आज भी जब हो जाते हैं मन के विचार गड्डमड्ड डिगने लगता है आत्मविश्वास डगमगाने लगता है स्वाभिमान नहीं सूझती कोई राह उफनने लगता है गुबार छूटने लगती है हर आस तो दिल मचल कर कहता है तुम कहाँ हो ? यहाँ क्यों नहीं हो? फिर एक किरण आती है नजर भंवर में जैसे मिल जाती है डगर भेद सन्नाटा…

हम जब बचपन में घर में आने वाली पत्रिकाएं पढ़ते तो अक्सर मम्मी से पूछा करते थे कि गर्मियों की छुट्टियां क्या होती हैं. क्योंकि पत्रिकाएं, गर्मियों में कहाँ जाएँ? कैसे छुट्टियां बिताएं, गर्मियों की छुट्टियों में क्या क्या करें और गर्मियों की छुट्टियों में क्या क्या सावधानी रखें, जैसे लेखों से भरी रहतीं। हमें समझ में नहीं आता था कि जिन गर्मियों की छुट्टी…