आलेख

हमारी भारतीय संस्कृति में “दान” हमेशा छुपा कर करने में विश्वास किया जाता रहा है.कहा भी गया है कि दान ऐसे करो कि दायें हाथ से करो तो बाएं हाथ को भी खबर न हो. ऐसे में अगर यह दान “शुक्राणु दान ” हो तो फिलहाल हमारे समाज में इसे छुपाना लगभग अनिवार्य ही हो जाता है.हालांकि हाल में ही…

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है. और आपस में मिलजुल कर उत्सव मनाना उसकी जिंदगी का एक अहम् हिस्सा है। जब से मानवीय सभ्यता ने जन्म लिया उसने मौसम और आसपास के परिवेश के अनुसार अलग अलग उत्सवों की नींव डाली, और उन्हें आनंददायी बनाने के लिए तथा एक दूसरे से जोड़ने के लिए अनेकों रीति रिवाज़ों को बनाया। परिणामस्वरूप स्थान व स्थानीय सुविधाओं को देखते हुए आपस में मिलजुल कर…

यूँ सामान्यत: लोग जीने के लिए खाते हैं परन्तु हम भारतीय शायद खाने के लिए ही जीते हैं. सच पूछिए तो अपने खान पान के लिए जितना आकर्षण और संकीर्णता मैंने हम भारतीयों में देखी है शायद दुनिया में किसी और देश, समुदाय में नहीं होती।  एक भारतीय, भारत से बाहर जहाँ भी जाता है, खान पान उसकी पहली प्राथमिकता भी होती है और मुख्य…

भाषा – मेरे लिए एक माध्यम है अभिव्यक्ति का. अपनी बात सही भाव में अधिक से अधिक दूसरे  तक पहुंचाने का. अत: मैं यह मानती हूँ कि जितनी भी भाषाओं का ज्ञान हो वह गर्व की बात है परन्तु तब तक, जब तक किसी भाषा को हीन बना कर वह गर्व न किया जाये।  यूँ जरुरत के वक़्त भाषा को किसी…

“क्या आपके कारोबार में घाटा हो रहा है?,या आपके बच्चे आपका कहा नहीं मानते और उनका पढाई में मन नहीं लगता , या आपकी बेटी के शादी नहीं हो रही ? क्या आप पर किसी ने जादू टोना तो नहीं किया ? यदि हाँ तो श्री …..जी महाराज आपकी समस्या का समाधान कर सकते हैं। यदि आप पर किसी ने काला जादू किया है तो ऊपर वाले की…

लन्दन में मौसम की खूबसूरती अपने चरम पर है , स्कूलों की छुट्टियां शुरू हो गई हैं और नया सत्र सितम्बर से आरम्भ होने वाला है. ऐसे में हम जैसे के माता पिता के लिए (जिनके बच्चे स्कूल जाते हैं ) यही समय होता है जो भारत जाकर इन छुट्टियों का सदुपयोग कर आयें. तो हम जा रहे हैं एक महीने…

सामान्यत: मैं धर्म से जुड़े किसी भी मुद्दे पर लिखने से बचती हूँ। क्योंकि धर्म का मतलब सिर्फ और सिर्फ साम्प्रदायिकता फैलाना ही रह गया है। या फिर उसके नाम पर बे वजह एक धर्म को बेचारा बनाकर वोट कमाना या फिर खुद को धर्म निरपेक्ष साबित करना। परन्तु आजकल जिस तरह मीडिया में हिन्दू मुस्लिम राग चला हुआ है मुझे कुछ अनुभव…

 “एक अनुचित और नियम के विरुद्ध स्थानांतरण में,मैंने शासन के कड़े निर्देश का उल्लेख करते हुये ऐसा करने से मना कर दिया। तो महाशय जी ने कलेक्टर से दबाव डलवाया तो मैंने डाँट खाने के बाद लिखा – “कलेक्टर के मौखिक निर्देश के अनुपालन में …. अब मुझे पता है फिर मुझे बहुत बुरी लताड़ पढ़ने वाली है. यहाँ जीना है…

कल यहाँ (लन्दन में ) बी बी सी 3 पर भारत में हुए दामिनी हादसे और उसके प्रभाव पर एक कार्यक्रम दिखाया जा रहा था. जिसमें भारतीय मूल की एक ब्रिटिश लड़की नेट आदि पर उस हादसे को देखकर इतना विचलित होती है कि  वह खुद भारत जाती है, वहां लड़कियों की स्थिति का जायजा लेने। जाने से पहले वह अपनी अलमारी खोल कर ले…

एक दिन स्कूल से आकर एक बच्ची ने कहा – मुझे एक साफ़ कपड़ा चाहिए हमें डी टी (डिजाइन एंड टेक्नोलॉजी) में शॉर्ट्स सिलने हैं। वह तभी ही प्राइमरी स्कूल से सेकेंडरी में आई थी  सातवीं क्लास में। उसकी बात सुनते ही, बचपन से पनपी मानसिकता और पूर्वाग्रहों से युक्त मैं ..तुरंत पूछा, अच्छा ? फिर क्लास के लड़के उस पीरियड में क्या करेंगे ?…