हम जब बचपन में घर में आने वाली पत्रिकाएं पढ़ते तो अक्सर मम्मी से पूछा करते थे कि गर्मियों की छुट्टियां क्या होती हैं. क्योंकि पत्रिकाएं, गर्मियों में कहाँ जाएँ? कैसे छुट्टियां बिताएं, गर्मियों की छुट्टियों में क्या क्या करें और गर्मियों की छुट्टियों में क्या क्या सावधानी रखें, जैसे लेखों से भरी रहतीं। हमें समझ में नहीं आता था कि जिन गर्मियों की छुट्टी का इतना हो- हल्ला होता है वे गर्मी की छुट्टियां हमारी क्यों नहीं होतीं। जब सब बच्चे इन छुट्टियों में नानी – दादी के यहाँ जाते हैं या पहाड़ों की सैर पर निकल जाते हैं तो हम क्यों नहीं कहीं जाते? हमें क्यों स्कूल जाना पड़ता है ?तब मम्मी हमें समझातीं कि अभी वे लोग (रिश्तेदार, परिचित) हमारे यहाँ आ रहे हैं न, तो हम जाड़ों में वहां चलेंगे। गर्मियों में वहां बहुत गर्मी होती है, लू चलतीं हैं. अब हमारे सामने एक और दिलचस्प प्रश्न होता कि ये लू क्या चीज़ होती है और कैसे चलती है. 
असल माजरा यह था कि हम एक पहाड़ी शहर में रहा करते थे जहाँ स्कूल की छुट्टियां गर्मियों में नहीं, जाड़ों में हुआ करती थीं और इसलिए जब बाकि सब गर्मियों की छुट्टियों में हमारे यहाँ घूमने और आराम करने आते तब हम उनकी खातिरदारी करने में, पेड़ों से आड़ू, प्लम तोड़ कर खाने में और अपने स्कूल के रूटीन में व्यस्त होते। गर्मियों की छुट्टी मनाते बच्चों की किस्मत पर रश्क करते और अपनी पर लानत भेजते रहते।

हालाँकि इन सारे सवालों के उत्तर धीरे धीरे हमें समझ में आने लगे, लू – गर्म हवा के थपेड़ों को कहते हैं यह भी पता चल गया और बाकी बच्चों से छुट्टी की प्रतियोगिता भी समय के साथ समाप्त हो गईं. परन्तु गर्मियों की छुट्टियां हमारे लिए फिर भी एक पहेली ही बनी रहीं. वक़्त ने करवट ली, समय ने भारत से उठाकर हमें यूरोप में ले जा छोड़ा, जहाँ गर्मियों की छुट्टियां तो होती थी पर भारत जैसी न होती थीं. यूरोपवासी यूँ भी बेहद छुट्टी पसंद माने जाते हैं. कभी कभी तो लगता है कि छुट्टियां ही उनकी जिंदगी का मकसद है और बाकी का सारा काम वह इन छुट्टियों का आनंद उठाने की खातिर ही करते हैं. उसपर गर्मियों की छुट्टियां उनके लिए सबसे अहम होती हैं क्योंकि इन दिनों उन्हें भीषण ठण्ड, बोरिंग ओवरकोट और भारी जूतों से निजात मिलती है, मौसम बदलता है और वे प्रकृति के इस रूप का आनंद लेने के लिए बेताब हुए जाते हैं.  पूरा साल काम करते हैं, कमाते हैं, और सारा इन छुट्टियों में खर्च कर देते हैं.
भारत में जो गर्मियों की छुट्टियां भीषण गर्मी से राहत के लिए दी जातीं हैं वही यूरोप एवं पश्चिमी देशों में इससे इतर गर्मियों की छुट्टियां इस गर्मी का आनंद लेने के लिए दी जाती हैं. जहाँ गर्मियों की छुट्टी के नाम पर भारत में खस, शरबत, कूलर, शिकंजी, तरबूज, पहाड़ी स्थानों की सैर, स्कूल से मिला गृहकार्य और प्रोजेक्ट्स, और बड़ों की – “धूप में बाहर मत जाओ, तबियत खराब हो जाएगी, लू लग जाएगी ” जैसी तक़रीर याद आती, वहीं यूरोप में इसके विपरीत लोग गरम देशों में, समुन्द्र के किनारे धूप में घंटों पड़े रहकर धूप सेकने को बेताब रहते हैं। तरबूज की जगह स्ट्रॉबेरी और चेरी इकठ्ठा करने खेतों पर जाते हैं, वहां कोई गृहकार्य गर्मियों की छुट्टियों के लिए नहीं दिया जाता, कोई बच्चा पहाड़ों पर या ठंडी जगह पर जाने की जिद नहीं करता. यहाँ तक कि हम, आदत से मजबूर हो कभी टीचर से कहते भी कि कुछ काम दे दीजिये, हम गर्मियों की छुट्टियों में कर लेंगे तो जबाब आता “गर्मियां काम करने के लिए नहीं होतीं, गर्मियां एन्जॉय करने के लिए होती हैं। गो एंड एन्जॉय द सन”. और हमारे लिए यह सन (सूरज ) और गर्मी की छुट्टियां फिर से एक प्रश्न बन जाते, क्योंकि हमें तब उन छुट्टियों में कहीं घूमने नहीं बल्कि अपने घर (भारत) जाना होता जहाँ सूरज के साथ एन्जॉय करने बाहर नहीं निकला जाता, बल्कि उससे बचने के उपाय और साधन ढूंढें जाते हैं. अधिकाँश वक़्त घर के अंदर, कमरे में अँधेरा कर कूलर पंखे चला कर बैठने या पूरी दोपहर सोने में बीत जाता।
 
वक़्त ने फिर करवट पलटी. अब छुट्टियां हमारी न होकर बच्चों की हो गईं. गर्मी भी समय के साथ बढ़ चली और उससे निबटने के तरीके भी बदल गए. गर्मियों की छुट्टियों के मायने भी बदल गए परन्तु हमारे लिए कुछ न बदला. हमारे लिए गर्मियों की छुट्टियां अब भी वही पहेली थीं. अब बहुत सी और छुट्टियाँ मिलती हैं, जब जी चाहे ली जा सकती हैं, जहाँ मन चाहे घूमने जाया जा सकता है, उनका खूब आनंद भी लिया जाता है. परन्तु यह “गर्मियों की छुट्टियाँ” आज भी हमारे लिए एक प्रश्न चिन्ह हैं. अब भी गर्मियों की छुट्टियां – अवकाश नहीं, बल्कि काम से अलग मिलने वाला वह समय था जिसमें हमें घर जाना था और दूसरे काम निबटाने थे. यूरोप में इसी समय स्कूल में सबसे अधिक छुट्टियां होती हैं तो यही समय होता है जो भारत जाकर इन छुट्टियों का सदुपयोग कर आयें.
यूँ कि –
ये न थी हमारी किस्मत के गर्मी की छुट्टियां मिलतीं … 
हम भी सूर्य स्नान करते या पहाड़ों की सैर होती …