गद्य

संसार एक मुट्ठी में .यही भाव आता है आज का लन्दन देख कर .लन्दन का नाम आते ही ज़हन  में एक बहुत  ही आलीशान शहर की छवि उभरती हैं .बकिंघम पेलेस, लन्दन ब्रिज, लन्दन आई, मेडम तुसाद  और भी ना जाने क्या क्या.  पर इन सबसे अलग एक लन्दन और भी है, एक ऐसा शहर जो सारी दुनिया खुद में समाये…

अभी हाल ही में स्थानीय समाचार पत्र में एक समाचार आया कि एक दंपत्ति ने अपने बच्चे का एक स्कूल में रजिस्ट्रेशन  उसके पैदा होने से पहले ही करा दिया .क्योंकि उन्हें डर था कि समय पर उन्हें उनके इलाके का और उनकी पसंद का स्कूल नहीं मिलेगा और वो अपनी पसंद के प्रतिकूल  स्कूल में बच्चे को भेजने के…

मोस्को में मेरी एक बहुत अच्छी मित्र थी श्रीलंका की… इतना अच्छा चिकेन बनाती  थी ना …रहने दीजिये वर्ना बाकी पोस्ट नहीं लिखी जाएगी .और इसका राज़ वो बताती थी वहां के मसाले .और भी बहुत  सी बातें की मोती बहुत अच्छे मिलते हैं वहां ,समुंद्री किनारे बहुत खूबसूरत हैं वगैरह वगैरह ..जिन्हें सुन सुन कर मेरा भी मन श्रीलंका देखने…

कुछ समय पहले एक परिचित भारत से लन्दन आईं थीं घूमने ..कहने लगीं यहाँ के  बुड्ढों  को देखकर कितना अच्छा लगता है ..कितने भी बूढ़े हो जाये अपना सारा काम खुद करते हैं घरवालों पर भी निर्भर नहीं रहते. अपना घर, अपनी कार , खुद सामान लाना ,अपने सारे काम करना .एक हमारे यहाँ के बुड्ढ़े  होते हैं  जरा उम्र बढ़ी  …

मॉस्को  स्टेट यूनिवर्सिटी  अभी तक आपने पढ़ा कि कैसे हमारा वेरोनिश से मॉस्को  जाना तय हो गया था और हम हंसी ख़ुशी तैयारियों  में लग गये थे कि चलो अब कम से  कम इंडिया की  टिकट के लिए मॉस्को  के चक्कर लगाना  तो बचेगा..पर नहीं जी अगर इतना आसान सब हो जाये तो भगवान को पूछेगा ही कौन ? असली तूफान आना…

आइये आज आपको ले चलती हूँ एडिनबर्ग   .स्कॉट्लैंड की राजधानी.-  स्कॉट्लैंड- जो १७०७ से पहले एक  स्वतंत्र राष्ट्र था , अब इंग्लैंड का एक हिस्सा है और  ग्रेट ब्रिटेन के उत्तरी आयरलैंड के एक तिहाई हिस्से को घेरे हुए   है ,दक्षिण में इंग्लैंड की सीमा को छूता है तो पूर्व में नोर्थ सी को, जिसके उत्तर पश्चिम में अटलांटिक…

वेरोनेश युनिवेर्सिटी. अब तक आप ये तो यहाँ  पढ़ ही चुके हैं कि कैसे हम गिरते पड़ते अपना रुसी भाषा का फाउन्डेशन कोर्स करने अपनी पहली मंजिल वोरोनेश तक पहुंचे थे | अब शुरू होता है उसके आगे का सफ़र. १९९०-९१  का वो समय  रशिया में पेरोस्त्रोइका  का था बहुत से बदलाव आ रहे थे | बाहरी दुनिया से रशिया का परिचय…

दूसरे  कमरे  से आवाज़े आ रही थीं .एक पुरुष स्वर -..” इतना बड़ा हो गया किसी काम का नहीं है …इतने बड़े बच्चे क्या क्या नहीं करते ..जब देखो टीवी और गेम या खाना ..जरा भी फुर्ती नहीं है ..एकदम उत्साह विहीन .ना जाने क्या करेंगे अपनी जिन्दगी में …” फिर एक महिला का स्वर आया …” अरे अहिस्ता बोलो…

यकीन मानिये मैं जब भी यश चोपड़ा  की कोई फिल्म देखती थी उसके मनोरम दृश्यों को देख यही ख्याल आता था “अरे क्या है ऐसा स्विट्ज़रलैंड में जो हमारे यहाँ नहीं मिलता इन्हें ..क्या भारत में बर्फ नहीं पड़ती? या यहाँ हसीं वादियाँ और पहाड़ नहीं हैं ?गायों और झरनों की कोई कमी है क्या भारत में? और वो बैल की घंटी…

बचपन में हम बहनें बहुत लड़ा करती थीं ..सभी भाई बहन का ये जन्म सिद्ध अधिकार है ..और लड़ते हुए गुस्से में एक दूसरे  को ना जाने क्या क्या कह दिया करते थे .तब मम्मी बहुत डाँटती थीं , कि शुभ शुभ बोला करो, ना जाने कौन से वक़्त माँ सरस्वती ज़ुबान पर बैठ जाये , और तीन  बार कुछ…