कहने को तो ये भीड़ है
सड़कों पर कदम मिलते लोगों का रेला भर
पर इसी मैं छिपी है संपूर्ण जिंदगी
किसी के लिए चलती तो
किसी के लिए थमती
किसी के लिए आगाज़ भर
तो किसी को अंजाम तक पहुँचाती
इस रेले मैं आज़ किसी के पेरो को
लग गये हैं पंख कि
नौकरी का आज़ पहला दिन है
पर बोझिल हैं किसी के कदम
क़ि एक शिफारिशि खत की बदोलत
वो आज़ बे घर- बे दर है
नव उमंग से भरा कोई
इठलाता बलखाता है
कोई आँचल से पसीना पोंछ
बस यूँ ही चला जाता है
कोई योजना बना रहा है
आज़ के रोचक भोजन की
कोई चिंता मैं डूबा है कि
क्या नसीब होगी सुखी रोटी भी
कहने को तो ये भीड़ है
बस कुछ लोगों का रेला
पर इसी मैं शामिल है
जीवन के हर पहलू का मेला.
सड़कों पर कदम मिलते लोगों का रेला भर
पर इसी मैं छिपी है संपूर्ण जिंदगी
किसी के लिए चलती तो
किसी के लिए थमती
किसी के लिए आगाज़ भर
तो किसी को अंजाम तक पहुँचाती
इस रेले मैं आज़ किसी के पेरो को
लग गये हैं पंख कि
नौकरी का आज़ पहला दिन है
पर बोझिल हैं किसी के कदम
क़ि एक शिफारिशि खत की बदोलत
वो आज़ बे घर- बे दर है
नव उमंग से भरा कोई
इठलाता बलखाता है
कोई आँचल से पसीना पोंछ
बस यूँ ही चला जाता है
कोई योजना बना रहा है
आज़ के रोचक भोजन की
कोई चिंता मैं डूबा है कि
क्या नसीब होगी सुखी रोटी भी
कहने को तो ये भीड़ है
बस कुछ लोगों का रेला
पर इसी मैं शामिल है
जीवन के हर पहलू का मेला.
bhai waah, kaayal ho gaye ham to aapke…kya likhti ho….commendable!!!! hope to see you more like this
wah!! ek ek pankti aankhon ke saamne sajeev lag rahi thi…..badhaai
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