गद्य

सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तान हमारा …..हर जगह आज यही पंक्तियाँ बजती सुनाई दे रही हैं. हर कोई देश भक्ति की भावना से लवरेज दिखाई पड़ता है, अंतर्जाल तिरंगों से भरा पडा है ,.राजपथ से ऐतिहासिक लाल किले तक आठ किलोमीटर लंबे मार्ग पर  गणतंत्र दिवस की परेड में सशस्त्र बलों और अर्द्धसैनिक बलों की टुकडि़यों ने बैंड की धुनों…

क्रेमलिन – वर्ल्ड हेरिटेज साईट में शुमार. घर की मुर्गी दाल बराबर .बस यही होता है. जो चीज़ हमें सहजता से सुलभ हो जाये उसकी कदर ही कहाँ करते हैं  हम. और यही कारण होता है कि जिस जगह हम रहते हैं वहां के दर्शनीय स्थलों के प्रति उदासीन से रहते हैं .अरे  यहीं तो हैं कभी भी देख आयेंगे,…

बदलते वक़्त के साथ सब कुछ बदलता जाता है .रहने का तरीका ,खाने का तरीका ,त्यौहार मनाने का तरीका, मृत्यु  का  तरीका और जन्म लेने का तरीका, तो भला जन्म दिन मनाने का तरीका क्यों नहीं बदलेगा .अब देखिये ना जब छोटे बच्चे हुआ करते थे .ना तो टी वी था ना ही टेलीफ़ोन की इतनी सुविधा ,तो जन्म दिन…

ठण्ड में ठंडा है इस बार का क्रिसमस .लन्दन में ३० साल में सबसे ज्यादा खराब मौसम है इस दिसंबर का. १ हफ्ते पहले भारी बर्फबारी के कारण कई स्कूलों  को बंद कर दिया गया था और अब इस सप्ताह अंत में भी भारी बर्फबारी की आशंकाएं जताई जा रही हैं ,देश के पूर्वी हिस्सों में ८ इंच  तक की बर्फबारी…

जैसा कि आपने जाना कि अब जीविकोपार्जन  के लिए हमने एक छोटी सी कंपनी में ऑफिस  एडमिनिस्ट्रेटर /इन्टरप्रेटर की नौकरी कर ली थी .क्योंकि अब  क्लासेज़ में जाना उतना जरुरी नहीं रह गया था.अब बारी थी स्वध्ययन  की , अब तक जो भी पढ़ाया गया है उन सब को समझने की , समीक्षा करने की, पढाई हुई जानकारी का उपयोग करने…

अभी एक समाचार पत्र में एक पत्र छपा था .आप भी पढ़िए. नवम्बर २०१०(लन्दन )  ये एक खुला पत्र है उस आदमी के नाम जिसने बुधवार १७ नवम्बर को मेरी कार चुरा ली. मैं  यह पत्र इसलिए लिख रही हूँ कि शायद अगली बार तुम या कोई और ऐसा करने से पहले  २ बार सोचे.पिछले बुधवार काम से वापस आते हुए मैंने…

इसके बाद …हम अपने पाठ्यक्रम के चौथे वर्ष में आ पहुंचे थे …..और मॉस्को  अपनी ही मातृभूमि जैसा लगने लगा था .वहां के मौसम , व्यवस्था ,सामाजिक परिवेश सबको घोट कर पी गए थे .अब हमारे बाकी के मित्र छुट्टियों में दौड़े छूटे भारत नहीं भागा करते थे , वहीं  अपनी छुट्टियाँ बिताया करते थे या मोस्को का प्रसिद्द व्…

अब तक के २ साल आपने यहाँ पढ़े.  तीसरे साल में पहुँचते पहुँचते मेरे लेख  अमरउजाला, आज, और दैनिक जागरण जैसे समाचार पत्रों में छपने  लगे थे जिन्हें मैं डाक से भारत भेजा करती थी ,यूँ तो स्कूल के दिनों से ही मेरी अधकचरी कवितायेँ स्थानीय पत्रिकाओं में जगह पा जाती थीं पर स्थापित पत्रों में फोटो और परिचय के साथ…

कड़कती सर्दी में क्रेमलिन. जब मैंने अपने रूस प्रवास पर यह पोस्ट लिखी थी तो जरा भी नहीं सोचा था कि इसकी और भी किश्ते लिखूंगी कभी .बस कुछ मजेदार से किस्से याद आये तो सोचा बाँट लूं आप लोगों के साथ. परन्तु मुझे सुझाव मिलने लगे कि और अनुभव लिखूं और मैं लिखती गई जो जो याद आता गया. पर  यहाँ तक पहुँचते…

दिवाली  कहने को भारत में त्योहारों का मौसम है , दिवाली आ रही है .होना तो यह चाहिए कि पूरा देश जगमग कर रहा हो,उमंग से सबके चेहरे खिल रहे हो .जैसे बाकी और काम सब अपनी क्षमता अनुसार करते हैं ऐसे ही अपनी अपनी क्षमतानुसार सभी त्योहार  मनाये और एक दिन के लिए ही सही, अपनी समान्तर चलती जिन्दगी में…