अभी एक समाचार पत्र में एक पत्र छपा था .आप भी पढ़िए.
नवम्बर २०१०(लन्दन )
ये एक खुला पत्र है उस आदमी के नाम जिसने बुधवार १७ नवम्बर को मेरी कार चुरा ली. मैं यह पत्र इसलिए लिख रही हूँ कि शायद अगली बार तुम या कोई और ऐसा करने से पहले २ बार सोचे.पिछले बुधवार काम से वापस आते हुए मैंने अपनी कार पार्किंग से निकाली और बाहर बैरियर तक गई तभी तुम लपक कर मेरी कार में सवार हुए और मेरे बहुत मिन्नतें करने के वावजूद उसे ले भागे.मेरी कार,पर्स,निजी दस्तावेज,और कुछ क्रिसमस उपहार तो सब दुबारा आ सकते हैं .पर तुम्हें ये पता नहीं कि, मैं अपने डैड से मिलने जा रही थी जो सेमी कोमा में थे ,और जब तक मैं पुलिस से निबट कर घर पहुंची बहुत देर हो चुकी थी .सुबह मैंने डैड के केयर सेंटर फ़ोन किया तो उन्होंने बताया कि मेरे डैड पिछली रात १० बजे ही गुजर चुके थे.तुम कार में पीछे की सीट पर रखा मेरा फ़ोन भी ले गए थे इसलिए डैड के केयर सेंटर वाले मुझे इत्तला नहीं कर पाए क्योंकि मैंने उन्हें एक वही नंबर. दे रखा था क्योंकि वही फ़ोन मैं हमेशा अपने पास रखती थी.
तुमने मेरे डैड से मेरा आखिरी प्रणाम चुरा लिया. मेरा इन्शेयोरेंस इसे कवर नहीं करता. और यह भी कि मेरे डैड बिना किसी परिवार से मिले अकेले इस दुनिया से चले गए.और इसी अहसास के साथ अब मुझे अपनी पूरी जिन्दगी जीनी होगी और अब तुम्हें भी.
तुम्हारा और तुम्हारे परिवार का क्रिसमस शुभ हो ,क्योंकि मेरे लिए तो इस साल यह शुभ नहीं होगा.
तुम्हारा और तुम्हारे परिवार का क्रिसमस शुभ हो ,क्योंकि मेरे लिए तो इस साल यह शुभ नहीं होगा.
सादर
सरह जेन फील्ड .
यह कोई अकेली वारदात नहीं है. लन्दन में कार की चोरी आम होती जा रही है. हाल ही में एक स्कूल से बाहर से एक आदमी एक कार को तब चुरा कर ले भागा. जब उसकी चालक एक मिनट के लिए कुछ कचरा फैंकने सामने वाले कूड़ेदान तक गई थी.
हवा हुए वे दिन जब कहा जाता था कि पश्चिमी देशों में चोरियाँ नहीं होती लोग घर के दरवाजे बंद नहीं करते दुकानों से सामान नहीं उठाये जाते.शायद आज भी बहुत सी जगह ये आश्चर्य के साथ सुना जाता हो कि विकसित देशों में लोग इतने ईमानदार होते हैं कि दूकान से सामान लेकर अपने आप भुगतान करने जाते हैं. कोई देखने वाला नहीं होता. परन्तु लग रहा है कि धीरे धीरे हालात बदल रहे हैं. कम से कम लन्दन में बढती चोरी और क़त्ल की वारदातें देखकर तो ऐसे ही लगता है .दुकानों से उठाईगिरी के किस्से भी आम होते जा रहे हैं..पिछले २ सालों में लन्दन में चोरी के स्तर में १२.७ फीसदी की बढोतरी हुई है.एक सर्वे के मुताविक चोरी के मामले में देश के उच्चतम २० पोस्ट कोड में से आधे लन्दन के हैं .हालाँकि पहला नंबर अभी भी मेनचेस्टर का है.घरों में चोरियों की वारदातें आये दिन सुनने में आती हैं, और ये ज्यादातर एशियन इलाकों में घटित होती हैं बताया जाता है कि त्योहारों के दौरान सोने के जेवरात पहन कर घरों से निकलना इन चोरियों का प्रमुख कारण होता है.. वही एक खबर के मुताबिक अप्टन पार्क में एक पुरुष सड़क पर लहुलुहान पाया गया जिसकी बाद में मौत हो गई .बताया जाता है ४० वर्षीय ईश्वर को तब गोली मार दी गई जब वह एक दूकान से बीयर लेने जा रहा था.और इस तरह के हादसे आये दिन होते रहते हैं.
प्रतिदिन बढ़ती इन घटनाओं के मद्देनजर लन्दन की मेट्रोपोलेटन पुलिस जनता से जागरूक रहने की मांग कर रही है .घर घर में पर्चे बांटे जा रहे हैं जिनमें बताया गया है कि किस तरह अपने घर को सुरक्षित रखा जा सकता है .इन पर्चों में पुलिस की तरफ से हिदायत दी गई है कि
अपने घर के सामने वाला दरवाज़ा बंद रखे .और बाहर जाते समय उसे ठीक से बंद करके जाएँ.
घर के सभी दरवाजे ,गेट और गेराज ठीक से बंद करके जाये चाहें आप थोड़ी देर के लिए ही क्यों ना बाहर जा रहे हों.
घर में कीमती सामान खुला ना छोड़े
अगर आपको लगता है कि आपके घर लौटने तक अँधेरा हो जायेगा तो एक लाईट जरुर खुली रहने दें.
अपनी कार की चाबियाँ और अपने परिचय पत्र कभी भी अपने पत्र पेटी,दरवाजे या खिड़की के पास ना रखें.
जिससे दिन प्रतिदिन बढ़ती इन वारदातों पर काबू पाया जा सके.
अब तो इस शहर को देख कर कभी कभी मुँह से निकल ही जाता है .
देख तेरे लन्दन की हालत क्या हो गई महारानी
रोज़ बढ़ रहे अपराध ,रूतबा हो गया पानी पानी
(तस्वीर गूगल से सभार)(Letter Translated By Me )
"ये ज्यादातर एशियन इलाकों में घटित होती हैं" इस कथन ने हमें व्यथित किया.
ज्ञानवर्धक पोस्ट
क्या इंग्लैंड में भी ऐसा होता है ??? मेरे भैया करीब ५ साल लन्दन में थे, वो कहते थे की वहां तो भारतीय लड़कों की इज्जत पर भी खतरा रहता है ….
खैर..मुझे ये समझ नहीं आता कि वहां के लोग किस मुंह से भारत की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाते हैं…
जेन फील्ड से भी सहानुभूति है, काफी दुखदायी घटना है उनके लिए…
बढ़ते अपराध कही भी हो चिंता का विषय होता है. लेकिन आप द्वारा वर्णित ह्रदय विदारक घटना पढ़ कर हार्दिक दुःख हुआ . रही बात लन्दन में बढ़ते अपराध की प्रवृति की तो , हर अपराध के मूल में सामाजिक और आर्थिक कारण ही होते है . यूरोप में बढ़ती बेरोजगारी, घटती विकास दर, भी एक कारण हो सकता है . आर्थिक विषमताए हमेशा ही अपराध को बढ़ावा देती है . आप सजग ब्लॉगर हो जो ऐसे विषयों का चुनाव करती हो ..
दूसरा इनसे बचने का बहु प्रचलित मंत्र —-"आपने सामान की रक्षा स्वयं करे ".
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काफी दुखद है यह सब
संवेदनाओं से भरी हुई पोस्ट
आंखे नम हो रही है
अपराध सभी जगह बढ रहे हैं……………वैसे वो पत्र दिल् को भिगो गया।
चोरों को तो चोरी से ही काम होता है!
किसी की भावनाओं को वो क्या जानें!
पत्र दिल को छू गया। दुनिया मे शायद अब कोई स्थान सुरक्षित नही बचा। शुभकामनायें।
पत्र आँखें नम कर गया!
….दुःखद घट्ना है!…अपराध सभी जगह बढते जा रहे है!…
द्रवित कर गयी यह घटना…पर मैने लन्दन की ही इस से भी ज्यादा एक हृदयविदारक घटना के बारे में पढ़ा था….जहाँ माँ बगल की सीट पर बेटे को छोड़कर कुछ समान लेने गयी…और कोई चोर वो गाड़ी ले भागा…उसने दूसरा दरवाज़ा खोल बच्चे को सड़क पर धकेलने की कोशिश की पर बच्चा सीट बेल्ट से बंधा हुआ था…दूर तक वह घिसटता हुआ गया और दम तोड़ दिया. लिखते नहीं बन रहा…रूह कंपा देती है ये घटनाएं.
अब क्या कहें… वहाँ कहते हैं, एशियन इलाकों में यह होता है…और यहाँ हमारी कॉलोनी में चेन छीनने की घटनाएं बढती जा रही हैं…जिसके लिए जिम्मेवार झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले उत्तर-भारतीयों को ठहराया जा रहा है. पुलिस ने कईयों को पकड़ा भी है..इसलिए उनकी भूमिका को नाकारा भी नहीं जा सकता .
वर्तमान में आर्थिक विषमताएं इतनी ज्यादा बढ गई हैं और हर आदमी अपनी हर ख्वाहिश किसी भी कीमत पर पूरी करने को उत्सुक है तो ये सब होना ही है भले कोई भी देश हो. नैतिकता की बातें अब हवा हो रही हैं. समय का प्रभाव पडे बिना नही रहता.
रामराम.
वर्तमान में आर्थिक विषमताएं इतनी ज्यादा बढ गई हैं और हर आदमी अपनी हर ख्वाहिश किसी भी कीमत पर पूरी करने को उत्सुक है तो ये सब होना ही है भले कोई भी देश हो. नैतिकता की बातें अब हवा हो रही हैं. समय का प्रभाव पडे बिना नही रहता.
रामराम.
… behad dukhad haalaat … behad maarmik ghatanaa … saarthak post !!!
चोर का काम ही चोरी है
हमे अपनी सुरक्षा स्वयं ही करनी चाहिए
चोर का काम ही चोरी है
हमे अपनी सुरक्षा स्वयं ही करनी चाहिए
दिल दुखाने वाली और किसी के लिए जीवन भर का मलाल देने वाली घटना….सब कुछ वापस आएगा पर अंतिम विदे लेने वाला नहीं….
http://veenakesur.blogspot.com/
Padhte,padhte gum ho jatee hun!
सही में मन एकदम द्रवित हो गया ये सब पढ़ के 🙁
रश्मि दी की बातें पढ़ के और दुखी हो गया..
ओह !!
बहोत बुरा कर रहा है इंसान इंसानों के साथ
…………..
ताऊ जी के बात से सहमत हूँ ……..
पत्र तो वास्तव में बड़ा मार्मिक है ।
फिरंगी choron की बात सुनकर हैरानी सी हो रही है ।
किसी व्यक्ति में यदि इतनी मानवी संवेदना होती तो वो अपराधी बनता ही नहीं इसलिए एस तरह के पत्रों का असर उस पर नहीं होगा | अब तो दुनिया के हालत ये होते जा रहे है की हर आम और खास व्यक्ति की भी मानवी संवेदनाए ख़त्म होती जा रही है सभी अपने फायदे के आगे दूसरो की सोचते ही नहीं तो किसी अपराधी से क्या उम्मीद करना |
वाकई जेन के लिए बेहद दुखदायी था यह झेलना , फिर भी उन्होंने सब्र नहीं खोया !
लीक से हट कर बहुत अच्छा लेख ! शुभकामनाये शिखा !
बहुत मार्मिक पत्र ….लेकिन जिसने चोरी की है क्या उसको इस पत्र से भी कुछ असर हुआ होगा ? आज कल हर जगह अपराध पढ़ रहे हैं ..हर कोई बिना परिश्रम के ही सब कुछ पा लेना चाहता है …कभी पढते थे की विदेशों में चोरी नहीं होती …पर हर जगह आर्थिक विषमताएं हैं और भौतिक सुख के लिए लोंग अपराध करने लगे हैं …जागरूकता प्रदान करने वाली अच्छी पोस्ट …
शिखा जी! पहली घटना मार्मिक!.. बाद कि घटना शर्मनाक… मुझे याद है कि एक बार दुबई में अपने ऑफिस कि बत्तियाँ बंद करके, मैं चला आया था तो रात को पुलिस ने फोन करके बुलाया और सारी बत्तियाँ जलवाई.. उनका तर्क था कि इससे शीशे के अंदर कोई बाहरी आदमी हो तो दिखाई देता है. अच्छी जानकारी और सावधान कराती पोस्ट!!
हमें तो पहले लगा सच में आपकी कार चोरी हो गयी……….. लेकिन पूरा पत्र बहुत ही भावुक है. सुंदर पोस्ट.
देख तेरे लन्दन की हालत क्या हो गई महारानी
रोज़ बढ़ रहे अपराध ,रूतबा हो गया पानी पानी
हा हालत कुछ ओ .के. नहीं लग रही है………….
जो लोग इस तरह की हरकत करते हैं वो दिल से नहीं दिमाग से काम करते हैं और दिमाग में तो सिर्फ पैसा ही होता है. हम सोचते थे की हमारे ही यहाँ ये सब होता है चलो अच्छा हुआ जल्दी ही भरम टूट गया
हम तो समझते थे कि यह सब तो इधर ही होता है।
उधर तो सब सफ़ेद ही होगा, पर यह आलेख पढ कर लग रहा है कि उधर का सफ़ेद भी अब स्याह होने लगा है।
मार्मिक व भावुक पत्र।
दुखद घटना थी
@ Shekhar Suman
ye baat bhi sahi hai ki jyadatar aisi vaardaaten asian mool ke log hi karte hain. 🙁
दुखद घटना …लगता है वैश्वीकरण की दिशा व्यापक हो चली है !
शिखा जी,
नमस्ते!
उम्दा ट्रांसलेशन.
दुखद घटना.
बेहतरीन छंद.
आशीष
—
नौकरी इज़ नौकरी!
इस हृदयविदारक घटना ने व्यथित कर दिया …धन दौलत , मोबाइल , बैग आदि तो फिर से मिल जायेंगे , मगर पिता से वह आखिरी मुलाक़ात …बहुत दुखद …
आश्चर्य कि ऐसी घटनाएँ दूसरे देशों में भी होती हैं …
मन को मथ देने वाली व्यथा-कथा.
जागरूक करता आलेख !
शिखा जी,
आप की पोस्ट ,आखिरी सलाम… ने संवेदना को झकझोर कर रख दिया ! दुनिया से जैसे इंसानियत पूरी तरह विलुप्त हो चुकी है !
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
हम तो पश्चिम की किसी बात पर टिप्पणी करेंगे तो भारत पर लोग टिप्पणी करते हैं कि भारत ऐसा है और वैसा है। किसी चोर के पास लूट का माल समाप्त होने लगता है तब वह वापस से लूटमार शुरू कर देता है।
वे तो चुल्लू भर पानी में डूब कर मर भी नहीं पायेंगे।
छिपी हुई कलियों यानी छिपकलियों का कहना है कि बिन बोले अब मुझे, नहीं कहना है
घटना द्रावक है . मुसीबत कहाँ नहीं ! , कोई भी देश हो या समय ! महत्वपूर्ण यह है कि वेस्ट की एक स्वर्गिक किस्म की इमेज से लोगों का अनिवार्य मोहभंग होना ! आभार !
अपराधीकरण की समस्या अंतर्राष्ट्रीय समस्या का रूप लेती जा रही है .
हृदय विदीर्ण कर देता पत्र।
किसी के लिये चोरी और किसी के लिये पूरा जीवन।
कार चोरी की ’आम’ मानी जाने वाली घटना कितनी मार्मिक हो सकती है, शिखा जी ये इस पोस्ट से पता चलता है, काश अपने स्वार्थ के लिए इस प्रकार की घटना को अंजाम देने वाले पत्र के संदेश को समझ लें.
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आपकी पोस्ट पढ़ कर लन्दन के हाल मिल जाते हैं.
जान कर दुख होता है.
आप सावधान रहियेगा .
दुनिया का कोई भी कोना हो, अपराध वहां होता है। पर हर कोई जेन की तरह नहीं होता, जो इस तरह चोर को नसीहत दे सके। एशियन इलाकों में बढ़ती घटनाएं, तो मुंबई में उत्तर भारतीयों को दोषी ठहराने की दलील, ये कुछ ऐसी बातें होती हैं जो दिल को दुखाती हैं। पर अगर सच्चाई है ये तो इससे मुंह नहीं मोड़ा जा सकता।
Apradh har jagah par hai aur rahega.kahin par yah ujagar ho jata hai or kahin par nahi.jaroorat hai sachet rahane ki. Letter ke bhav man ko kuchh der ke liye hi sahi andolit kar gaye. Nice post.
shikha ji,
pita ko aakhiri pranam na kar paane waali baat mann ko chhu gai aur shayad yah padhkar kai aise chor sudhar jaayen ki ek zara see chori kisi ke pure jivan ko dukh de jata. yaadyon se juda koi saamaan chori chale jaaye to bahut dukh hota. lekin kya kaha jaaye chaahe Bharat ho ya England ya koi aur desh, sab jagah ka yahi haal.
हिन्दुस्तान में ही हम अपराधों पर हाय हाय मचाते है जबकि ऐसी घटनाएं सब जगह हो रहा है
वैसे ,पत्र तो वास्तव में बड़ा मार्मिक है ।
मन को संवेदना से आप्लावित कर देने वाला वाकया.. जेन फील्ड की विवशता के दारुण दुःख को आप ही समझ सकती थी तभी लिखा. सोचने पर विवश हुआ जा सकता है कि इतने उन्नत और सभ्य समाज में ऐसे चिरकुट चोर या उचक्के, पुलिस का खौफ सब जगह कम हो रहा है. मगर ब्रिटेन में यह सब हो रहा है यह आश्चर्य की बात है और एक नजर से देखें तो यह आत्मकेंद्रित मेटिरियलिस्टिक सोसायटी का पराभव काल है| हमारे पुरखे इसे कलजुग कहते आए हैं|
"ये ज्यादातर एशियन इलाकों में घटित होती हैं"– यह उसी नस्लवादी स्थानीयता की तरफ संकेत है जिससे भारतीय आस्ट्रेलिया और दीगर जगहों पर दुखी हैं|
जी
अच्छा नहीं लगा जी स्थिति मर्म को छू गई
ब्लागिंग पर राष्ट्रीय कार्यशाला आधिकारिक रपट
सीरियस पोस्ट थी लेकिन आखिर में 'देख तेरे' पढ़ के पता नहीं क्यों मुस्कान आ गयी चेहरे पे.
रानी को दुहाई देने पर जवाब उलट कर न आ जाए.
AB WAHAN KOI HAMARE NETA(SEELA, RAAJ) KI TARAH YE NA BOLE KI YE GHTANA LONDON SE BAHAR WALA BYAKTI KAR RAHA HAI.
जहाँ गरीबी बढ़ेगी छुटपुट अपराध भी बढ़ेंगे …
अब तक केवल एशिअई देश ही गरीब हुआ करते थे पर पर इस गरीबी का स्वाद अमेरिका जैसे देश भी चख रहे हैं …
वाकई ये लंदन की महारानी के लिए चिंता का सबब है।
———
ईश्वर ने दुनिया कैसे बनाई?
उन्होंने मुझे तंत्र-मंत्र के द्वारा हज़ार बार मारा।
samvednao se pariporn lekh.
Very sad!
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