“The Archies”-

हुआ यह कि कुछ अमीर बच्चों ने जिद करी कि उन्हें इस क्रिसमस पर गिफ्ट में फिल्म चाहिए. तो उनके घरवाले गए एक बड़ी और सुन्दर दूकान पर और दुकानदार को बोला कि इन बच्चों को इनकी पसंद का गिफ्ट दे दे. पैसे की चिंता न करे. अब उस दुकानदार के पास उन बच्चों के लायक कोई चीज नहीं थी पर उन्हें नाराज भी नहीं किआ जा सकता था. तो उसने, अपने पुराने गोदाम से कुछ इम्पोर्टेड चीजें जैसे हाईस्कूल म्यूजिकल, क्रिसमस मूवीज, अंग्रेजी कॉमिक्स मंगाईं, उन्हें एक चमकदार, विदेशी कागज़ में लपेटा और बच्चों के हवाले कर दी. बच्चे और उनके घरवाले खुश हो गए.
अब गिफ्ट रैपिंग में जोया अख्तर का हाथ लगा है तो इतना तो हो ही गया है कि गिफ्ट खोल कर देख लिया जाए. कहानी मिली नहीं और बच्चों को हिन्दी आती नहीं तो संवाद का भी मतलब नहीं था. अत: हर 5 मिनट बाद एक अंग्रेजी गाना डाल दिया गया. पात्र और उनकी सज्जा मशहूर अंग्रेजी कॉमिक से उठा ली गई और क्योंकि गिफ्ट नेटफ्लिक्स के माध्यम से जाना था तो उसके लिए परम आवश्यक एलिमेंट (LGBTQ) भी डाला गया. बेशक 1964 में किसी ने इसका नाम भी न सुना हो. कहने को पीरियड ड्रामा है परन्तु 1964 में, एक पार्क की कैंटीन में फैंसी सॉस के साथ बर्गर मिलता है. स्कूल के बच्चे फ्लेपे लाते पीते हैं.
खैर जो भी हो, फिल्म विजुअली ठीक है. टाउन और कुछ दृश्य सीधे कॉमिक के पन्ने लगते हैं. फिल्म के मुख्य किरदार स्टार किड्स हैं. उन्होंने ठीक- ठाक काम किआ है. मुझे सबसे अच्छी बैट्टी (ख़ुशी – श्रीदेवी की बेटी) लगी. अगस्त्य (अमिताभ बच्चन का नाती) भी क्यूट है. सुहाना खान (शाहरुख़ खान की बेटी) मुझे नहीं जमी.
तो क्रिसमस के समय यह ‘क्रिसमस मूवीज’ की तर्ज़ पर ‘दिआर्चीज’ आई है. हल्का फुल्का समय बिताने के लिए ठीक है. जिसने बचपन में आर्चीज कॉमिक पढ़ी है उन्हें थोड़ा नोस्टाल्जिया भी हो सकता है. (मैंने 1-2 ही पढ़ी होंगीं)
नेटफ्लिक्स पर है. देखना चाहें तो देख लीजिये .
मेरी तरफ से पाँच में से ढाई नंबर.