गद्य

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है. और आपस में मिलजुल कर उत्सव मनाना उसकी जिंदगी का एक अहम् हिस्सा है। जब से मानवीय सभ्यता ने जन्म लिया उसने मौसम और आसपास के परिवेश के अनुसार अलग अलग उत्सवों की नींव डाली, और उन्हें आनंददायी बनाने के लिए तथा एक दूसरे से जोड़ने के लिए अनेकों रीति रिवाज़ों को बनाया। परिणामस्वरूप स्थान व स्थानीय सुविधाओं को देखते हुए आपस में मिलजुल कर…

यूँ सामान्यत: लोग जीने के लिए खाते हैं परन्तु हम भारतीय शायद खाने के लिए ही जीते हैं. सच पूछिए तो अपने खान पान के लिए जितना आकर्षण और संकीर्णता मैंने हम भारतीयों में देखी है शायद दुनिया में किसी और देश, समुदाय में नहीं होती।  एक भारतीय, भारत से बाहर जहाँ भी जाता है, खान पान उसकी पहली प्राथमिकता भी होती है और मुख्य…

लंदन में इस साल अब जाकर मौसम कुछ ठंडा हुआ है. वरना साल के इस समय तक तो अच्छी- खासी ठण्ड होने लगती थी, परन्तु इस बार अभी तक हीटिंग ही ऑन नहीं हुई है. ग्लोबल वार्मिग का असर हर जगह पर है. वैसे भी यहाँ के मौसम का कोई भरोसा नहीं।शायद इसलिए   और हम जैसे दो नावों में सवार प्राणी इस…

जबसे होश संभाला तब से ही लगता रहा कि मेरा जन्म का एक उद्देश्य घुमक्कड़ी भी है. साल में कम से कम १ महीना तो हमेशा ही घुमक्कड़ी के नाम हुआ करता था और उसमें सबसे ज्यादा सहायक हुआ करती थी भारतीय रेलवे. देखा जाए तो ३० दिन के टूर में १५  दिन तो ट्रेन के सफ़र में निकल ही…

भाषा – मेरे लिए एक माध्यम है अभिव्यक्ति का. अपनी बात सही भाव में अधिक से अधिक दूसरे  तक पहुंचाने का. अत: मैं यह मानती हूँ कि जितनी भी भाषाओं का ज्ञान हो वह गर्व की बात है परन्तु तब तक, जब तक किसी भाषा को हीन बना कर वह गर्व न किया जाये।  यूँ जरुरत के वक़्त भाषा को किसी…

 रूस के गोर्की टाउन से कर इंग्लैण्ड के स्टार्ट फोर्ड अपोन अवोन तक और मास्को के पुश्किन हाउस  से लेकर लन्दन के कीट्स हाउस तक। ज़ब जब किसी लेखक या शायर का घर , गाँव सुन्दरतम तरीके से संरक्षित देखा हर बार मन में एक  हूक उठी कि काश ऐसा ही कुछ हमारे देश में भी होता। काश लुम्बनी को भी एक यादगार…

 http://shikhakriti.blogspot.co.uk/2013/09/blog-post_15.html  यहाँ से आगे।  अब तक यह तो विजया की समझ में आने लगा था कि घर की तीसरी मंजिल पर रहने वाले निखिल के सगे भैया, भाभी क्यों अजनबियों की तरह रहते हैं, क्यों उन्होंने घर में आने जाने का रास्ता भी बाहर से बना लिया है, और क्यों त्योहारों पर भी वह एक दूसरे को विश तक नहीं करते। हालाँकि बात उलटी भी…

जब से लिखना शुरू किया, हमेशा ही मेरे मित्र मुझे कहानी भी लिखने को कहते रहे. परन्तु मुझे हमेशा ही लगता रहा कि its not my cup of tea.फिर लगातार कुछ दोस्तों के दबाब के कारण और कुछ अपनी क़ाबलियत आजमाने के स्वाभाव के चलते यह पहला प्रयास किया .. और यह मेरी पहली कहानी इस माह (सितम्बर) की “बिंदिया” पत्रिका…

“क्या आपके कारोबार में घाटा हो रहा है?,या आपके बच्चे आपका कहा नहीं मानते और उनका पढाई में मन नहीं लगता , या आपकी बेटी के शादी नहीं हो रही ? क्या आप पर किसी ने जादू टोना तो नहीं किया ? यदि हाँ तो श्री …..जी महाराज आपकी समस्या का समाधान कर सकते हैं। यदि आप पर किसी ने काला जादू किया है तो ऊपर वाले की…

 दिल्ली पुस्तक मेले का परिसर, खान पान में व्यस्त जनता। किसी भी मेले का अर्थ मेरे लिए होता है, कि वहां वह सब वस्तुएं देखने, खरीदने को मिलें जो आम तौर पर बाजारों और दुकानों में उपलब्ध नहीं होतीं। और यही उत्सुकता मुझे पिछले महीने के,भारत में प्रवास के आखिरी दिन की व्यस्तता के बीच भी दिल्ली पुस्तक मेले में खींच ले…