होली आने वाली है। एक ऐसा त्योहार जो बचपन में मुझे बेहद पसंद था। पहाड़ों की साफ़ सुथरी, संगीत मंडली वाली होली और उसके पीछे की भावना से लगता था इससे अच्छा कोई त्योहार दुनिया में नहीं हो सकता।फिर जैसे जैसे बड़े होते गए उसके विकृत स्वरुप नजर आने लगे। होली के बहाने हुडदंग , और गुंडा गर्दी जोर पकड़ने लगी और खुशनुमा रंगों की जगह कीचड , तारकोल और कांच वाले रंगों ने ले ली और धीरे धीरे मेरे मन में होली का उल्लास कम होता गया। परन्तु फिर भी कोई भी परम्परा, त्योहार या रिवाज़ जो अपने देश में अपनों के बीच रास नहीं आते, वहीँ अपनों से दूर, पराये देश में, पराये कहे जाने वोले लोगों के बीच उनकी कमी कचोटने लगती है। और देश काल परिस्थितियों के अनुकूल हम वह त्योहार मना ही लेते हैं।



यूँ देखा जाये तो अपने पराये की यह भावना सिर्फ एक मानसिकता भर है। जहाँ तक मुझे इस घुमक्कड़ी और अप्रवास ने सिखाया और अनुभव कराया है वह यह कि, मानो तो पूरी दुनिया एक जैसी है न मानो तो अपना पड़ोसी भी एलियन लगेगा। मनुष्य हर जगह एक जैसे ही हैं। सभी के शरीर में दिल,  दिमाग निश्चित जगह पर ही होता है,त्वचा का रंग बेशक अलग अलग हो परन्तु खून का रंग सामान ही होता है। हाँ कुछ भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार उनके रहन सहन के ढंग अवश्य बदल जाते हैं और फिर उनके अनुसार कुछ सोचने का ढंग भी,परन्तु मूलत: देखा जाये तो हर जगह , हर मनुष्य एक जैसा ही होता है। 
इसी तरह हम अपने त्योहारों को कुछ भी नाम दें, किसी भी तरह मनाएं परन्तु बाकी की दुनिया में भी वैसे ही त्योहार समान भावना के साथ ही मनाएं जाते हैं। हाँ उनका रूप कुछ भिन्न अवश्य हो सकता है परन्तु मूल भावना सामान ही होती है. 
ऐसे ही बसंत ऋतु में आने वाला हमारा होली का त्योहार है जिसके मूल में है आपसी प्रेम और सद्भावना की भावना, निज द्वेष त्याग कर मानवता की भावना, पकवान, प्रेम और मस्ती , बुराइयों को जलाकर अच्छाइयों के साथ एक नई शुरुआत। और इन्हीं सब भावनाओं के साथ बाकी दुनिया के देशों में भी बसंतोत्सव मनाये जाते हैं। उनके नाम अलग हैं, रूप अलग हैं परन्तु मूल भावना एक ही है. और जिनमें होली के सबसे नजदीक है –


थाईलैंड का -सोंग्क्रण जल महोत्सव – जो शुरू तो हुआ था अपने से बड़ों के सम्मान में उनके हाथ पर सुगन्धित पानी छिड़कने के रूप में, परन्तु कालांतर में इसने होली की ही तरह एक दूसरे पर पानी फेंकने का रूप ले लिया है। कई जगह पर नए साल की शुरुआत का यह उत्सव अप्रेल के मध्य में उस समय आता है जब उस इलाके में सबसे अधिक गर्मी पड़ती है और तब वहां के नागरिक एक दूसरे पर विभिन्न माध्यमों से पानी की बौछारें डाल कर इस त्योहार को मनाते हैं.



ऐसा ही कुछ एक त्योहार फरवरी महीने में इटली के एक छोटे से शहर इव्रेया में “संतरे की लड़ाई” के नाम से मनाया जाता है। जिसमें लोग अपनी अपनी टीम बनाकर एक दूसरे पर किसी बम की तरह संतरे फेंकते हैं।

वहीँ वेनिस में फरवरी – मार्च में एक बेहद खूबसूरत कार्निवाल आयोजित किया जाता है जहाँ लोग किसी भी ऊंच – नीच या अमीरी गरीबी के भेदभाव को भुला कर एक साथ हिस्सा लेते हैं। चेहरे पर विभिन्न खूबसूरत नकाब लगाते हैं और आकर्षक परिधान पहनते हैं। यह कार्निवाल दुनिया के सबसे आकर्षक कार्निवाल में गिना जाता है।

ताइवान में बसंत का यह त्योहार फरवरी माह में ही नई रौशनी और इच्छाओं के रूप में मनाया जाता है जिसे लालटेन महोत्सव कहते हैं। इस उत्सव पर नागरिक आग की लालटेन पर अपनी इच्छाओं को लिख कर एक साथ आकाश में छोड़ते हैं जिससे आसमान पर तैरती रौशनी की लालटेन से एक बेहद आकर्षक नजारा उत्पन्न होता है. 


रियो डी जनेरियो, ब्राजील का कार्निवल: फरवरी या मार्च महीने में पूरे सप्ताह असाधारण परेड, नृत्य, रंग, और शराब के साथ मनाया जाता है और यह दुनिया के सबसे रोमांचक और प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है.


हमारे पडोसी देश चीन में भी बसंत के आगमन पर उत्सव पूरे सप्ताह पकवानों, दावतों , नए परिधानों, आतिशबाजी और परिवार के इकट्ठे होने के रूप में मनाया जाता है।


स्पेन में भी मार्च में पड़ने वाला पांच दिवसीय लॉस फल्लास नाम का यह मेला बेहद आकर्षक होता है जहाँ दावतें,आतिशबाजी, परेड, सांडों की लड़ाई और अन्य अजीबो गरीब खुशमिजाज खेल शामिल होते हैं .

ऐसे ही जर्मनी, फ्रांस और बेल्जियम में भी कभी धूम धाम से बसंत के आगमन का उत्सव मानया जाता था परन्तु अब यह परंपरा जर्मनी के कुछ समुदायों तक ही सिमित रह गई है। 


यानि कहने का तात्पर्य है कि, मानव समुदाय कहीं भी हो, मौसम और परिवेश के अनुसार त्योहार बना ही लेता है, जो एक दूसरे से ही कहीं न कहीं प्रेरित होते हैं इसलिए कुछ न कुछ समानता लिए हुए भी होते हैं 


इसीतरह त्योहार कहीं के भी हों उनमें पकवानों का महत्व हर जगह ही होता है ,और वे भी अलग अलग नाम से पुकारे जाने और अलग रूप में परोसे जाने के वावजूद मूलत: काफी मिलते जुलते हैं। अब इन पकवानों की समानता पर फिर कभी। 

फिलहाल आप सभी को होली की अशेष शुभकामनाएं .