विज्ञान कभी भी अपने दिमाग के दरवाजे बंद नहीं करता। बेशक वह दिल की न सुनता हो परंतु किसी भी अप्रत्याशित, असंभव या बेबकूफाना लगने वाली बात पर भी उसकी संभावनाओं की खिड़की बन्द नहीं होती। यही कारण है कि आज हम बिजली का बल्ब, हवाई जहाज या टेलीफोन जैसी सुविधाओं का सहजता से उपयोग करते हैं जिनकी इनके अविष्कार…
