Yearly Archives: 2014

तेरी नजरों में अपने ख्वाब समा मैं यूँ खुश हूँबर्फ के सीने में फ़ना हो ज्यूँ ओस चमकती है.  अब बस तू है, तेरी नजर है, तेरा ही नजरिया  मैं चांदनी हूँ जो चाँद की बाँहों में दमकती है.    तेरी सांसों से जो आती है वह खुशबू है मेरी  रात की रानी तो तिमिर के संग ही महकती है.  बेशक फूलों से भरे हों बाग़…

मोस्को में पत्रकारिता की पढ़ाई के दौरान, हमारे मीडिया स्टडीज के शिक्षक कहा करते थे कि पत्रकारिता किसी भी समय या सीमा से परे है. आप या तो पत्रकार हैं या नहीं हैं. यदि पत्रकार हैं तो हर जगह, हर वक़्त हैं. खाते, पीते, उठते, बैठते, सोते, जागते हर समय आप पत्रकारिता कर सकते हैं. आप बेशक सक्रीय पत्रकार न हों परन्तु…

एक बार मैं बस से कहीं जा रही थी. बस की ऊपरी मंजिल की सीट पर बैठी थी. तभी बस अचानक रुक गई और काफी देर तक रुकी रही. आगे ट्रैफिक साफ़ था और ऐसा भी नहीं लग रहा था कि बस खराब हो गई हो. नीचें आकर देखा तो पता चला कि बस में दो युवक बीयर का कैन हाथ में लिए…

टावर ऑफ़ लंदन पर, प्रथम विश्व युद्ध में मारे गए जवानों की स्मृति में 888,246 (2010 के ऑडिट के मुताबिक प्रत्येक ब्रिटिश शहीद के नाम एक) पॉपी के सिरामिक के फूल लगाए गए. जिन्हें १८ जुलाई २०१४ से लगाना शुरू किया गया था।             Seas of Red. एक खून के दरिया से लगने वाला ये नजारा एक पल को…

काला धन काला धन सुन सुन कर कान तक काले हो चुके हैं ।  यूँ मुझे काला रंग खासा पसंद है। ब्लेक ब्यूटी की तो खैर दुनिया कायल है पर जब से जानकारों से सुना है की काले कपड़ों में मोटापा कम झलकता है तब से मेरी अलमारी में काफी कालापन दिखाई देने लगा है।  परन्तु काले धन के दर्शन…

यदि बंद करना है तो जाओ  पहले घर का एसी बंद करो.  हर मोड़ पर खुला मॉल बंद करो  २४ घंटे जेनरेटर से चलता हॉल बंद करो.  नुक्कड़ तक जाने लिए कार बंद करो  बच्चों की पीठ पर लदा भार बंद करो. नर्सरी से ही ए बी सी रटाना बंद करो  घर में चीखना चिल्लाना बंद करो.  बच्चों से मजदूरी करवाना बंद करो  कारखानों का प्रदुषण फैलाना…

मोबाइल और टेबलेट जैसी नई तकनीकियों के आने से एक फायदा बहुत हुआ है कि कहीं कैफे या रेस्टौरेंट में अकेले बैठकर कुछ खाना पीना पड़े तो असहजता नहीं होती, यह एहसास नहीं होता कि कोई घूर रहा है. या कोई यह सोच रहा है कि भला अकेले भी कोई खाने पीने बाहर आता है. क्योंकि अब कोई भी, कभी…

आह… ऑटम ऑटम ऑटम… आ ही गया आखिर। इस बार थोड़ा देर से आया। सितम्बर से नवम्बर तक होने वाला ऑटम अब अक्टूबर में ठीक से आना शुरू हुआ है. सब छुट्टी के मूड में थे तो उसने भी ले लीं कुछ ज्यादा। अब आया है तो बादल, बरसात को भी ले आया है और तींनो मिलकर  छुट्टियों की भरपाई ओवर टाइम…

पिछले दिनों बाजार गई तो १६ वर्षीय एक बच्ची को ढेर सारी अलग अलग तरह की खुशबू  वाली मोमबत्तियां खरीदते हुए देखा। बच्ची मेरी जानकार थी सो मैंने पूछ लिया, अरे अभी तो क्रिसमस में बहुत समय है, क्या करोगी इतनी मोमबत्तियों का?. उसने जबाब दिया कि यह मोमबत्तियां वह अपने स्ट्रेस पर काबू पाने के लिए खरीद रही है. कुछ अलग अलग तरह की खास…

चढ़ी चूल्हे पर फूली रोटी, रूप पे अपने इतराए पास रखी चपटी रोटी, यूँ मंद मंद मुस्काये हो ले फूल के कुप्पा बेशक, चाहे जितना ले इतरा पकड़ी तो आखिर तू भी, चिमटे से ही जाए. *** लड्डू हों या रिश्ते, जो कम रखो मिठास(शक्कर) तो फिर भी चल जायेंगे। पर जो की नियत (घी) की कमी, तो न बंध…