मैं एक कविता बस छोटी सी
हर दिल की तह में रहती हूँ.
भावो से खिल जाऊं मैं
शब्दों से निखर जाऊं मैं
मन के अंतस से जो उपजे
मोती सी यूँ रच उठती हूँ.
मैं एक कविता बस छोटी सी
हर दिल की तह में रहती हूँ.
हर दर्द की एक दवा सी मैं
हर गम में एक दुआ सी मैं
पलकों से गिरती बूंदों को
चुन दामन में भर उठती हूँ.
मैं एक कविता बस छोटी सी
हर दिल की तह में रहती हूँ.
एक ज़ज्बे की तलबगार हूँ मैं
हर रूह की साझेदार हूँ मैं.
जब जब धड़के दिल कोई
सारंगी सी बज उठती हूँ.
मैं एक कविता बस छोटी सी
हर दिल की तह में रहती हूँ
मैं एक कविता बस छोटी सी वाह… पर छोटी कविता ही बड़े कमाल करती हैं.. जैसे ये..
एक ज़ज्बे की तलबगार हूँ मैं
हर रूह की साझेदार हूँ मैं.
जब जब धड़के दिल कोई
सारंगी सी बज उठती हूँ.
बहुत खूबसूरत पंक्तियाँ….सुन्दर कविता…
मैं एक कविता बस छोटी सी
हर दिल की तह में रहती हूँ.
tabhi kahun meri dhadkanon ye kaisi mithaas hai
आईये जानें ….मानव धर्म क्या है।
आचार्य जी
kamaal kee rachna!!!!
pahli pankti hi bemisaal aur wazandaar!
shahroz
बहुत सुंदर…छोटी है किंतु असरदार है
bahut sundar
सही कहा डिओसा,
हर किसी के मन मैं भावनाओं से भरी एक छोटी सी कविता रहती ही है, मन के किसी कोने मैं सुरक्षित रखने लायक रचना है ये.
अरे वाह शिखा जी, बड़ी अच्छी कविता है ये तो..हमारे भी दिल की तह में रह गयी ये तो 🙂
हर दर्द की एक दवा सी मैं
हर गम में एक दुआ सी मैं
पलकों से गिरती बूंदों को
चुन दामन में भर उठती हूँ.
मैं एक कविता बस छोटी सी
हर दिल की तह में रहती हूँ.
beautiful 🙂
bahut hi sundar rachna…..prambh se ant tak sangeet hi sangeet.
हर दर्द की एक दवा सी मैं
हर गम में एक दुआ सी मैं
सच है, हर दिल की तह में छुपी है,कविता…बस इसे टटोलने की जरूरत है…जो आप जैसी कवियत्री बखूबी करती हैं..
रूह की साझेदार तो वाकई कविता के अलावा और कोई बन ही नहीं सकता। अच्छा लिखा है आपने। आपको बधाई।
हर दर्द की एक दवा सी मैं
हर गम में एक दुआ सी मैं
पलकों से गिरती बूंदों को
चुन दामन में भर उठती हूँ.
पंक्तियों में रुह उतर आई।
खूबसूरत
आभार
asardaar kavita
http://sanjaykuamr.blogspot.com/
bahut sunder bhavo se bhari sunder kavita. badhayi.
मैं एक कविता बस छोटी सी
हर दिल की तह में रहती हूँ
छोटी सी कविता ने बहुत बड़ी कविता कही
सुन्दर
sundar rachana
नन्हीं सी कविता मन मोहती है….सरल भाव दिल पर अपना असर छोड़ते हैं…
kavita par hi kavita wo bhi choti si…lajawaab likha hai mam…
chhoti si kavita lekin asardaar hai…
bahut acchi lagi..
सच में, हर एक दिल में एक छोटी सी कविता रहती है…जो सभी को दूसरों की संवेदनाओं को समझने में मदद करती है…
बड़ी ही प्यारी कविता.
हर दर्द की एक दवा सी मैं
हर गम में एक दुआ सी मैं
पलकों से गिरती बूंदों को
चुन दामन में भर उठती हूँ.
बहुत सुंदर !
कविता को एक नए अंदाज़ में परिभाषित किया है आप ने !
अरे वाह कविता का भी मानवीयकरण !
छोटी सी कविता ने बहुत बड़ी कविता कही
सुन्दर
जज़्बा भी है, आंसू भी…दामन भी है और धड़कन भी. अब तो वाह-वाह करनी ही होगी. लिखती रहें. शुभकामनाएं
कविता बहुत अच्छी लगी…. कुछ पंक्तियाँ तो बहुत अच्छी लगीं और दिल को छू गयीं….पलकों से गिरती बूंदों को
चुन दामन में भर उठती हूँ….. इन पंक्तियों ने ग़ज़ब का इफेक्टिवनेस …शो किया है…. बहुत सुंदर ….
बहुत अच्छा लिखा है आपने।
मैने अपने ब्लाग पर एक लेख लिखा है-अपमान झेलती प्रतिमाएं। समय हो तो पढ़ें और प्रतिक्रिया भी दें-
http://www.ashokvichar.blogspot.com
हर दर्द की एक दवा सी मैं
हर गम में एक दुआ सी मैं
पलकों से गिरती बूंदों को
चुन दामन में भर उठती हूँ.
मैं एक कविता बस छोटी सी
हर दिल की तह में रहती हूँ.
Bahut,bahut sundar alfaaz..
इस सुन्दर रचना हेतु आभार
Hi..
Main ek kavita chhoti si..
Har dil ki tah main rahti hun..
Dil ke bhavon se jo kavita..
Anjane hi banti hai..
Har wo kavita, es kavita si..
Meethi si ho uthati hai..
Man ke jo ahsaas hain jab bhi..
Shabdon main parinit hote..
Kavita antas man se nikle..
Ek sarita si bahti hai..
Jab jab 'SPANDAN' main main aaya..
Kavita ko hansta hai paya..
Tere har aalekh si harshit..
Meri kavita rahti hai..
'CHHOTI SI' kavita ye teri..
Bade bhav hai liye hue..
Man main hai ek hash sa aaya..
Dil ko 'SPANDAN' se bharti hai..
Sundar bhav..
DEEPAK..
Hi..
Main ek kavita chhoti si..
Har dil ki tah main rahti hun..
Dil ke bhavon se jo kavita..
Anjane hi banti hai..
Har wo kavita, es kavita si..
Meethi si ho uthati hai..
Man ke jo ahsaas hain jab bhi..
Shabdon main parinit hote..
Kavita antas man se nikle..
Ek sarita si bahti hai..
Jab jab 'SPANDAN' main main aaya..
Kavita ko hansta hai paya..
Tere har aalekh si harshit..
Meri kavita rahti hai..
'CHHOTI SI' kavita ye teri..
Bade bhav hai liye hue..
Man main hai ek hash sa aaya..
Dil ko 'SPANDAN' se bharti hai..
Sundar bhav..
DEEPAK..
very soulfull 'KAVITA'. sorry could not comment in hindi as some font problem.
🙂
dil ko chhuti ek khubshurat rachna…jo bhawon se sarabor hai……..!!
बहुत शानदार!
आपकी सोच विस्तृत है, महान है, सलाम इस सोच को. इस सुन्दर रचना पर मेरी त्वरित प्रतिक्रिया इस तरह है:-
तह में हर दिल के रह करके,
छोटी कैसे हो सकती हो?
भावो से विह्वल,शब्दों से निखर,
अंतस मन का उपजा मोती,
दर्दो की दवा, हर ग़म में दुआ,
दुखियो का दुःख हर लेती हो.
छोटी कैसे हो सकती हो?
जज़्बे में तड़प, अंतर्मन तक,
बन सारंगी बज उठती हो,
तब फैल तरंगो के उपर,
आकाशो में जा बस्ती हो,
छोटी कैसे हो सकती हो?
di kisi ka khud me kavita hona bahut mayne rakhta hai ..aur jo kavita hota hai ..wo bahut lucky hota hai ..solid nazm di
मैं एक कविता बस छोटी सी,
शिखा जी, आपके सेंस ऑफ ह्यूमर का जवाब नहीं…
वैसे कविता छोटा नहीं दिल पर गहराई तक असर करने वाली है…
जय हिंद…
एक लयबद्ध कविता कहूँगा मैं इसे.. पाठ्यक्रम में शामिल करने लायक..
एक ज़ज्बे की तलबगार हूँ मैं
हर रूह की साझेदार हूँ मैं.
जब जब धड़के दिल कोई
सारंगी सी बज उठती हूँ…
छोटी सी पर बहुत ही लंबी बात कहती अनुपम रचना है ….. सीधे दिल तक जाती है …….
सुन्दर कविता …मनभावन
bahut pyaree kavita hai….achchhe lagee
एक ज़ज्बे की तलबगार हूँ मैं
हर रूह की साझेदार हूँ मैं
sundar pratimanon se saji rachana…..
badhaai!
हर दिल में रहती हैं एक छोटी सी कविता …
उसे ढूंढ ले भर कोई आपकी तरह ..!!
choti hi sahi par bdi mnmohni kvita hai ye .
मैं तो इसे एक उत्कृष्ट रचना ही कहूँगा!
कविता अच्छी है
एक जिज्ञासा – रूस से पत्रकारिता का अध्ययन कोई विशेष कारण
@DR.महेश सिन्हा जी ! लगता है अब इस पर भी एक संस्मरण लिखना होगा 🙂 कोई खास वजह तो नहीं बताऊंगी कभी ये भी 🙂
तुकबन्दी सहित अच्छी कविता ….
कविता पर आपकी यह परिभाषा अच्छी लगी। मैंने भी कुछ परिभाषाएं की हैं कविता पर। समय मिले तो देखियेगा।
http://gullakapni.blogspot.com गुलमोहर
मेरे दिल रहने का शुक्रिया ।
शिखा जी एक बार फिर आपके ब्लाग पर आना हुआ। आपने अपने ब्लाग के नाम के साथ जो परिचय दिया है उनमें दो शब्दों में अगर सुधार कर लें तो संभव है कोई ब्लागर उनकी भी चोरी करने की सोचेगा। सही शब्द तंरगे नहीं तंरगें है। इसी तरह अनुग्रहीत सही नहीं है। सही है अनुगृहीत ।
एक ज़ज्बे की तलबगार हूँ मैं
हर रूह की साझेदार हूँ मैं.
जब जब धड़के दिल कोई
सारंगी सी बज उठती हूँ.
बेहद प्रभावशाली प्रस्तुति किस किस बात की तारीफ करूँ बस बेमिसाल….. लाजवाब…….
सुन्दर रचना !
कविता के माध्यम से अपने मन की सारी बात कह दी आपने …..
गागर में सागर भर दिया आपने……..
मनभावन कविता…
मैं एक कविता बस छोटी सी
हर दिल की तह में रहती हूँ
"hi shikha ji, what a beautiful lines and how true na…"
thanks for your visit on my blog and leaving your preceious soothing words ya.
regards
very nice.
Write more, thats all I have to say. Literally, it seems as though you relied on the video to make your point. You obviously know what youre talking about, why throw away your intelligence on just posting videos to your blog when you could be giving us something enlightening to read?
Keep functioning ,remarkable job!