Yearly Archives: 2024

Pavn ke Pankh      By Shikha Varshney SOME OBSERVATIONS Glanced through the book while reading chapters on places visited by us also but long long ago ; to be more specific during June 1979 when we visited England , Belgium , Luxemburg ,Germany , Austria , Switzerland , Italy and France . To start with the book, read details about Switzerland…

बाबू मोशाय बात ऐसी है कि हमें लगता है, जितने भी त्यौहार वगैरह आज हैं सब इत्तेफाकन और परिस्थिति जन्य हैं। तो हुआ कुछ यूं होगा कि एक परिवार में (पहले संयुक्त परिवार होते थे) किसी की किसी से ठन गई। महीना था यही फागुन का। नए नए टेसू के फूल आये थे। पहले लोग इन्हीं फूलों आदि के रंग…

ये जो लाल ईमारत देख रहे हैं न. तो यह लाल रंग बैल के खून से बनाया जाता था. अब बैल के खून से ही क्यों? सूअर या किसी और के खून से क्यों नहीं ? तो वह इसलिए कि बैल का खून सबसे महंगा होता था और तब रईसों की शान का यह एक दिखावा था. आज यह यूरोप…

“पाँव के पंख”….एक उड़ान – शिखा वार्ष्णेय By डॉ . उषा किरण (लेखिका ) यात्रा तो सभी करते हैं परन्तु जब कोई लेखक जो साथ में पत्रकार और घुमक्कड़ भी हो तो मन में ही नहीं पाँव में भी पंख लग जाते हैं और जब वे यात्रा संस्मरण लिखने बैठती हैं तो उसमें कुछ विशेष तो होना ही है। शिखा की…