जीवन में छोटी छोटी खुशियाँ कितनी मायने रखती हैं इसे किसी को समझना हो तो उसके जीने के ढंग से समझा जा सकता था। कोई भी हालात हो या समस्या अगर उसका हल चाहिए तो बैठकर रोने या अपनी किस्मत को कोसने से तो कतई नहीं निकल सकता । हाँ ऐसे समय में सकारात्मकता से सोचा जाये तो जरूर कुछ…
![](http://shikhavarshney.com/wp-content/uploads/2016/06/1474930_10152055402805519_1818088311_n-570x370.jpg)
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है. और आपस में मिलजुल कर उत्सव मनाना उसकी जिंदगी का एक अहम् हिस्सा है। जब से मानवीय सभ्यता ने जन्म लिया उसने मौसम और आसपास के परिवेश के अनुसार अलग अलग उत्सवों की नींव डाली, और उन्हें आनंददायी बनाने के लिए तथा एक दूसरे से जोड़ने के लिए अनेकों रीति रिवाज़ों को बनाया। परिणामस्वरूप स्थान व स्थानीय सुविधाओं को देखते हुए आपस में मिलजुल कर…
![](http://shikhavarshney.com/wp-content/uploads/2016/06/londondiary16nov13-570x370.jpg)
यूँ सामान्यत: लोग जीने के लिए खाते हैं परन्तु हम भारतीय शायद खाने के लिए ही जीते हैं. सच पूछिए तो अपने खान पान के लिए जितना आकर्षण और संकीर्णता मैंने हम भारतीयों में देखी है शायद दुनिया में किसी और देश, समुदाय में नहीं होती। एक भारतीय, भारत से बाहर जहाँ भी जाता है, खान पान उसकी पहली प्राथमिकता भी होती है और मुख्य…
![](http://shikhavarshney.com/wp-content/uploads/2013/09/102-570x370.jpg)
http://shikhakriti.blogspot.co.uk/2013/09/blog-post_15.html यहाँ से आगे। अब तक यह तो विजया की समझ में आने लगा था कि घर की तीसरी मंजिल पर रहने वाले निखिल के सगे भैया, भाभी क्यों अजनबियों की तरह रहते हैं, क्यों उन्होंने घर में आने जाने का रास्ता भी बाहर से बना लिया है, और क्यों त्योहारों पर भी वह एक दूसरे को विश तक नहीं करते। हालाँकि बात उलटी भी…