कल यहाँ (लन्दन में ) बी बी सी 3 पर भारत में हुए दामिनी हादसे और उसके प्रभाव पर एक कार्यक्रम दिखाया जा रहा था. जिसमें भारतीय मूल की एक ब्रिटिश लड़की नेट आदि पर उस हादसे को देखकर इतना विचलित होती है कि  वह खुद भारत जाती है, वहां लड़कियों की स्थिति का जायजा लेने। जाने से पहले वह अपनी अलमारी खोल कर ले जाने के लिए कपड़े  देख रही है और सामान्यत: पहने जाने वाले पश्चिमी परिधान भी उसे भारत में पहनने के लिए उपयुक्त नहीं लग रहे। 


वहाँ दिल्ली में उसकी दिल्ली में ही रहने वाली एक मित्र उसे बाजार में सुरक्षित चलने के तरीके समझाती है, और बाताती है कि कैसे वहाँ पुरुष उसे अनुचित जगह छूने की उससे भिड़ने की कोशिश करेंगे, और कैसे वहाँ लड़कियों को देखने वाला हर लड़का आँखों से ही रेप करने पर उतारू रहता है। 


दिल्ली में उसके माध्यम से दामिनी केस की पूरी डिटेल के साथ साथ, चुन चुन कर ऐसे ऐसे हादसों को दिखाया/ बताया गया जो बेशक पूरी तरह सत्य थे। परन्तु यदि चुनने पर ही आ जाया जाए तो ऐसे अपराध या शायद इससे भी खतरनाक, घृणास्पद हादसे दुनिया के हर देश में पाए जायेंगे। लन्दन में भी आये दिन सडकों और घरों में हुईं खौफनाक वारदातों की खबरे आती रहती हैं।

भारत के वर्तमान हालातों पर बने इस कार्यक्रम को देख कर लगा जैसे, बात किसी लोकतान्त्रिक देश की नहीं,बल्कि असभ्य, अनपढ़, अव्यवस्थित समाज से युक्त एक ऐसे देश की हो रही है जहाँ के निवासियों के लिए लडकी किसी दुसरे ग्रह से आई कोई चीज़ है,जिसे उन्होंने कभी देखा, छुआ नहीं और उसे सड़क पर देखते ही वे झपटा मारने को बेताब हो जाते हैं। और यह सब देख कर भी कोई कुछ नहीं करता।

इसमें कोई शक नहीं कि दामिनी केस बाद विदेशों में भारत की छवि एकदम से बेहद खराब हुई है। और प्रत्यक्ष पीड़ितों से साक्षात्कार और स्वंय उस लड़की के भारत में हुए अनुभव के द्वारा जो कुछ भी उस कार्यक्रम में दिखाया गया सच ही था। 

परन्तु एक भारतीय होने के नाते अपने देश के प्रति मुझसे यह कड़वा सच बर्दाश्त नहीं हो रहा। और मुझे इस कार्यक्रम के लिए बी बी सी पर गुस्सा आ रहा है  🙁
Feeling ashamed, angry, sad and helpless at the same time.