ग्रीष्मकालीन अवकाश, स्कूल वर्ष और स्कूल के शैक्षणिक वर्ष के  बीच गर्मियों में स्कूल की एक लम्बी छुट्टी को कहते है। देश और प्रांत के आधार पर छात्रों और शिक्षण स्टाफ को आम तौर पर छ: से आठ सप्ताह के बीच यह अवकाश दिया जाता है। जहाँ भारत में यह अवकाश सामान्यत: पाँच से छ: सप्ताह का होता है वहीँ संयुक्त राज्य अमेरिका में, गर्मियों का ब्रेक लगभग ढाई महीने का होता है जबकि ब्रिटेन, नीदरलैंड और जर्मनी में छह से आठ सप्ताह की तुलना में आयरलैंड, इटली, लिथुआनिया और रूस में, गर्मियों की छुट्टियां आम तौर पर तीन महीने की होती हैं.

अब सवाल यह आता है कि आखिर इस गर्मी की छुट्टी की उत्पत्ति हुई कैसे ?

इस विषय में कई मिथक हैं। इनमें से एक यह है कि गर्मियों की छुट्टी अंग्रेजी परिवार के कैलेंडर से उत्पन्न हुई है। इस मिथक के अनुसार, यह माना जाता था कि स्कूल के बच्चे खेतों में अपने माता-पिता की मदद करने के लिए गर्मियों के दौरान कुछ छुट्टियां लेते थे। इस कहानी में कितनी सच्चाई है पता नहीं परन्तु गृह युद्ध से पहले, स्कूली बच्चों ने गर्मियों के दौरान स्कूल से कभी कोई छुट्टी नहीं ली। अमेरिकी विद्यालयों के ग्रीष्मकालीन अवकाश के इतिहास को देखने से पता चलता है कि 1842 में, डेट्रायट शहर में स्कूली बच्चों का एक शैक्षणिक वर्ष 260 दिनों तक चला था।

असल में, अमेरिका में गर्मियों की छुट्टी के मूल में अमेरिकी समाज में बढ़ता मध्यम और उच्च वर्ग का परिवेश था। गर्मियों के समय, अधिकांश धनी और संपन्न परिवार अपने बच्चों के साथ गर्मी के मौसम से बचने के बहाने शहर से बाहर किसी ठंडी जगह पर चले जाते थे। इससे स्कूल की उपस्थिति और पढाई प्रभावित हुई क्योंकि उस समय स्कूल की उपस्थिति अनिवार्य नहीं थी। जब यह लगातार जारी रहने लगा तब, विधायक और श्रमिक संघ के अधिवक्ताओं ने स्कूली बच्चों के लिए गर्मी की छुट्टी यानि एक लम्बे ब्रेक के लिए तर्क दिए. उनका कहना था कि पूरे वर्ष भर पढ़ाई करना बच्चों के लिए ठीक नहीं है क्योंकि मस्तिष्क एक मांसपेशी है जिसे आराम देने की भी आवश्यकता होती है।

यूँ भारत में गुरुकुल प्रणाली होने के कारण इन छुट्टियों उल्लेख नहीं मिलता संभवत: अंग्रेजी स्कूल शिक्षा प्रणाली के साथ ही यह व्यवस्था आई होगी और इसका उद्देश्य एवं कारण मुख्यत: दो रहे होंगे एक तो मौसम – स्कूलों में समुचित व्यवस्था के आभाव में अत्यधिक गर्मी से बचने के लिए (और ठन्डे स्थानों में ठण्ड से बचने के लिए) तथा पूरे वर्ष पढ़ाई के उपरान्त पढ़ाई के अतिरिक्त अन्य गतिविधियों के लिए भी छात्रों के हित में एक लम्बे अवकाश की आवश्यकता महसूस की गई होगी. इसके अलावा परिवार के प्रति अलगाव न हो, बच्चे अपने घर परिवार के लोगों के साथ भी समुचित समय बिता पायें एवं स्कूल से जुड़े अन्य बचपन के तनाव जैसे कि पीयर प्रेशर और होमवर्क के भारी बोझ से दूर रहें इसके लिए भी छुट्टी की आवश्यकता मानी गई होगी.

दूसरा – अध्यापक आदि को प्रशिक्षित करने व अगले वर्ष के लिए तैयारी करने के लिए समय मिले इस कारण भी इस अवकाश की योजना बनाई गई होगी .

जैसे-जैसे समय बीता, गर्मियों की छुट्टी एक आदर्श बन गई और स्कूल वर्ष के कैलेंडर से लगभग 40- 60 दिन हट गए।

धीरे-धीरे, गर्मियों की छुट्टियां उन व्यापारिक लोगों के लिए एक प्रकार का व्यवसाय बन गईं, जिन्होंने इस ग्रीष्मकालीन अवकाश का लाभ उठाकर इसे एक व्यवसाय उद्योग और उद्यम में बदल दिया।

अब सामान्यत: इन छुट्टियों में नानी का घर आबाद करने वाले बच्चे दूर शहर या देश के पर्यटन के लिए उत्सुक होने लगे. जहाँ गर्मियों की छुट्टियां नानी के घर जाकर रिश्तेदारों से मिलने, नए दोस्त बनाने, आसपास के इलाकों में भ्रमण करने और नै पुराणी परम्पराएं सीखने का उपयुक्त माध्यम और स्थान हुआ करती थीं वहीँ अब ये महंगी यात्राओं, होटल और विलासिता का पर्याय होने लगीं. कालांतर में हालात यह हुए कि बच्चों के सर्वागीर्ण विकास और आराम के मद्देनजर बनाईं गईं ये छुट्टियां बच्चों और उनके माता – पिता के लिए अतिरिक्त कार्य और तनाव का कारण बन गईं. क्योंकि एक तो प्रतियोगिता के इस दौर में स्कूल से ही छुट्टियों में भी खूब गृहकार्य दिया जाता है. दूसरा छुट्टियां बच्चों की होती हैं उनके अविभावकों की नहीं. ऐसे में उनपर बच्चों की दूर देश घूमने की इच्छा अतिरिक्त आर्थिक और मानसिक बोझ डालती है और छुट्टियाँ मौज मस्ती से हटकर एक अभियान का रूप ले लेती हैं. ऐसे में क्या ही अच्छा हो यदि बच्चों को इन छुट्टियों का सदूपयोग करना सिखाया जाए. उन्हें घर और समाज से जुड़े वे कार्य और बातें सिखाई जाएँ जो उन्हें स्कूल में नहीं सिखाई जातीं जो उन्हें एक अच्छा नागरिक बनने में मदद करें. उन्हें यह समझाया जाए कि घूमना व्यक्ति के लिए समाज और दुनिया को वृहद् रूप में देखने और समझने के लिए होता है, विलासिता के लिए नहीं.