी सचमुच त्यौहार रंग, जाति , समुदाय, वर्ग, वर्ण से भिन्न दिलों का होता है।
होली की शुभकामना सहित प्रणाम स्वीकारें जीवन मंगलमय हो
दुनिया भर ओर हमारे भी खुशियों से जुड़े त्यौहार …
रंगों से जुड़े त्यौहार … दिल से जुड़े त्यौहार … रोचक है जानना …
होली की शुभकामनायें …
वाह शिखा ..आपने तो बहुत ही रोचक जानकारी दे डाली ..वाकई इंसान खुश रहने के बहाने खोजता है …प्यार लुटाने के तरीके ढूंढता है…..उसी में यह त्यौहार एक बहुत ही बड़ा किरदार निभाते हैं …तुम्हे भी दोस्ती की चाशनी में पगी …प्यार के रंगों में रंगी…टेसू के फूलों सी महकती हुई
होली की अशेष शुभकामनाएं …..:)
होली मुबारक हो !
बेहतरीन जानकारी ! होली की शुभकामनायें !
बढ़िया जानकारी ….ज्ञानवर्धक पोस्ट होली पर …!!
होली की अनेक शुभकामनायें …!!
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sunder rang birange chitron ke sath achchhi prastuti
rochak jankari ke liye dhnyavad
rachana
जहाँ भी मनुष्य का उल्लास होगा, वहीं त्योहार भी होंगे। बस सभी का स्वरूप बदला हुआ होगा। होली की शुभकामनाएं।
रोचक लेख
होली की रंगकामनाओं के साथ प्रणाम स्वीकारें। रोचक आलेख।
बहुत सुंदर..hpy holi 🙂
बहुत अच्छी जानकारी दी आपने। धन्यवाद।
बस्तुत: हमारा पर्व और त्योहार सिर्फ उल्लास ओर मनोरंजन के लिए नहीं वल्कि अपने भीतर और बाहर की शुद्धि के साथ-साथ आपसी भाईचारा और सहयोग के विस्तार तथा जीवन को सहज रूप से प्रकृति से जोङने का एक सशक्त साधन है। परन्तु खेद है कि आज यह इतना विकृत रूप लेता जा रहा है कि जिससे हमारा अहित ही हो रहा है।
प्रबुद्ध जनों का पावन दायित्व बनता है कि समाज को पर्व-त्योहार के इस नकारात्म तथा विनाशकारी रूप से सजग करे और नियंत्रित करने में सक्रिय भूमिका निभाए।
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