बच्चों की छुट्टियाँ ख़त्म होने को आ गईं हैं और उनका सब्र भी …ऐलान कर दिया है उन्होंने कि आपलोगों को हमारी कोई परवाह नहीं बस अपने काम से काम है. हम सड़ रहे हैं घर पर .बात सच्ची थी तो गहरा असर कर गई .इसलिए हम जा रहे हैं एक हफ्ते की छुट्टी पर बच्चों को घुमाने .
तब तक आप ये नज़्म टाइप का कुछ है वो झेलिये.
ये जुबान जब भी चली
कहीं कोई जख्म हुआ है
यूँ ही तो हमने
ख़ामोशी इख्तियार नहीं की है
मत हिला ये लब अपने
न निगाहों से बात कर
हमने लफ़्ज़ों की कभी
ताकीद तो नहीं की है
बस आँखों में झांक कर
इतना बता दे
तेरी तस्वीर जो इनमे थी
धुंधला तो नहीं गई है .
चल रहने दे
आज रात भी है काली बहुत
चाँद से भी तो चांदनी की
सिफारिश नहीं की है.
(चित्र गूगल से साभार )
बस आँखों में झांक कर
इतना बता दे
तेरी तस्वीर जो इनमे थी
धुंधला तो नहीं गई है .
Baap re baap! Kya likhtee hain aap! Haan! Sach ham kayi bar aise zakhm de jate hain,jinka ta-umr afsos rata hai…jab hame zakhm milta hai,to hamne diye zakhm hamne yaad kar lene chahiyen!Mujhse apne badon aur bachhon,dono ko aise zakhm diye gaye hain,aur chahe jitna afsos kar lun,pashchyataap kam nahi hota..
अच्छी रचना के लिए बधाई स्वीकार्य करिए ।
Hi..
Jis bhi tum poochh rahe ho..
Jaane kya kya soch rahe ho..
Jo na us se karogi baat..
Beshaq kaali hogi raat..
Aankho main jo chhavi thi uske..
Dhumil gar wo pad jaati..
Kya teri ye nazm yahan par..
Uski khatir aa paati..
Dil jinke jo mile hain hote..
Man ke Spandan main milte hain,
roj chandni main wo rahte..
Hruday pushp unke khilte hain..
…..
Bachchon ke sang jaakar ke tum..
Jaakar ghum ke aa jao..
Koi nayi jagah un sabko.. 'Unke' sang dikha lao..
Laut ke jab tum vapas aana..
Photo apne sang main laana..
Agle lekh main hum sabko bhi..
Kahan gaye the dikhlana…
Eshwar aapki yatra mangalmay kare..
Shubhkamnaon sahit..
Deepak..
बहुत खूबसूरत और भावपूर्ण रचना ।
बस आँखों में झांक कर
इतना बता दे
तेरी तस्वीर जो इनमे थी
धुंधला तो नहीं गई है .
बिलकुल नहीं धुंधलाई होगी ….चिन्ता मत करो घूम कर आओ ..तो और चमकती ही पाओगी .. :):)
बहुत भावपूर्ण नज़्म …
गहन अनुभूति से ओतप्रोत। शुक्रिया पढ़वाने का।
ये जुबान जब भी चली
कहीं कोई जख्म हुआ है
यूँ ही तो हमने
ख़ामोशी इख्तियार नहीं की है
बहुत सशक्त और भावप्रवण रचना, छुट्टियों के लिये शुभकामनाएं, और यात्रा संस्मरणों का भी इंतजार रहेगा.
रामराम.
बहुत ही बेहतरीन रचना…..!!
चल रहने दे
आज रात भी है काली बहुत
चाँद से भी तो चांदनी की
सिफारिश नहीं की है
मुझे ये तो नहीं पता ये नज़्म है या ग़ज़ल , लेकिन ये पता है कि, ये जो भी है दिल को छू गयी. वैसे चाँद से आपकी जान पहचान है ये तो मै जानता हूँ, क्योकि वो आपकी खूंटी पर टंगा हुआ है. उसे आदेश दीजिये कि वो चांदनी को बिखरने दे. . और आपकी यात्रा सुखमय एवं आनंद दायक हो , मेरी शुभकामनाये.
मत हिला ये लब अपने
न निगाहों से बात कर
हमने लफ़्ज़ों की कभी
ताकीद तो नहीं की है
कुछ अलग ही अहसास की नज़्म है…
बधाई.
ये बात….घूम लो पहले…नज़्म तो हम पढ़ ही रहे हैं.बेहतरीन!
शिखा जी..छुट्टियाँ मुबारक… एतना जल्दी में पोस्ट की हैं कि सीर्सकवो गलत टाइप हो गया अऊर आपको पतो नहीं चला… ख़ैर होता है..बच्चा लोग के लिए सब चलेगा… ई जो मिनी नज़्म आप छोड़े जा रही हैं, सब कमाल है…अंतिम पंक्ति पर जब भेद खोलती है तब जाकर नज़्म का माने में गाँठ लगता है… बेहद खूबसूरत!!
आज रात भी है काली बहुत चाँद से भी तो चांदनी की सिफारिश नहीं की है.
यह कविता तरल संवेदनाओं से रची गई है। जो दिल से पढ़ने की अपेक्षा रखती है।
मौज़-ए-हाल बयाँ करती कविता।
bahut hi khubsurat rachna…..
umdaah prastuti…
mere blog par is baar..
पगली है बदली….
http://i555.blogspot.com/
दी सच कह रहा हूँ.. बुरा मत मानियेगा.. क्योंकि सच्चाई कई सारे अपनों को दूर कर देती है.. पर सच यही है डिस इज वन ऑफ़ यौर बेस्ट नज़्म… रियली
आज आपने कला फिल्म बनाई है
लेकिन सच कहूं तो मुझे कला फिल्में भी अच्छी लगती है
अच्छी रचना.
बधाई आपको
अकेले अकेले जा रही हैं दी, अच्छी बात नहीं है…:P
छोटा टाइप का नज़्म हम बहुत अच्छे से झेल लिए 😉 😉
bahut bhadiya ma'm
bhawpurn kavita………..:)
bhawpurn kavita………..:)
मत हिला ये लब अपने
न निगाहों से बात कर
हमने लफ़्ज़ों की कभी
ताकीद तो नहीं की है
क्या अंदाज़ है बहुत खूब !!!!!!!!!!!!
रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकानाएं !
समय हो तो अवश्य पढ़ें यानी जब तक जियेंगे यहीं रहेंगे !
http://hamzabaan.blogspot.com/2010/08/blog-post_23.html
बस आँखों में झांक कर
इतना बता दे
तेरी तस्वीर जो इनमे थी
धुंधला तो नहीं गई है .
ओहो अब इतने प्यार से कोई पूछेगा तो तस्वीर धुंधली क्या नज़र आएगी और भी चमक उठेगी..इतनी की देखने वाले की आँखें चुंधिया जाएँ…हाहा
बहुत मिस करुँगी….पर एन्जॉय करो, फैमिली के साथ…ढेर सारी तस्वीरें और ख़ूबसूरत रिपोर्ट के साथ लौटना…..
बस आँखों में झांक कर
इतना बता दे
तेरी तस्वीर जो इनमे थी
धुंधला तो नहीं गई है ….
ज़ुबान से नही … पर आँखों में झाँक कर तो बता दे …
वाँ क्या बात है अच्छी नज़्म है …
अब आपके बीच आ चूका है ब्लॉग जगत का नया अवतार http://www.apnivani.com
आप अपना एकाउंट बना कर अपने ब्लॉग, फोटो, विडियो, ऑडियो, टिप्पड़ी लोगो के बीच शेयर कर सकते हैं !
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धनयवाद …
आप की अपनी http://www.apnivani.com
बस आँखों में झांक कर
इतना बता दे
तेरी तस्वीर जो इनमे थी
धुंधला तो नहीं गई है .
… सुन्दरतम !!
रक्षा बंधन पर हार्दिक शुभकामनाएँ.
पढ़ना इसी तैयारी से शुरू किया था, लेकिन झेलने टाइप कुछ नहीं मिला. सधी हुई रचना.
bahoot achha
बस आँखों में झांक कर
इतना बता दे
तेरी तस्वीर जो इनमे थी
धुंधला तो नहीं गई है .
bilkul nahi ?
kaise dhundhlayegi ji
shubhkamnaye
प्रशंसनीय ।
last vaala sabse achchha hai…
बेहतरीन!….बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!…. बार बार पढ कर भी मन नहीं भर रहा!
waah waah kya baat hai badhayi swekar kariye …
vijay
आपसे निवेदन है की आप मेरी नयी कविता " मोरे सजनवा" जरुर पढ़े और अपनी अमूल्य राय देवे…
http://poemsofvijay.blogspot.com/2010/08/blog-post_21.html
jate ho to jaao
jab man ho chale aanaa
kavitaa hee to likhee dil kee choree to nahee kee hai
jaate jate hamko
itnaa to bataa jaao
itne din tak likhne kee
chhuttee to nahee kee hai
हैं और भी दुनिया में सुख़नवर बहुत अच्छे ,
हम सोचते थे ,
… हम सोचते थे दुनिया में बस एक हम ही हैं !
हा हा हा
शिखा वार्ष्णेय जी
नमस्कार !
हमने लफ़्ज़ों की कभी
ताकीद तो नहीं की है …
बस , आंखों में झांक कर
इतना बता दे
तेरी तस्वीर जो इनमे थी
धुंधला तो नहीं गई है ???
क्या अंदाज़ है !
बहुत ख़ूब है यह नज़्म !
एक बात शेअर करना चाहता हूं ,
नेट पर आप जैसी नज़्मकाराएं इनडायरेक्टली वो चैलेंज करती प्रतीत होती हैं कि डरने लगा हूं कि मेरा ग़ज़लकार – गीतकार नज़्मगो का बाना धारण करने का न सोचले कहीं !
मज़ाक कर रहा हूं , ऐसी शानदार नज़्में लिखना हर किसी के बस की बात थोड़े ही है …
कम अज कम मेरे बस की तो बात नहीं ।
बहुत बहुत शुभकामनाएं हैं …
दीपक भाई के ब्लॉग पर भी आपके बारे में पढ़ा था , अच्छा लगा ।
– राजेन्द्र स्वर्णकार
बस आँखों में झांक कर
इतना बता दे
तेरी तस्वीर जो इनमे थी
धुंधला तो नहीं गई है .
कौन है ye झाँकने wala …..?
bdhaiyaan….!!!
.
क्या खूब नज़्म लिखती हैं आप । आनंद आ गया । बधाई ।
.
बहुत बेहतरीन और भावपूर्ण कविता।
बहुत सुन्दर कविता ………….
nice work!!!
देरी से आने का कारण मैंने आपको मेल कर दिया है…. होप यू विल अंडरस्टैंड …..
मत हिला ये लब अपने
न निगाहों से बात कर
हमने लफ़्ज़ों की कभी
ताकीद तो नहीं की है
यह पंक्तियाँ मुझे बहुत अच्छी लगीं….
ये जुबान जब भी चली
कहीं कोई जख्म हुआ है
यूँ ही तो हमने
ख़ामोशी इख्तियार नहीं की है
अच्छी रचना के लिए बधाई
आपके पास अहसास है और अहसास से ही कविता होती है .आपका शेर
बस आँखों में झांक कर
इतना बता दे
तेरी तस्वीर जो इनमे थी
धुंधला तो नहीं गई है . पसंद आया .अच्छा लिखा है और अच्छा लिखें
वाह-वाह,बहुत बढिया-उम्दा पोस्ट के लिए आभार
तीन दिनों के बाद ब्लाग पर आ पाया हूँ।
खोली नम्बर 36……!
अच्छी रचना
आप भी इस बहस का हिस्सा बनें और
कृपया अपने बहुमूल्य सुझावों और टिप्पणियों से हमारा मार्गदर्शन करें:-
अकेला या अकेली
अकेले अकेले जा रही हैं दी…
बहुत बहुत शुभकामनाएं हैं …
दीपक JI के ब्लॉग पर भी आपके बारे में पढ़ा था , अच्छा लगा ।
….जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई!…. सब मंगलमय हो!
श्री कृष्ण-जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें.
बहुत ही भावपूर्ण… बेहतरीन…
बहुत ही सुन्दर रचना………….
आप के ब्लाग का लिंक सृजन के सहयोग पर मिला व यहा आकर बहुत अच्छा लगा।
वापस आ गयी होंगी। किस्से लिखिये छुट्टियों के।
दिल को छू गयी…. बहुत बेहतरीन…. और भावपूर्ण रचना…..
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