वोआते थे हर साल। किसी न किसी बहाने कुछ फरमाइश करते थे। कभी खाने की कोई खास चीज, कभी कुछ और। मैं सुबह उठकर बहन को फ़ोन पे अपना वह सपना बताती, यह सोचकर कि बाँट लुंगी कुछ भीगी बातें। पता चलता कि एक या दो दिन बाद उनका श्राद्ध है। मैं अवाक रह जाती। मुझे देश से बाहर होने…
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‘पुरवाई’ से साभार डायरी साहित्य की एक ऐसी विधा है जिसमें लेखक बिना किसी लाग लपेट के अपनी बात कहने को स्वतंत्र होता है क्योंकि उसका सर्वोपरि पाठक वह स्वयं होता है। पर उसे प्रकाशित करना अपने व्यक्तिगत विचारों को अपने से इतर पाठक तक पहुँचाना है। साहित्य की सभी विधाओं में से डायरी एक ऐसी विधा है जिसमें लेखक…